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कुरआन की बे-हुरमती इजहार-ए-राय की आजादी नहीं : मेंहदी आगा

शाहीन बाग  में तकद्दुस कुरआन-ए-अजीम कान्फें्रस 

शाहीन बाग  में तकद्दुस कुरआन-ए-अजीम कान्फें्रस

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

गुजिश्ता शब दार-उल-उलूम इमदादिया शाहीन बाग के जेरे एहतिमाम तकद्दुस कुरआन अजीम कान्फें्रस के उनवान से अजीमुश्शान कान्फें्रंस का इनइकाद किया गया। दो नशिस्तों पर मुश्तमिल प्रोग्राम की पहली नशिस्त की सदारत डाक्टर सैय्यद फारूक और निजामत मुफ़्ती मंसूर कासिमी ने की जबकि दूसरी नशिस्त की सदारत मौलाना महमूद उल-हसन मुहतमिम मुदर्रिसा तजवीद उल-कुरआन, आजाद मार्केट दिल्ली ने की, निजामत के फराइज कान्फे्रंस के सरपरस्त और मुंतजिम मुफ़्ती अफरोज आलम कासिमी ने अंजाम दिए। 
    हज उल इस्लाम आगा मह्दी, महदवी पुर, नुमाइंदा वली फकीह जम्हूरीया ईरान, आयत उल्लाह अली खामनाई, मौलाना मुहम्मद सादिक हुसैनी, मुफ़्ती अब्दुल राजिक, जनरल सेक्रेटरी जमईयत उल्मा हिंद, सूबा दिल्ली, इनाम अल रहमान, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मौलाना अजहर मदनी, मर्कजी जमईयत अहल-ए-हदीस हिंद और मुफ़्ती अहमद नादिर अल कासिमी, मुफ़्ती इस्लामिक फिक़्ह एकेडमी इंडिया वगैरह ने बतौर मेहमानाने खुसूसी शिरकत की। प्रोग्राम के इफ़्तिताह से कब्ल शाल पोशी के जरीया तमाम मेहमानों का इस्तिकबाल किया गया। हज उल इस्लाम आगा मह्दी, महदवी पुर, नुमाइंदा वली फकीह जमहूरीया ईरान ने अजमत-ए-कुरआन और एजाज-ए-करानी पर तफसीली गुफ़्तगु और मौजूदा दौर में हिफ़्ज कुरआन, तफसीर कुरआन और तजवीद कुरआन की एहमीयत-ओ-इफादीयत पर रोशनी डाली।
    उन्होंने इस मौका पर कुरआन मुकद्दस के खिलाफ सहयोनी ताकतों की साजिÞशों की भी मुजम्मत की और कहा कि हम तमाम मजाहिब की मुकद्दस किताबों की ताजीम करते हैं। कुरआन की बे-हुरमती करना आजादी राय नहीं बल्कि एक तरह की दहश्तगर्दी है, इसके खिलाफ तमाम हुकूमतों को सख़्त कानून बनाना चाहिए ताकि कोई भी कुरआन मुकद्दस की बे-हुरमती की जुरात ना कर सके। आगा महदवीपुर ने कान्फें्रस के इनइकाद पर अल इमदादिया ट्रस्ट, मुफ़्ती अफरोज आलम कासिमी और कारी इर्फान असगरी का शुक्रिया भी अदा किया। आगा मह्दी महदवी पूर के खिताब की तर्जुमानी मौलाना सादिक हुसैनी ने की। डाक्टर सैय्यद फारूक ने हाफिज होने वाले तलबा को इनामात से नवाजा और कुरआन के तकद्दुस पर मुनाकिदा इस प्रोग्राम को अहम और वक़्त की जरूरत करार दिया। 
    कान्फें्रस के मुंतजिम और सरपरस्त मुफ़्ती अफरोज आलम कासिमी ने ख़्यालात का इजहार करते हुए कहा कि ये कान्फें्रस सारी इन्सानियत और तमाम तबकों की रहनुमाई का रास्ता हमवार करने का जरीया है। हर दौर में इत्तिहाद उल्मा, उम्मत ने कुरआन-ओ-हदीस की रोशनी में इन्किलाब बरपा किया है। पूरी दुनिया के इन्सानों के दिलों को मुजतमा करने का वाहिद जरीया कुरआन-ए-करीम है। मौलाना महमूद उल हसन, मुहतमिम मुदर्रिसा तजवीद उल कुरआन ने दार-उल-उलूम इमदादिया की खिदमात को सराहते हुए हाफिज होने वाले बच्चों की दस्तारबन्दी को इलमी सरफराजी करार दिया। इस मौका पर मुदर्रिसा दार-उल-उलूम इमदादिया के कई तलबा-ए-अजीज की दस्तारबंदी के अलावा तसहील उल-कुरआन मौलाना अनवार कासिमी और कुरआन के लेखक हज्जुल इस्लाम डाक्टर अहसन जमानी की किताबों का इजरा भी अमल में आया। 
    मुफ़्ती अब्दुल राजिक, जनरल सेक्रेटरी जमईयत उल्मा हिंद, सूबा दिल्ली, इनामुर्रहमान, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मौलाना अजहर मदनी, मर्कजी जमईयत अहल-ए-हदीस हिंद और मुफ़्ती अहमद नादिर अल कासिमी, मुफ़्ती इस्लामिक फिक़्ह एकेडमी इंडिया वगैरा ने भी कान्फ्रÞैंस से खिताब किया और कुरआन की अजमत और हिफ़्ज कुरआन की जरूरत पर रोशनी डाली। आखिर में अल इमदादिया ट्रस्ट के डायरेक्टर और तकद्दुस कुरआन कान्फें्रस के कन्वीनर कारी इर्फान असगरी ने मुख़्तलिफ मकातिब फिक्र और तन्जीमों से तशरीफ लाए तमाम मेहमानों और सामईन का शुक्रिया किया। 


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