✒ रियाद : आईएनएस, इंडियामक्का मुकर्रमा म्यूंसिपल्टी के तर्जुमान उसामा ज़ैतूनी ने कहा कि आज़मीन-ए-हज्ज की रिहायश के लिए अब तक 2330 इमारतों को इजाज़त नामे जारी किए गए हैं। सबक़ वेबसाइट के मुताबिक़ उन्होंने कहा कि इन इमारतों में 360 कमरे हैं, जिनमें 15 लाख आज़मीन की रिहायश की गुंजाइश हो सकती है।
उन्होंने कहा कि आज़मीन-ए-हज्ज को रिहायश फ़राहम करने वाली कमेटी आज़मीन को सलामती के तक़ाज़ों को पूरा करते हुए आरामदेह रिहायश कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस वक़्त एक हज़ार इमारतों के मालिकान और सरमाया-दार दरख़ास्त जमा कर चुके हैं, जिनका कमेटी के ज़िम्मादारान की तरफ़ से मुआइना किया जा रहा है। मुआइना मुकम्मल करने के बाद जो इमारतें ज़ाबतों पर पूरा उतरेंगी, उन्हें इजाज़त नामे जारी किए जाएंगे।
बीमारी की सूरत में आजमीन-ए-हज को वैक्सीनेशन कराना जरूरी
सऊदी वज़ारत हज-ओ-उमरा ने इतवार को हज-2024 के लिए आज़मीन-ए-हज के रजिस्ट्रेशन का आग़ाज़ कर दिया है। शहरियों और ग़ैर मुल्कियों के लिए रजिस्ट्रेशन की कुछ शराइत रखी गई हैं। वज़ारत हज ने अपने एक्स एकाऊंट पर तफ़सीलात जारी की है, जिसके तहत सऊदी शहरी का शिनाख्ती कार्ड और अगर ग़ैर मुल्की है तो उनका इकामा जिल हज्ज के आख़िर तक कारा॓मद होना ज़रूरी है।वज़ारत का कहना है कि गर्दन तोड़ बुख़ार और मौसमी एन्फ्लुएंजा की वैक्सीनेशन मुकम्मल होनी चाहिए। दरख़ास्त गुज़ार के लिए ज़रूरी है कि वो किसी मुतअद्दी मर्ज़ का शिकार ना हो और लाइलाज अमराज़ में से किसी में मुबतला ना हो। हज पर जाने वाले की उम्र 15 साल से कम ना हो जबकि उम्र का ताय्युन हिजरी कैलेंडर से किया जाएगा। वज़ारत के मुताबिक़ पहली मर्तबा हज का इरादा करने वालों को तर्जीह दी जाएगी। इस शर्त से हज का इरादा करने वाली ऐसी ख़ातून का महरम मुस्तसना (अपवाद) होगा जिसने पहले कभी हज ना किया हो या पहले हज पर पाँच साल हो चुके हों। वज़ारत हज का कहना है कि इन्फ़िरादी ग्रुप में शामिल अफ़राद की इंतिहाई हद 14 है। इससे ज़्यादा अफ़राद को एक ग्रुप में शामिल नहीं किया जाएगा।
मस्जिद अल हरम में खुशबू लगाकर दाखिल हों : सउदी हिदायत
रियाद : सऊदी अरब की वजारत हज व उमरा की तरफ से जाइरीन के लिए हिदायात जारी की गई है। इन हिदायात में मस्जिद अल हरम में जियारत के आदाब और पाँच करीने बयान किए गए हैं। वजारत हज व उमरा ने वजाहत की कि मस्जिद अल हरम में जाने के आदाब में खुशबू लगाना, बेहतरीन लिबास पहनना, मस्जिद में दाखिल होने की दुआ पढ़ना और दाखिल होते वक़्त दायां पांव पहले दाखिल करना शामिल है।
वजारत हज व उमरा ने अपने एकाऊंट के जरीये मजीद कहा कि सुकून और वकार को बरकरार रखना और मस्जिद की सफाई और पाकीजगी को बरकरार रखना भी अजीम उल शान मस्जिद में आने के आदाब में शामिल हैं।