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मॉब लिंचिंग और नाबालिग की इस्मतदरी के कसूरवारों को हो सकती है सजा-ए-मौत, बिल पेश

15 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
सनीचर, 02 सितंबर, 2023
अकवाले जरीं
‘अल्लाह के जिक्र के बिना ज्यादा बातें न किया करो, ज्यादा बातें करना दिल की कसादत (सख्ती) का सबब बनता है और सख्त दिल शख्स अल्लाह को पसंद नहीं।’
- मिश्कवात
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

मर्कजी वजीर-ए-दाखिला (केंद्रीय गृहमंत्री) अमित शाह ने पार्लियामेंट के मानसून इजलास के आखिरी दिन लोक सभा में तीन नए बिल पेश किए। इनमें इंडियन जस्टिस कोड 2023, इंडियन सिविल डिफेंस कोड 2023 और इंडियन एवीडेंस बिल 2023 शामिल हैं। ये बिल इंडियन पेनलकोड, कोड आफ क्रीमिनल प्रोसीजर बर्तानवी दौर के एवीडेंस एक्ट की जगह लेंगे। 
मॉब लिंचिंग और नाबालिग की इस्मतदरी के कसूरवारों को हो सकती है सजा-ए-मौत, बिल पेश

    तीनों बिलों को जांच के लिए पारलीमानी कमेटी को भिजवाया जाएगा। इन बिलों में मोब लंचिंग और नाबालिग की इस्मतदरी के लिए सजा-ए-मौत का इंतिजाम रखा गया है। इसके अलावा गद्दारी के मुकद्दमात में भी तबदीलियां की गई हैं। तीनों बिल पेश करते हुए अमीत शाह ने कहा कि पुराने कवानीन का फोकस बर्तानवी इंतेजामीया को मजबूत और तहफ़्फुज फराहम करना था। 1860 से 2023 तक मुल्क का फौजदारी इन्साफ का निजाम बर्तानवी कवानीन के मुताबिक था। नए बिलों का मकसद सजा नहीं बल्कि इन्साफ है। उन्होंने कहा कि वजीर-ए-आजम ने गुजिश्ता 15 अगस्त को लाल किला की फसील से मुल्क के सामने 5 कस्में खाई थीं। उनमें से एक ये अह्द था कि हम गु़लामी के तमाम आसार को खत्म कर देंगे। आज मैं जो तीन बिल लाया हूं, वो तीनों मोदी जी के लिए गए वादों में से एक को पूरा कर रहे हैं। 
    नए बिल में गद्दारी की दफआत को मुकम्मल तौर पर खत्म कर दिया जाएगा जो आईपीसी की जगह लेगा। मॉब लिंचिंग और नाबालिगों की इस्मतदरी के मुआमलात में सजा-ए-मौत का इंतिजाम किया जाएगा। सरकारी मुलाजमीन के खिलाफ मुकद्दमा चलाने के लिए 120 दिन के अंदर इजाजत देनी होगी। इसके अलावा दाऊद इब्राहीम जैसे मफरूर (फरार) मुजरिमों के खिलाफ उनकी गैरमौजूदगी में मुकद्दमा चलाने का प्रोविजन लाया गया है। 
    अलहदगी पसंद सरगर्मियों, मुसल्लह बगावत, मुल्क की खुदमुख्तारी, इत्तिहाद या सालमीयत को खतरे में डालने से मुताल्लिक जराइम दर्ज किए जाएंगे। खवातीन और बच्चों के खिलाफ जराइम पर खुसूसी तवज्जा दी जाएगी। दहश्तगर्दी की सरगर्मियों और मुनज्जम जराइम को सख़्त सजाओं के साथ जोड़ा गया है। झूटी शिनाख़्त देकर जिन्सी ताल्लुक कायम करने वाले को जुर्म के जुमरे में रखा गया है।


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