मुम्किना फितना अंगेजी को देखते हुए हैदराबाद में ईद-ए-मीलाद का जुलूस न निकालने का फैसला

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✒ हैदराबाद : आईएनएस, इंडिया
 
शहर हैदराबाद में साल-ए-रवां ईद-ए-मीलाद का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। अली कादरी, सदर नशीन सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी ने एक वीडीयो पयाम में कहा कि सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी की आमिला और बेशतर नौजवानों के मश्वरा के बाद मर्कजी अंजुमन कादरिया, सीरत उन्नबी (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) एकेडेमी की जानिब से मुत्तफिका तौर पर ये फैसला किया गया है कि हर साल निकाला जाने वाला ईद-ए-मीलाद का जुलूस इस साल नहीं निकाला जाएगा। गौरतलब है कि 28 सितंबर को बिरादरान वतन का जलूस भी निकाला जाने वाला है। एक ही सड़क पर दो जुलूस निकलना मुम्किन नहीं है। शर-अंगेजी और फितना अंगेजी का खदसा हो सकता है। बाअज (कुछ) शर अंगेज अगर हमारे जलूस में दाखिल हो कर शरपसंदी कर सकते हैं जिससे शहर की फिजा खराब होने का अंदेशा है इसलिए इस साल जुलूस मंसूख कर दिया गया है।
    उन्होंने कहा कि हम ये नहीं चाहते कि नौजवानों के खिलाफ किसी भी किस्म के मुकद्दमात दर्ज हों और वो किसी भी किस्म की परेशानी में मुबतला हों। इसीलिए नौजवानों की हिफाजत के लिए मर्कजी अंजुमन कादरिया और सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी ने ये फैसला किया है कि इस साल मीलाद जलूस नहीं निकाला जाएगा इसकी बजाय घरों और खानकाहों में जश्न मनाया जाएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शहर की अमन की फिजा इंतिहाई जरूरी है। शहर की अमन की फिजा खराब होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को होता है। इसीलिए मीलाद जुलूस की मंसूखी का ऐलान किया गया है। इसकी इत्तेला पुलिस को भी दी जाती है। नौजवानों से उन्होंने गुजारिश की कि ईद-ए-मीलाद पर किसी भी किस्म के फितना अंगेजी से बचें। कतई तौर पर ऐसी कोई हरकत ना करें जिससे शहर की फिजा मुतास्सिर हो। उन्होंने कहा कि नौजवान बिलावजह सड़कों पर गशत ना करें बल्कि मसाजिद में रहें, दुरूद पाक का नजराना मुहसिन इन्सानियत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की औलाद पर भेजें। खानकाह में आसार शरीफ की जियारत करें और वाज की महफिल में शामिल हों और मीलाद जुलूस में खर्च की जाने वाली रकम गरीबों को अनाज देने में खर्च करें। 

    शहर हैदराबाद में साल-ए-रवां ईद-ए-मीलाद का जुलूस नहीं निकाला जाएगा। अली कादरी, सदर नशीन सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी ने एक वीडीयो पयाम में कहा कि सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी की आमिला और बेशतर नौजवानों के मश्वरा के बाद मर्कजी अंजुमन कादरिया, सीरत उन्नबी (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) एकेडेमी की जानिब से मुत्तफिका तौर पर ये फैसला किया गया है कि हर साल निकाला जाने वाला ईद-ए-मीलाद का जुलूस इस साल नहीं निकाला जाएगा। गौरतलब है कि 28 सितंबर को बिरादरान वतन का जलूस भी निकाला जाने वाला है। एक ही सड़क पर दो जुलूस निकलना मुम्किन नहीं है। शर-अंगेजी और फितना अंगेजी का खदसा हो सकता है। बाअज (कुछ) शर अंगेज अगर हमारे जलूस में दाखिल हो कर शरपसंदी कर सकते हैं जिससे शहर की फिजा खराब होने का अंदेशा है इसलिए इस साल जुलूस मंसूख कर दिया गया है।
    उन्होंने कहा कि हम ये नहीं चाहते कि नौजवानों के खिलाफ किसी भी किस्म के मुकद्दमात दर्ज हों और वो किसी भी किस्म की परेशानी में मुबतला हों। इसीलिए नौजवानों की हिफाजत के लिए मर्कजी अंजुमन कादरिया और सीरत उन्नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम एकेडेमी ने ये फैसला किया है कि इस साल मीलाद जलूस नहीं निकाला जाएगा इसकी बजाय घरों और खानकाहों में जश्न मनाया जाएगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शहर की अमन की फिजा इंतिहाई जरूरी है। शहर की अमन की फिजा खराब होती है तो सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों को होता है। इसीलिए मीलाद जुलूस की मंसूखी का ऐलान किया गया है। इसकी इत्तेला पुलिस को भी दी जाती है। नौजवानों से उन्होंने गुजारिश की कि ईद-ए-मीलाद पर किसी भी किस्म के फितना अंगेजी से बचें। कतई तौर पर ऐसी कोई हरकत ना करें जिससे शहर की फिजा मुतास्सिर हो। उन्होंने कहा कि नौजवान बिलावजह सड़कों पर गशत ना करें बल्कि मसाजिद में रहें, दुरूद पाक का नजराना मुहसिन इन्सानियत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की औलाद पर भेजें। खानकाह में आसार शरीफ की जियारत करें और वाज की महफिल में शामिल हों और मीलाद जुलूस में खर्च की जाने वाली रकम गरीबों को अनाज देने में खर्च करें। 


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