लड़कियों ने इबाया उतारने से किया इंकार, प्रिंसिपल को जान से मारने की धमकी, एक गिरफ्तार

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इबाया पर पाबंदी का मकसद मुस्लिम अकलीयत को हिरासां करना 

न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया 
अमरीकी हुकूमत के एक मुशावरती (सलाहकार) पैनल ने जुमे के रोज इत्तिहादी फ्रÞांस की तरफ से स्कूल की तालिबात के इबाया पहनने पर पाबंदी की मुजम्मत (निंदा) करते हुए कहा कि पूरे जिस्म को छिपाने वाले लंबे और ढीले-ढाले लिबास पर पाबंदी का मकसद मुस्लिम अकलीयत को हिरासां करना है। पैनल ने कहा कि अमरीकी कमीशन, बराए बैन-उल-अकवामी मजहबी आजादी हुकूमत को सिफारिश पेश करता है लेकिन वो खुद पालिसी मुरत्तिब नहीं करता। 
    कमीशन के सरबराह, अब्राहम कूपर ने इबाया पर पाबंदी को सेक्योलारिजम की फ्रÞांसीसी कदर को फरोग देने की कोशिश करार दिया। कूपर ने एक बयान में कहा कि फ्रÞांस मजहबी गिरोहों, खास तौर पर मुस्लमानों को निशाना बनाने और धमकाने के लिए सेक्योलारिजम की एक मखसूस तशरीह (विशेष प्रचार) को जारी रखे हुए है। उन्होंने कहा कि किसी भी हुकूमत को अपनी आबादी पर किसी मखसूस मजहब को मुसल्लत करने के लिए अपना इखतियार इस्तिमाल नहीं करना चाहिए, लेकिन सेक्योलारिजम को फरोग देने के लिए अफराद के मजहबी अकाइद के पुरअमन अमल पर पाबंदी भी नहीं लगाया जाना चाहिए। 
    फ्रÞांस के वजीर-ए-तालीम गैब्रियल अटल ने गुजिश्ता माह ऐलान किया था कि स्कूल अब लड़कियों को इबाया पहनने की इजाजत नहीं देंगे। 2004 में फ्रÞांस ने स्कूल के बच्चों को ऐसे निशानात या लिबास पहनने पर पाबंदी लगा दी थी जिससे तालिबे इल्म की जाहिरी तौर पर मजहबी वाबस्तगी जाहिर होती है। इसके अलावा सिर पर स्कार्फ, पगड़ी और बड़ी सलीब को गै़रकानूनी करार दे दिया है। लेकिन इबाया की सूरत-ए-हाल कुछ मुख़्तलिफ रही जिसके बारे में कुछ खवातीन ने कहा था कि वो उन्हें मजहबी अकीदे की बजाय अपनी सकाफ़्ती शनाख़्त (सांस्कृतिक पहचान) की वजह से पहनती हैं। कदामत पसंद फ्रÞांसीसी सियासतदानों ने पाबंदियों को वसीअ करने की कोशिश की है। इंतिहाई दाएं बाजू की रहनुमा मैरीन लीपेन ने, जो गुजिश्ता साल के सदारती इंतिखाबात में सदर एमानोयल के बाद दूसरे नंबर पर आई थीं, सड़कों पर नकाब पहनने पर पाबंदी के लिए मुहिम चलाई है। 
    इबाया पर पाबंदी की फ्रÞांस में कुछ मुस्लिम रहनुमाओं और बाएं बाजू के सख़्तगीर सियासी रहनुमा ने इबाया पर पाबंदी लगाए जाने की मुजम्मत करते हुए इसे तफरीक (भेदभाव) को हवा देने से ताबीर किया। अमरीकी कमीशन बराए बैन-उल-अकवामी मजहबी आजादी दोनों बड़ी सियासी जमातों के मुकर्रर करदा अफराद पर मुश्तमिल है, लेकिन इसकी कुछ सिफारिशात को महकमा-ए-खारजा (विदेश विभाग) ने कई बार नजरअंदाज किया है। मुत्तहदा अमरीका भी एक सेक्यूलर मुल्क है, जहां चर्च और रियासत में आईनी अलहदगी है लेकिन वो सेक्योलारिजम की मुख़्तलिफ तशरीह है।

लड़कियों ने इबाया उतारने से कर दिया इंकार 

पेरिस : उधर फ्रÞांस में हुकूमत की तरफ से तालीमी इदारों में इबाया पर पाबंदी के मुतनाजे (विवादित) फैसले के खिलाफ मुस्लमान कम्यूनिटी की तरफ से सख़्त रद्द-ए-अमल सामने आ रहा है। स्कूलों की इंतिजामीया को इबाया उतारने में सख़्ती बरतने पर धमकियां मिल रही है, जबकि दर्जनों मुस्लमान लड़कियों ने इबाया उतारने से साफ इंकार कर दिया, जिस पर उन्हें स्कूलों में दाखिल नहीं होने दिया गया। 

    

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