रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
दूसरों के ऐबों को जाहिर न करो
'' हजरत उक्बा बिन आमिर रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि जनाब रसूल अल्लाह ﷺने फरमाया, जो शख्स किसी का कोई ऐब देखे और फिर उसे छुपा ले, यानी दूसरों पर उसे जाहिर न करे तो सवाब में ऐसा होगा, जैसे किसी ने जिंदा दफन हुए किसी की जान बचा ली और कब्र से उसको जिंदा निकाल लाया। ''
- तिर्मिजी शरीफ
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✅ गाजा : आईएनएस, इंडिया
फ़लस्तीनियों ने इसराईली पुलिस के सख़्त हिफ़ाज़ती इक़दामात, जंग और भूख के साए में रमज़ान के मुक़द्दस महीने की तैयारीयां कीं। ख़बर के मुताबिक़ यरूशलम के क़दीम शहर की गलियों के इर्दगिर्द हज़ारों की तादाद में पुलिस अहलकार तयनात हैं। यहां मुक़द्दस तरीन मुक़ाम मस्जिद अकसा के अहाते में रोज़ाना की बुनियाद पर हज़ारों नमाज़ियों की आमद की उम्मीद है। फलीस्तीन में रमज़ान के महीने का पीर से आग़ाज़ हो गया है जबकि कुछ अरब और मुस्लिम ममालिक में ये मंगल को शुरू होगा।
मस्जिद अकसा इस्लाम का तीसरा मुक़द्दस तरीन मुक़ाम है जिसे क़िबला अव्वल भी कहा जाता है और ये मुक़ामी मुस्लमानों के लिए अहम इबादत-गाह है लेकिन इस मुक़ाम को यहूदी भी अपना मुक़द्दस तरीन मुक़ाम मानते हैं और उसे टेंपल माउंट के नाम से पुकारते हैं। ये जगह अक्सर इसराईल फ़लस्तीन के दरमयान तनाज़े का बाइस रही है। गाजा में इसराईल की मुसलसल कार्यवाईयों ने पूरी दुनिया में ख़तरे की घंटी बजा दी है। क़हत के बढ़ते ख़तरे से हलाकतों में इज़ाफे़ का ख़दशा भी बना हुआ है।
हम्मास के एक अहलकार ने राइटर्ज़ को बताया कि ग्रुप मज़ीद मुज़ाकरात के लिए तैयार है लेकिन जहां तक वो जानते हैं, क़ाहिरा में सालसों के साथ मज़ीद मुलाक़ातों के लिए कोई तारीख़ तै नहीं की गई है।
ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन ने अपने पैग़ाम में दुआ की कि ये मुबारक महीना आलम-ए-इस्लाम और तमाम दुनिया के लिए अमन व सलामती का बाइस बने। पैग़ाम के आख़िर में उन्होंने ममलकत में अमन और ख़ुशहाली क़ायम रहने और रोज़ा दारों के रोज़े क़बूल होने की दुआ की।
मस्जिद अकसा इस्लाम का तीसरा मुक़द्दस तरीन मुक़ाम है जिसे क़िबला अव्वल भी कहा जाता है और ये मुक़ामी मुस्लमानों के लिए अहम इबादत-गाह है लेकिन इस मुक़ाम को यहूदी भी अपना मुक़द्दस तरीन मुक़ाम मानते हैं और उसे टेंपल माउंट के नाम से पुकारते हैं। ये जगह अक्सर इसराईल फ़लस्तीन के दरमयान तनाज़े का बाइस रही है। गाजा में इसराईल की मुसलसल कार्यवाईयों ने पूरी दुनिया में ख़तरे की घंटी बजा दी है। क़हत के बढ़ते ख़तरे से हलाकतों में इज़ाफे़ का ख़दशा भी बना हुआ है।
गुजिश्ता माह दाएं बाज़ू के सिक्योरिटी के वज़ीर ने कहा था कि वो अल-अक़सा में नमाज़ियों पर पाबंदी लगाना चाहते हैं तो वज़ीर-ए-आज़म बेंजामिन नेतन्याहू ने वाजेह किया था कि तादाद गुजिश्ता साल जितनी होगी। मस्जिद अल-अक़सा की निगरानी करने वाली मज़हबी फ़ाउंडेशन यरूशलम वक़्फ़ के डायरेक्टर जनरल इज़ाम अलख़तीब ने कहा कि ये हमारी मस्जिद है और हमें इसका ख़्याल रखना चाहिए। हमें इस मस्जिद में मुस्लमानों की हिफ़ाज़त करनी चाहिए जो बड़ी तादाद में पुरअमन और महफ़ूज़ तरीक़े से दाख़िल हो सकें।
मग्रिबी किनारे में उदासी, नहीं हुई कोई सजावट
गुजिश्ता बरसों के बरअक्स क़दीम शहर के इर्द-गिर्द रिवायती सजावट नहीं की गई है और मक़बूज़ा मग़रिबी किनारे के कस्बों में भी उदासी छाई है जहां अब तक सिक्योरिटी फ़ोर्सिज़ के साथ झड़पों में 400 के क़रीब फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं। क़दीम शहर के एक कम्यूनिटी लीडर अम्मार साइडर ने कहा कि हमने इस साल फ़ैसला किया है कि यरूशलम के पुराने शहर को हमारे बच्चों, बुज़ुर्गों और शहीदों के ख़ून के एहतिराम में नहीं सजाया जाएगा।
सोशल मीडिया पर नजर
पुलिस ने बताया कि वो पुरअमन रमज़ान को यक़ीनी बनाने के लिए इक़दामात कर रहे हैं और उन्होंने सोशल मीडीया नेटवर्क़्स पर इश्तिआल अंगेज़ और झूटी मालूमात के ख़िलाफ़ क्रैक डाउन करने के लिए इज़ाफ़ी इक़दामात किए हैं और दहश्तगर्दी पर उकसाने के शुबा में 20 अफ़राद को गिरफ़्तार किया है। पुलिस ने एक बयान में कहा कि इसराईल पुलिस इलाक़े में सिक्योरिटी और अमन बरक़रार रखते हुए टेंम्पल माउंट पर रमज़ान की नमाज़ों की बहिफ़ाज़त अदायगी के लिए इक़दामात कार्रवाई करती रहेगी। जंग बंदी की उम्मीदें जिसके तहत पुरअमन रमज़ान और गाजा में क़ैद 134 इसराईली यरग़मालियों में से कुछ की वापसी मुम्किन हो सकेगी, क़ाहिरा में होने वाले मुज़ाकरात में तात्तुल की वजह से पूरी होती नज़र नहीं आ रहीं ।हम्मास के एक अहलकार ने राइटर्ज़ को बताया कि ग्रुप मज़ीद मुज़ाकरात के लिए तैयार है लेकिन जहां तक वो जानते हैं, क़ाहिरा में सालसों के साथ मज़ीद मुलाक़ातों के लिए कोई तारीख़ तै नहीं की गई है।
सीज़ फ़ायर के बग़ैर रमज़ान की आमद पर हमारे दिल मग़्मूम हैं : शाह सलमान
रियाद : ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन, शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ ने कहा कि हमारे लिए ये अमर तकलीफ़ का बाइस है कि रमज़ान उल-मुबारक ऐसे वक़्त में आ रहा है, जब हमारे फ़लस्तीनी भाई इसराईली जारहीयत का सामना कर रहे हैं। ममलकत की सरकारी ख़बररसां एजेंसी एसपीए के मुताबिक़ शाह सलमान ने माह-ए-मुबारक की आमद पर ममलकत के शहरियों, मुक़ीमीन और तमाम मुस्लमानों को मुबारकबाद दी है।
रमज़ान उल-मुबारक की आमद पर अपने पैग़ाम में उन्होंने ज़ोर दिया कि बैन-उल-अक़वामी बिरादरी फ़लस्तीन में वहशियाना जराइम को रोकने, महफ़ूज़ इन्सानी और इमदादी राहदरियां खोलने की ज़िम्मेदारी पूरी करे। शाह सलमान ने मज़ीद कहा कि हम अल्लाह का शुक्र अदा करते है जिसने इस मुल्क को इस्लाम का सरचश्मा बनाया, जहां से इस्लाम का पैग़ाम पूरी दुनिया में फैला और हमें हरमैन शरीफ़ैन और उनके ज़ाइरीन की ख़िदमत का मौक़ा दिया। ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन ने अपने पैग़ाम में दुआ की कि ये मुबारक महीना आलम-ए-इस्लाम और तमाम दुनिया के लिए अमन व सलामती का बाइस बने। पैग़ाम के आख़िर में उन्होंने ममलकत में अमन और ख़ुशहाली क़ायम रहने और रोज़ा दारों के रोज़े क़बूल होने की दुआ की।
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