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हरमैन शरीफैन में मजहबी उमूर की निगरानी का जिम्मा नई एजेंसी को

हरमैन शरीफैन में मजहबी उमूर की निगरानी का जिम्मा नई एजेंसी को

रियाद : आईएनएस, इंडिया 

सऊदी अरब की काबीना ने इस्लाम की दो मुकद्दस तरीन मसाजिद में मजहबी उमूर की निगरानी के लिए एक नई आजाद एजेंसी के कयाम ΄ार इत्तिफाक किया है। सऊदी ΄ो्रस एजेंसी के मुताबिक ये एजेंसी मक्का मुकर्रमा में मस्जिद अल हरम और मदीना मुनव्वरा में मस्जिद नबवी (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के मजहबी उमूर की सदारत कहलाएगी। 
    ये एजेंसी दोनों मसाजिद में अइम्मा (इमाम) और मोअज्जिन की निगरानी करेगी। मजहबी उमूर के अलावा वहां ΄ोश किए जाने वाले मजहबी अस्बाक और सेमीनारों की निगरानी की जिÞम्मेदारियाँ सँभालेगी। इस वक़्त उनकी निगरानी की जिÞम्मेदार सदारत-ए-आम्मा बराए हरमैन शरीफैन (मस्जिद अल हरम और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) है। काबीना ने सदारत-ए-आम्मा बराए हरमैन शरीफैन जनरल ΄ो्रजीडेंंसी का नाम तबदील करके जनरल अथार्टी बराए अल हरम और मस्जिद नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम रखने का भी फैसला किया है। 
    नाम की तबदीली के बाद ये नई एजेंसी माली और इंतिजामी तौर ΄ार आजाद होगी और तंजीमी तौर ΄ार ममलकत के शाह से वाबस्ता होगी। ये दोनों मुकद्दस मसाजिद में खिदमात, आॅ΄ा्रेशन्ज, तामीर व मरम्मत और तरक़्कीयाती कामों का इंतिजाम संभालेगी। इसका एक इंतिजामी बोर्ड होगा, जिसके सरबराह और अरकान की तकर्रुरी शाही फरमान के जरीये किया जाएगा।

हर दस मिनट पर एक तलाक

सऊदी महकमा शुमारियात ने कहा है कि 2022 के दौरान ममलकत में तलाक की शरह में रिकार्ड इजाफा हो गया है, रोजाना की बुनियाद पर औसतन 168 तलाक हुई है। सऊदी अखबार के मुताबिक महकमा शुमारियात ने आदाद-ओ-शुमार के हवाले से बताया कि मुल्कभर में हर घंटे पर सात तलाक हुईं और हर दस मिनट पर एक तलाक हुआ। महकमा शुमारियात का कहना है 2022 के आखिरी महीनों के दौरान 70 हजार 595 तलाक नामे जारी हुए। 2019 के मुकाबले में 12.7 फीसद इजाफा हुआ है। माहिरीन का कहना है कि ममलकत में तलाक की शरह में इजाफे का सबसे बड़ा जिÞम्मेदार सोशल मीडीया है। कई ने जहनी रहनुमाई, समाजी तबदीली, खानदानी उमूर और कानून से ना वाकफीयत को इसकी वजह करार दिया है।

लाईव फैशन शो के लिए परमिट जारी करने का ऐलान

सऊदी फैशन अथार्टी ने सकाफ़्ती (सांस्कृतिक) लाईसेंस और इजाजत नामों के लिए मुत्तहिद (यूनाईटेड) इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म ‘अब्दुह’ के जरीये फैशन सरगर्मियों के लिए लाईव फैशन शो मुनाकिद करने के इजाजत नामा जारी करने का ऐलान किया है। इसका मकसद फैशन के शोबे में इदारों को इस काबिल बनाना है कि वो ममलकत में फैशन शोज के मेयार और तादाद को मुनज्जम करने और उसे बेहतर बनाने में शामिल होकर कौमी फैशन को फरोग देने की कोशिशों की हिमायत कर सके। इसमें दिलचस्पी और बेदारी की सतह को बुलंद करें और इस शोबे को तरक़्की के काबिल बनाएं। 
    अथार्टी ने इजाजतनामा हासिल करने के लिए कई तकाजे रखे हैं, जिनमें पेशकश की मुकम्मल तफसीलात आम हालात और कन्ट्रोलज की पाबंदी, शो के मुकाम के लिए इबतिदाई रिजर्वेशन मुंसलिक करना, तमाम मतलूबा शराइत और तरीका-ए-कार को पूरा करने का अह्द करने के अलावा, मुआविन (सहयोगी) एजेंसियों और दीगर मुताल्लिका (संबंधित) सरकारी एजेंसियों के तकाजों पर अमल करना शामिल है। शराइत में कहा गया है कि इजाजतनामा जारी होने के बाद कोई भी फरीक (पक्ष) नई खिदमात से फायदा नहीं उठा सकता, इसे हासिल करने के ख्वाहिशमंदों से मुतालिबा किया जाता है कि वो अपनी दरखास्त अब्दुह प्लेटफार्म के जरीये जमा कराएं। 
    ये काबिल-ए-जिÞक्र है कि फैशन अथार्टी का कयाम वजारत-ए-सकाफत (संस्कृति मंत्रालय) के जहूर और उसके अहम एहदाफ के साथ सामने आया है ताकि ममलकत में फैशन के शोबे को फआल (सक्रिय) बनाया जा सके। अथार्टी का किरदार फैशन से वाबस्ता कम्यूनिटी को सपोर्ट करने और सेक्टर के लिए तरक़्कीयाती माहौल तैयार करने पर मर्कूज है, जबकि इस बात को यकीनी बनाता है कि ये डिजाइन के अमल से शुरू हो कर, पैदावार, तरक़्की और प्रोडक्ट लाइफ साईकल मैनिजमेंट के जरीये वैल्यू के तमाम मराहिल का अहाता करता है। 
    फैशन अथार्टी का विजन और हिदायात सकाफ़ती माहौल और तखलीकी सलाहीयतों समेत मुतअद्दिद स्ट्रेटजिक महवरों में मौजूद कमजोरीयों को दूर करने पर मुहीत है। इल्म और तालीमी निजाम को तशकील देने और तखलीकी सलाहीयतों और तखलीकात को फरोग देने वाले सकाफ़्ती माहौल के कियाम के हवाले से, आजकल ममलकत में फैशन के शोबे में मसनूआत की तरक़्की के मैदान में बहुत महिदूद सलाहीयतें और खिदमात दस्तयाब हैं।

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