✒ गाजा : आईएनएस, इंडिया
आलमी इदारा सेहत (डब्ल्यूएचओ) ने इसराईली हमले के बाद अल शिफा हस्पताल को मरीजों और जख्मियों के लिए मेडिकल सहूलयात की अदम दस्तयाबी के बाइस डेथ जोन करार दे दिया है। डब्ल्यूएचओ ने गाजा के इस सबसे बड़े हस्पताल के बारे में ये बात अपनी अकवाम-ए-मुत्तहिदा के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में कही है। डब्ल्यूएचओ ने अल शिफा हस्पताल में जमीनी हकायक की जानकारी के लिए हस्पताल तक पहुंचने की इजाजत ली थी, जिसके बाद एक फौरी जायजा मुरत्तिब किया गया।डब्ल्यूएचओ की टीम ने हस्पताल के मुख़्तसर दौरे में इसराईली फौज की बमबारी और फायरिंग के वाजेह निशानात हस्पताल की दीवारों के अलावा अंदरूनी हिस्सों में •ाी देखे। सबसे अहम बात ये कि फलस्तीनी जख्मियों और मरीजों की हस्पताल में मजबूरन बनाई गई इजतिमाई कब्र ने डब्ल्यूएचओ की टीम को सख़्त रंजीदा कर दिया। हस्पताल के अमले ने लाशों को हस्पताल से कई दिन तक निकालने की इजाजत ना मिलने के बाद हस्पताल में ही एक बड़ी इजतिमाई कब्र में बड़ी तादाद में लाशों की तदफीन का एहतिमाम हस्पताल के अंदर ही कर दिया था। डब्ल्यूएचओ ने हस्पताल के विजिट की इजाजत उस वक़्त ली, जब इसराईली फौज हस्पताल इंतिजामीया को एक घंटे के अंदर-अंदर हस्पताल छोड़कर जाने का कह दिया था। इससे कब्ल इसराईली फौज के हुक्म पर दो रोज कब्ल हस्पताल इंतिजामीया ने मरीजों और जख्मियों की बड़ी तादाद को पैदल और व्हील चेयर पर हस्पताल से मुंतकिल कर दिया था। इस बड़ी मुंतकली के बाद कब्ल अज वक़्त पैदा होने वाले नोमौलूद फलस्तीनी बच्चों समेत कुल 120 जखमी और मरीज बाकी रह गए थे। उनमें से कोई मरीज •ाी ऐसा नहीं था, जिसे एम्बूलेंस के बगैर किसी दूसरी जगह मुंतकिल किया जा सकता, ताहम इसराईली फौज ने ऐसी कोई सहूलत फराहम करने से इनकार कर दिया था।
डब्लयूएचओ की टीम की कोशिश थी कि उसे हस्पताल पहुंचने के लिए तसादुम (टकराव) से महफूज रास्ता दिया जाए। डब्ल्यूएचओ को जो रास्ता दिया गया वो •ाी फआल तसादुम वाले इलाके से गुजरता था। हस्पताल तक पहुंचने के रास्ते के आस-पास शदीद लड़ाई जारी थी। इसराईली फौज की तरफ से कम वक़्त दिए जाने पर डब्ल्यूएचओ की टीम सिर्फ एक घंटे तक हस्पताल में रह सकी। टीम ने इस दौरान हस्पताल को डेथ जोन का नाम दिया।
एक साथ 80 लाशें दफन
टीम ने इसराईली फौज की तरफ से की गई फायरिंग के निशानात और असरात को अपनी आँखों से देखा, नीज इजतिमाई कब्र देखी, ये इजतिमाई कब्र हस्पताल के दरवाजे से मुत्तसिल बनाई गई है जिसमें एक अंदाजे मुताबिक 80 लाशों को इकट्ठा दफन किया गया है। डब्लयूएचओ के बयान के मुताबिक इसराईली फौज ने हस्पताल के अहाते में पनाह लेने वाले बे-घर फलस्तीनीयों को वहां से फौरी तौर पर निकालने का हुक्म दिया। टीम ने नोट किया कि हस्पताल में तिब्बी सहूलयात के बाइस ईलाज मुआलिजा की बंदिश से कई जख्मियों का इंतिकाल हो गया। ये तादाद हालिया दिनों में कम अज कम 32 बताई गई है। इंतिहाई निगहदाशत (आईसीयू) वार्ड में 2 मरीज वेंटीलेटर्ज के बगैर रखे गए हैं। डायलीसस करवाने वाले 22 मरीजों की हालत इंतिहाई दिगर-गूँ है कि उन्हें वो सहूलत फराहम करना अब हस्पताल के लिए मुम्किन नहीं है। इसराईली फौज हस्पताल के आस-पास एक हफ़्ते से आॅप्रेशन कर रही है।कई रोज की घेराबंदी के के बाद 41 नोमौलूदों को शिफा हस्पताल से निकाल लिया गया
गाजा के हस्पतालों के डायरेक्टर मुहम्मद जकूत ने ऐलान किया है कि कई रोज के मुहासिरा के बाद बिलआखिर गाजा के शिफा मेडीकल काम्पलेक्स से तमाम 41 कब्ल अज वक़्त (प्री मैच्योर) पैदा होने वाले बच्चों को निकाल लिया गया है। उलार बया, अल हदस के नुमाइंदे ने इतवार को इत्तिला दी कि बच्चे रफा के अमीराती हस्पताल पहुंचा दिए गए हैं। हालांकि इनमें से तीन बच्चों ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।मुकामी मिस्री मीडीया के मुताबिक ये सब उस वक़्त हुआ, जब रफा क्रासिंग से एम्बूलैंसज गाजा में दाखिल हुईं ताकि बच्चों को सेहत की देख-•ााल के लिए मिस्र की तरफ ले जाया जा सके। फलस्तीनी हिलाल अहमर ने वजाहत की कि उसकी एम्बूलेंस के अमले ने इतवार के रोज डब्ल्यूएचओ और अकवाम-ए-मुत्तहिदा के दफ़्तर बराए इन्सानी हमदर्दी के राबिता के साथ मिलकर गाजा के शिफा हस्पताल से कब्ल अज वक़्त पैदा होने वाले दर्जनों बच्चों को निकालने में कामयाबी हासिल की। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में मजीद कहा कि कब्ल अज वक़्त नोमोलूद बच्चों को चंद रोज कब्ल महसूर तिब्बी मर्कज से एम्बूलेंसों के जरीये जुनूब में मुंतकिल किया गया था। इन बच्चों को मिस्र के शहर रफा में एमरेटस हस्पताल मुंतकिल किया जा रहा। फलस्तीनी वजारत-ए-सेहत ने ऐलान किया था कि बच्चों को निकाले जाने से कब्ल 120 जखमी अफराद शिफा हस्पताल में मौजूद थे। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन का अंदाजा है कि लग•ाग 2,300 लोग अब •ाी मेडीकल काम्पलेक्स में फंसे हुए हैं।
बिजली बंद होने से अस्पताल में 48 घंटों में 24 मरीजों की मौत
अल शिफा हस्पताल के इसराईली मुहासिरे के बाइस तिब्बी सहूलयात ना होने से इंतिहाई निगहदाशत (आईसीयू) वार्ड में तमाम मरीज शहीद हो गए। एएफपी के मुताबिक वजारत-ए-सेहत ने ये ऐलान ऐसे वक़्त किया, जब इसराईल ने गाजा में एक दिन में ईंधन के दो ट्रकों के दाखिले की इजाजत देने की अमरीकी दरखास्त पर रजामंदी जाहिर की। अकवाम-ए-मुत्तहिदा का कहना है कि इसराईली फौज ने अल शिफा का रेडीयालोजी डिपार्टमेंट तबाह कर दिया। अल शिफा हस्पताल के डायरेक्टर के मुताबिक अल शिफा हस्पताल के आईसीयू में कोई मरीज अब जिंदा नहीं रहा।अल शिफा में रात गए कम-अज-कम 22 फलस्तीनी जबकि 3 दिन में 55 अफराद इंतिकाल कर चुके। इससे कबल इंतिजामीया ने कहा कि अल शिफा हस्पताल में हर एक मिनट में एक फलस्तीनी शहीद हो रहा है, नौमोलूद और शीरख्वार (दूध पीते) बच्चों समेत बूढ़े और हर मरीज मौत के करीब हैं। इसराईली मुहासिरे के बाइस अल शिफा हस्पताल जिंदा लोगों के लिए खुला कब्रिस्तान बन गया है। ख्याल रहे कि अल शिफा हस्पताल में 7000 अफराद महसूर हैं, जिनमें मरीज, तिब्बी अमला और पनाह लेने वाले फलस्तीनी शामिल हैं, महसूर फलस्तीनीयों के पास ना पानी है, ना बिजली और ना ही दीगर जरूरीयात-ए-जिंदगी मयस्सर है।