रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
सूद बुरी लानत है
'' हजरत जाबिर रदि अल्लाहो अन्हु से रवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम ﷺ ने लानत फरमाई सूद खाने वाले, यानी सूद लेने वाले और उसके खिलाने वाली यानी देने वाले और लिखने वाले पर और उसके गवाह पर और फरमाया, ये सब बराबर हैं। ''- मुस्लिम शरीफ
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- एक मुजरिम ग़ैर अख़लाक़ी वीडीयोज़ बनाता था जबकि दूसरा उसे मवाद (मटेरियल) शेयर करता था
- सात दिन के भीतर कर सकते हैं अपील
- एक मुजरिम की उम्र 22 जबकि दूसरे की महज 13 साल

✅ लाहौर : आईएनएस, इंडिया
तौहीन-ए-मज़हब के इल्ज़ाम पर लाहौर की अदालत ने एक तालिबे इल्म को फांसी जबकि दूसरे को उम्र कैद की सजा सुनाई है। तौहीन-ए-मज़हब के मुर्तक़िब (दोषी) दोनों अफ़राद के ख़िलाफ़ 2022 मैं लाहौर के थाना एफ़आईए साइबर क्राईम में मुक़द्दमा दर्ज किया गया था। पंजाब के शहर गुजरांवाला की मुक़ामी अदालत ने तौहीन-ए-मज़हब के मुबय्यना इल्ज़ाम पर एक तालिब-इल्म को सज़ा-ए-मौत जबकि जुर्म में शरीक दूसरे तालिब-इल्म को कम उमर होने के बाइस उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है।गुजरांवाला के एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज ज़फ़रयाब की जानिब से जारी फ़ैसले के मुताबिक़ सज़ा पाने वाले एक फ़र्द की उम्र 22 साल जबकि दूसरे की उम्र महज 13 साल है। तौहीन-ए-मज़हब का जुर्म साबित होने पर 22 साला फ़र्द को मौत की सज़ा जबकि दूसरे मुल्ज़िम को नाबालिग़ होने के बाइस दो बार उम्र क़ैद की सज़ा दी गई है। जज ज़फ़रयाब ने केस का इबतिदाई फ़ैसला रवां हफ़्ते ही सुनाया था, जिसका तहरीरी फ़ैसला जुमे को जारी किया गया। तौहीन-ए-मज़हब के मुर्तक़िब दोनों अफ़राद तालिब-इल्म बताए जाते हैं जिनके ख़िलाफ़ 2022 में लाहौर के थाना एफ़आईए साइबर क्राईम में मुक़द्दमा दर्ज किया गया था। मुक़द्दमे को अदालत-ए-आलीया लाहौर के हुक्म पर गुजरांवाला की मुक़ामी अदालत मुंतक़िल किया गया था, जहां अदालत ने मुक़द्दमे की समाअत मुकम्मल कर मुल्ज़िमान पर तौहीन-ए-मज़हब का जुर्म साबित होने पर फ़ैसला जारी किया। अदालती फ़ैसले के मुताबिक़ मर्कज़ी बालिग़ मुल्ज़िम को ताज़ीरात-ए-पाकिस्तान की दफ़ा 295 सी के तहत सज़ा-ए-मौत और एक लाख रुपय जुर्माने की सज़ा दी गई हैं। अदालती फ़ैसले के मुताबिक़ मुल्ज़िम को ताज़ीरात-ए-पाकिस्तान की दफ़ा 295 ए के तहत पाँच साल क़ैद बा मशक्कत और तौहीन-ए-मज़हब का जुर्म साबित होने पर दफ़ा 298 सी के तहत तीन साल क़ैद बा मशक्कत की सज़ाएं भी काटना होंगी।
अदालती फ़ैसले के मुताबिक़ इसी मुक़द्दमे के दूसरे मुल्ज़िम को 295 ए, 295 बी, 295 सी और 298 ए के तहत इल्ज़ामात साबित होने पर मजमूई तौर पर दो मर्तबा उम्र क़ैद और दो लाख रुपय जुर्माने की सज़ाएं सुनाएँ गई हैं। फ़ैसले के मुताबिक़ दौरान समाअत ये साबित हुआ कि एक मुजरिम ग़ैर अख़लाक़ी वीडीयोज़ बनाता था जबकि दूसरा मुजरिम मज़कूरा मवाद शेयर करता था। एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज गुजरांवाला ज़फ़रयाब की जानिब से सुनाए गए अदालती फ़ैसले के ख़िलाफ़ मुजरिमान सात रोज़ में अदालते आलिया लाहौर में अपील दायर कर सकते हैं।