शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लमतकदीर का लिखा टलता नहीं
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल कर और अल्लाह ताअला से मदद चाह, और हिम्मत मत हार और अगर तुझ पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कह कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कह कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसके मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। '' - मुस्लिम शरीफ
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शेर और शेरनी के नाम पर विहिप ने जताया था एतराजहाईकोर्ट ने दिया हुक्म, अकबर और सीता का बदला जाए नाम
✅ कोलकाता : आईएनएस, इंडिया
मग़रिबी (पश्चिम) बंगाल के सिलीगुड़ी में अकबर नामी शेर को सीता नामी शेरनी के साथ रखने पर तनाज़ा (विवाद) खड़ा हो गया है। मुआमला इतना बढ़ गया कि विश्व हिंदू परिषद की बंगाल यूनिट ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक अर्ज़ी दायर कर इसे हिंदू मज़हब की तौहीन क़रार दे दिया। अदालत ने 16 फरवरी को दायर दरख़ास्त पर 20 फरवरी को समाअत की जिसके बाद अदालत ने शेर के जोड़े का नाम तबदील करने का हुक्म दिया है। साथ ही अदालत ने शेरनी का नाम सीता और शेर का नाम अकबर रखने पर बंगाल हुकूमत से जवाब तलब किया है।![]() |
- File Photo |
मुआमला सिलीगुड़ी के सफ़ारी पार्क का है। वीएचपी ने इल्ज़ाम लगाया था कि विश्व हिंदू परिषद को इस हक़ीक़त से बहुत तकलीफ़ हुई है कि शेरनी का नाम भगवान राम की बीवी सीता के नाम पर रखा गया है। शेर-शेरनी की इस जोड़ी को हाल ही में त्रिपुरा के ज़ूलोजीकल पार्क से लाया गया है। महिकमा जंगलात के हुक्काम का कहना है कि उन्होंने शेरों के नाम तबदील नहीं किए हैं। उनका नाम 13 फरवरी को यहां आने से पहले ही रखा गया था। जबकि वीएचपी का कहना है कि शेरों का नाम रियास्ती महिकमा जंगलात ने रखा है। सीता को अकबर के साथ रखना हिंदू मज़हब की तौहीन है।
मुआमले में रियास्ती जंगलात के आफ़िसरान और सफ़ारी पार्क के डायरेक्टर को फ़रीक़ (पक्ष) बनाया गया है। सिंगल बेंच के जज जस्टिस भट्टाचार्य ने मग़रिबी बंगाल हुकूमत से कहा कि वो शेर और शेरनी को कोई और नाम देने पर ग़ौर करे, ताकि किसी भी तनाज़ा को ख़त्म किया जा सके। अदालत ने कहा कि मुल्क में बड़ी तादाद में लोग सीता की पूजा करते हैं। जबकि अकबर एक मूसिर, कामयाब और सेकूलर मुग़ल बादशाह था। बेंच ने रियास्ती हुकूमत से पूछा था कि वो बताए कि क्या त्रिपुरा से सिलीगुड़ी सफ़ारी पार्क लाए गए शेरों को महिकमा जंगलात ने सीता और अकबर का नाम दिया था, इस पर एडीशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) ने अदालत को बताया कि रियासत ने जानवरों को कोई नाम नहीं दिया है। एएजी ने वाजेह किया कि ये नाम त्रिपुरा चिड़ियाघर के ओहदेदारों ने दिए थे। उन्होंने कहा कि जानवरों की पैदाइश 2016 और 2018 मैं हुई थी। 5 साल तक किसी ने भी इन नामों को चैलेंज नहीं किया।