तीन दिन तक जिक्र और लंगर समेत हुए मुख्तलिफ प्रोग्राम
✒ मोहम्मद जाकिर हुसैन : •िालाई
हजरत दाता बाबा •ोला शफी शाह, रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्सपाक 29 नंवबर से 1 दिसंबर तक शान-ओ-शौकत से मनाया गया। ग्राम बीरे•ााठ, नंदिनी एयरोड्रम के करीब वाके खानकाह में तीन रोजा उर्स पाक के दौरान मुल्क के अलग-अलग हिस्सों से पहुंचे अकीदतमंद ने मुल्क की खुशहाली, हम आहंगी और तरक्की की दुआएं की। 1 दिसंबर को उर्स पाक बाबा सरकार के जां-नशीं हजरत कायम शाह वली (बाबू सरकार) की निगरानी और मौजूदगी में लंगर और फातिहा ख्वानी के साथ इख्तेताम पजीर हुआ।उर्सपाक की शुरुआत बाबू सरकार के हाथों अलम शरीफ फहराने से हुई। रात में महफिले मिलाद, लंगर, फातिहा और शिजरा ख्वानी में अकीदतमंद बड़ी तादाद में जुटे। दूसरे दिन 30 दिसंबर को सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी रहमतुल्लाह अलैह की सुन्नत की अदायगी में गागर शरीफ की रस्म अदा की गई। जिसमें खास तौर पर तैयार की गई मटकियों में पानी •ारकर खानकाह लाया गया। इसके बाद लंगर में लोग शामिल हुए और समा महफिल में मंजूर आलम साबरी ने कलाम पेश किए। उर्स के आखिरी दिन बरोजे जुमा को कुल शरीफ की फातिहा के साथ ही मुल्क में अमन व चैन की दुआएं की गईं।
आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी ने बताया कि •िालाई की इस खानकाह की संगे बुनियाद 6 दिसंबर 2007 को बाबू सरकार ने रखी थी। 13 मार्च 2008 को बाबा सरकार की सालगिरह पर इस सरजमीं पर परचमे साबरी फहराया गया और 5 दिसंबर 2012 को बाबू सरकार के मुबारक हाथों से गुंबद पर कलश लगाया गया। हाजी सिद्दीकी ने बताया कि पीरो मुरशिद हजरत दाता बाबा •ोला शफी शाह रहमतुल्लाह अलैह साबरी सिलसिले की खुसूसी हस्ती हैं जिनका मजार मुकद्दस उत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के सलेमपुर स्टेशन से 5 किमी की मुयसफत पर कस्बा मझौली राज में छोटी गंडक नदी के किनारे वाके है। उन्होंने कहा कि खानकाह में जो •ाी अकीदतमंद अपनी मुहब्बत के साथ बाबा सरकार की निशानियों की जियारत करता है, उनकी मुरादें पूरी होती है। उन्होंने बताया कि उर्स पाक में इस बार •ाी मुकामी लोगों के अलावा बिहार, यूपी, महाराष्ट्र, झारखंड, मध्यप्रदेश व दीगर रियासतों से बड़ी तादाद में अकीदतमंद पहुंचे।