रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (10 रमजान)
उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना खदीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
हज़रत ख्वाजा नसीर उद्दीन चिराग देहलवी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'' हजरत अनस बिन मालिक रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया अल्लाह सुब्हानहु ताअला ने मुसाफिर के लिए आधी नमाज माफ फरमा दी है और मुसाफिर और हामिला और दूध पिलाने वाली औरत के रोजे माफ फरमा दिए हें। '''
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✅ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया
अमरीका में बाअज़ पब्लिक स्कूलों की इंतेजामिया रमज़ान में रोज़े रखने वाले तलबा के लिए चीज़ों को आसान बनाने के लिए कोशां है। इंतेजामिया के मुताबिक़ वो तलबा को अपने तौर अपने अक़ीदे पर अमल करने की इजाज़त देते हैं। बाअज़ (कुछ) तंज़ीमें असातिज़ा (टीचर्स) को रमज़ान और मुस्लमानों के लिए उसकी एहमीयत के बारे में ऑनलाइन मालूमात फ़राहम कर रही हैं।अमरीका के स्कूलों में जहां मुस्लमान तलबा की तादाद कम है, हालांकि कुछ इलाक़ों में क़ायम स्कूलों में मुस्लिम तलबा की बड़ी तादाद में मौजूदगी के सबब उनकी इंतेजामिया को माह-ए-रमज़ान में ज़रूरीयात से मुताल्लिक़ मज़ीद तवज्जा देनी पड़ती है जिसके दौरान ये तलबा नमाज़-ए-फ़ज्र से ग़ुरूब-ए-आफ़्ताब तक रोज़ा रखते हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक़ अमरीकी रियासत मिशीगन के शहर 10 हज़ार आबादी में से नसफ़ (आधी) आबादी अरब नसल से ताल्लुक़ रखती हैं, जहां पब्लिक स्कूलों के असातिज़ा और अमला रमज़ान में रोज़े रखने वाले तलबा के लिए चीज़ों को आसान बनाने के लिए कोशां है।
डीइर बोर्न स्कूलों के तर्जुमान डेविड मस्टोंन का कहना है कि जब तक कि स्कूलों की हाज़िरी में कोई रुकावट ना हो, वो तलबा को अपने तौर अपने अक़ीदे पर अमल करने की इजाज़त देते हैं। डेविड का मज़ीद कहना था कि वो स्कूल में रोज़ा रखने वाले तलबा के लिए लंच के औक़ात के दौरान दीगर मुक़ामात या सरगर्मियां तलाश करने की भी कोशिश करते हैं। ताहम इस सब के बावजूद रोज़ा रखने वाले इन तलबा को स्कूल की तमाम इसाइनमंटस मुकम्मल करने होते हैं।
अमरीकी रियासत मिनेसोटा के शहर सेंट पाल में वाके एलीमैंटरी मेग्नेट स्कूल की प्रिंसिपल अबदी सलाम आदम का कहना था कि उनके स्कूल में रोज़ादार तलबा के लिए लाइब्रेरी में अलहदा जगह मुख़तस है, जहां वो ब्रेक के दौरान किताबें पढ़ना जैसी दीगर सरगर्मियां जारी रख सकते हैं। प्रिंसिपल का कहना कि 220 तलबा पर मुश्तमिल स्कूल, सेंट पाल स्कूल सिस्टम के एक हिस्से के तौर पर गुज़श्ता मौसिम-ए-खिजा में खोला गया था और इसी के निसाब पर अमल किया जाता है। उनका कहना था कि इस स्कूल का मक़सद सोमालीया और दीगर मशरिक़ी अफ़्रीक़ी ममालिक के साथ सक़ाफ़्ती और लिसानी रवाबित को तक़वियत देना भी है। आदम जो लगभग पिछले 30 बरस से काम कर रही हैं, उनका कहना था कि उन्होंने अपने स्टाफ़ को कहा है कि रमज़ान की पाबंदी तलबा की देख-भाल के मजमूई मक़सद के मुताबिक़ है। उनके बाक़ौल तमाम ज़रूरीयात एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
'एसोसीएटड प्रेस के मुताबिक़ ऐसे स्कूल, जो मुस्लिम रवायात से कम-आश्ना हैं, उनके लिए वसाइल दस्तयाब हैं। मिसाल के तौर पर अमरीकी रियासत कैलीफोर्निया में क़ायम इस्लामिक नेटवर्क़्स ग्रुप दीगर चीज़ों के साथ-साथ असातिज़ा को रमज़ान और मुस्लमानों के लिए उसकी एहमीयत के बारे में ऑनलाइन मालूमात फ़राहम करता है। इस ग्रुप की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माहा अलगनेदी का कहना है कि बहुत से स्कूल इस्लाम और उनकी छुटिटयों से मुताल्लिक़ ज़्यादा मालूमात नहीं रखते। उनका कहना था कि अगर वो ज़्यादा मालूमात नहीं रखते तो वो तलबा को रिहायश से मुताल्लिक़ ज़्यादा मालूमात फ़राहम नहीं कर सकते। जब तक कि वो उसके बारे में जानें, इस अमल में वालदैन को भी शरीक होना होगा। माहा का मज़ीद कहना था कि रोज़ा रखने वाले तलबा को अपनी इसाइनमंटस बाद में जमा कराने की इजाज़त होनी चाहिए।