रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (10 रमजान)
उम्मुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना खदीजा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
हज़रत ख्वाजा नसीर उद्दीन चिराग देहलवी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'' हजरत अनस बिन मालिक रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया अल्लाह सुब्हानहु ताअला ने मुसाफिर के लिए आधी नमाज माफ फरमा दी है और मुसाफिर और हामिला और दूध पिलाने वाली औरत के रोजे माफ फरमा दिए हें। ''
सऊदीया हमेशा से मिल्लत-ए-इस्लामिया में
उन्होंने तक़सीम और इख़तिलाफ़ से बचने पर-ज़ोर देते हुए कहा कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम की सुन्नत पर चलना और इस पर अमल करना ज़रूरी है, जिसमें हमारे लिए तमाम अहकामात और हिदायात मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जब उल्मा शाइस्तगी और नेक नीयती से मुकालमा करते हैं तो वो इत्तिहाद की फ़िज़ा पैदा करते हैं। उन्होंने मुस्लमानों को मुत्तहिद करने और उनकी फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए की जाने वाली कोशिशों पर सऊदी क़ियादत का शुक्रिया अदा किया।
राबिता आलिम इस्लामी के सेक्रेटरी जनरल डाक्टर अब्दुल करीम ने कान्फ़्रैंस से ख़िताब में कहा कि कान्फ्रेंस का इनएकाद (आयोजन) मुख़्तलिफ़ इस्लामी मकातिब फ़िक्र के माबैन (बीच) हम-आहंगी पैदा करने दस्तावेज़ के इजरा के लिए किया गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि तमाम मुस्लमान इस्लाम के पर्चम और साएबान तले हैं, यहां इत्तिहाद सबसे अहम है, जुदाई या तफ़र्रुक़ा पैदा करने की कोई गुंजाइश नहीं। उन्होंने तवज्जा दिलाई कि गिरोही और फ़िर्क़ावाराना नारे या मज़हबी इख़तिलाफ़-ओ-तास्सुब पर अमल करना दरअसल बाहमी इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ को हवा देने के मुतरादिफ़ है जिससे मिल्लत को मुश्किल सूरत-ए-हाल का सामना करना पड़ता है।
जदीद (आधुनिक) और रिवायती मीडीया के बाअज़ (कुछ) मनफ़ी (नेगेटिव) इस्तिमाल पर तन्क़ीद करते हुए उन्होंने कहा कि 'आलम-ए-इस्लाम की दुरुस्त तस्वीर को उजागर करने के लिए मिसाली ज़वाबत को उजागर किया जाए जो इस्लाम की खुसूसियत है। इस्लामी तआवुन तंज़ीम 'ओसी' के सेक्रेटरी जनरल हुसैन इबराहीम ताहा ने कहा कि मुख़्तलिफ़ इस्लामी मकातिब फ़िक्र से ताल्लुक़ रखने वालों को क़रीब लाने और उनमें यकजहती और हम-आहंगी पैदा करना अहम है।
सेक्रेटरी जनरल ने मज़ीद कहा कि कान्फ्रेंस इस्लामी मकातिब फ़िक्र में हम-आहंगी इस बात का सबूत है कि सऊदी अरब हमेशा से मिल्लत-ए-इस्लामीया के इत्तिफ़ाक़-ओ-इत्तिहाद के लिए कोशां (प्रयासरत) है। ओआईसी के सेक्रेटरी जनरल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि 'इस्लामी तालीमात में इत्तिहाद मिल्लत और बाहमी भाईचारे की मुसलसल तलक़ीन की गई है। 'ओआईसी के प्लेटफार्म से इस्लामी ममालिक को सियासी, मआशी, सक़ाफ़्ती और समाजी शोबों में एक दूसरे के क़रीब लाने का फ़रीज़ा अंजाम दिया है।
------------------------------------
सऊदीया हमेशा से मिल्लत-ए-इस्लामिया में
इत्तिफ़ाक़ और इत्तिहाद के लिए कोशां
✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया
सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ की जेरे सरपरस्ती में मक्का मुकर्रमा में राबिता आलिम इस्लामी के तहत दो-रोज़ा आलमी काफ्रेंस मुनाकिद हुआ। कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए ममलकत के मुफ़्ती-ए-आज़म और उल्मा कमेटी के सरबराह शेख़ अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि इस्लाम मुआशरती दीन है, जो इत्तिहाद मिल्लत और उखुवते (भाईचारे) का दर्स देता है।उन्होंने तक़सीम और इख़तिलाफ़ से बचने पर-ज़ोर देते हुए कहा कि पैग़ंबर-ए-इस्लाम की सुन्नत पर चलना और इस पर अमल करना ज़रूरी है, जिसमें हमारे लिए तमाम अहकामात और हिदायात मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जब उल्मा शाइस्तगी और नेक नीयती से मुकालमा करते हैं तो वो इत्तिहाद की फ़िज़ा पैदा करते हैं। उन्होंने मुस्लमानों को मुत्तहिद करने और उनकी फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए की जाने वाली कोशिशों पर सऊदी क़ियादत का शुक्रिया अदा किया।
राबिता आलिम इस्लामी के सेक्रेटरी जनरल डाक्टर अब्दुल करीम ने कान्फ़्रैंस से ख़िताब में कहा कि कान्फ्रेंस का इनएकाद (आयोजन) मुख़्तलिफ़ इस्लामी मकातिब फ़िक्र के माबैन (बीच) हम-आहंगी पैदा करने दस्तावेज़ के इजरा के लिए किया गया है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि तमाम मुस्लमान इस्लाम के पर्चम और साएबान तले हैं, यहां इत्तिहाद सबसे अहम है, जुदाई या तफ़र्रुक़ा पैदा करने की कोई गुंजाइश नहीं। उन्होंने तवज्जा दिलाई कि गिरोही और फ़िर्क़ावाराना नारे या मज़हबी इख़तिलाफ़-ओ-तास्सुब पर अमल करना दरअसल बाहमी इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ को हवा देने के मुतरादिफ़ है जिससे मिल्लत को मुश्किल सूरत-ए-हाल का सामना करना पड़ता है।
जदीद (आधुनिक) और रिवायती मीडीया के बाअज़ (कुछ) मनफ़ी (नेगेटिव) इस्तिमाल पर तन्क़ीद करते हुए उन्होंने कहा कि 'आलम-ए-इस्लाम की दुरुस्त तस्वीर को उजागर करने के लिए मिसाली ज़वाबत को उजागर किया जाए जो इस्लाम की खुसूसियत है। इस्लामी तआवुन तंज़ीम 'ओसी' के सेक्रेटरी जनरल हुसैन इबराहीम ताहा ने कहा कि मुख़्तलिफ़ इस्लामी मकातिब फ़िक्र से ताल्लुक़ रखने वालों को क़रीब लाने और उनमें यकजहती और हम-आहंगी पैदा करना अहम है।
सेक्रेटरी जनरल ने मज़ीद कहा कि कान्फ्रेंस इस्लामी मकातिब फ़िक्र में हम-आहंगी इस बात का सबूत है कि सऊदी अरब हमेशा से मिल्लत-ए-इस्लामीया के इत्तिफ़ाक़-ओ-इत्तिहाद के लिए कोशां (प्रयासरत) है। ओआईसी के सेक्रेटरी जनरल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि 'इस्लामी तालीमात में इत्तिहाद मिल्लत और बाहमी भाईचारे की मुसलसल तलक़ीन की गई है। 'ओआईसी के प्लेटफार्म से इस्लामी ममालिक को सियासी, मआशी, सक़ाफ़्ती और समाजी शोबों में एक दूसरे के क़रीब लाने का फ़रीज़ा अंजाम दिया है।
कान्फ्रेंस से मुख़्तलिफ़ इस्लामी ममालिक के उलमाए किराम ने भी ख़िताब किया जिनमें इस्लामी जमहूरीया ईरान के आयत उल्लाह अल शेख़ अहमद मबलग़ी, मिस्र के वज़ीर औक़ाफ़ डाक्टर मुहम्मद मुख़तार जमा, इंडोनेशिया की उल्मा कमेटी के सदर, जमात-ए-उलमाए इस्लाम के सरबराह मौलाना फ़ज़ल उल रहमान, तुरकिया के दीनी उमूर के सदर डाक्टर अली बिन अबदुर्रहमान अरबाश, इराक़ के डाक्टर जव्वाद अलख़ोई, अफ़्रीक़ी इस्लामी इत्तिहाद के सदर शेख़ मुहम्मद उलमा, शेख़ इबराहीम और मलेशियन स्कालरज़ एसोसीएशन के सदर शेख़ मुहम्मद बिन अब्दुल अज़ीज़ शामिल हैं।
कान्फ़्रैंस में मुस्लिम वर्ल्ड लीग और इस्लामी तआवुन तंज़ीम के दरमयान मुफ़ाहमती (समझौता) याददाश्त पर दस्तख़त किए गए जिसमें कान्फ्रेंस के नताइज को अमली शक्ल में नाफ़िज़ करने के लिए ओआईसी और राबिता के माबैन तआवुन करना है। राबिता आलिम इस्लामी की इस्लामी फ़िक़्ह एकेडमी और ओआईसी की बैन-उल-अक़वामी इस्लामी फ़िक़्ह अकेडमी के माबैन हुए मुफ़ाहमती याददाश्त पर दस्तख़त के तहत इलमी तहक़ीक़ में तआवुन को फ़रोग़ देना और रवादारी-ओ-एतिदाल पर अमल करते हुए इस्लामी इत्तिहाद को मुस्तहकम (स्थित) करना है।
For the latest updates of islam
please join our