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इस्लामो फोबिया : मुल्कों की हजारों साल की तरक्की को पहुंचा रहा है नुकसान

इस्लामो फोबिया : मुल्कों की हजारों साल की तरक्की को पहुंचा रहा है नुकसान

न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया 

पाकिस्तान के निगरां वजीर-ए-आजम अनवार उल-हक काकढ ने कहा कि इस्लामो फोबिया समेत इस तरह के ख़्यालात ने इंतिहापसंदी, नफरत और मजहबी अदम बर्दाश्त को जन्म दिया है, उन्होंने कहा कि बाहमी एहतिराम, मजहबी अलामात, सहीफों (धर्म ग्रंथों) और मुकद्दस हस्तियों के तकद्दुस (पवित्रता) को यकीनी बनाए जाने की जरूरत है। इन ख़्यालात का इजहार उन्होंने जुमा को अकवाम-ए-मुत्तहिदा की जनरल असेंबली के 78वीं इजलास से खिताब करते हुए किया। 
    उन्होंने कहा कि तहजीबों के दरमयान तआवुन, तबादला-ए-ख्याल और नजरियात की तरकीब पर मबनी (आधारित) हमारी तरक़्की आज खतरे में पड़ी हुई है, तहजीबों के दरमयान तसादुम (टकराव) की हिमायत करने वाले बयानों ने इन्सानी तरक़्की को काफी नुक़्सान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि ये एक पोशीदा खतरा है जो हजारों साल की तरक़्की को नुक़्सान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा, हमें अपने तनव्वो (विविधत) और जिंदगी के मुख़्तलिफ तरीकों को समझने की जरूरत है, बाहमी एहतिराम, मजहबी अलामात, सहीफों और मुकद्दस हस्तीयों के तकद्दुस को यकीनी बााने की जरूरत है। 
    उन्होंने कहा कि इस्लामो फोबिया एक पुराना रुजहान है, ताहम नाइन इलेवन के दहश्त गरदाना हमलों के बाद उसने वबाई शक्ल इखतियार कर ली है और इस सिलसिला में इस्लाम के मुकद्दस मुकामात और अलामतों पर हमले किए जा रहे हैं और कुरान-ए-पाक को सर-ए-आम नजर-ए-आतिश करने के वाकियात पेश आए हैं। वजीर-ए-आजम ने कहा कि पिछले साल जनरल असेंबली ने ओआईसी की जानिब से पाकिस्तान की तरफ से तजवीज करदा एक करारदाद (प्रस्ताव) मंजूर की जिसमें 15 मार्च को इस्लामो फोबिया से निमटने का आलमी दिन करार दिया गया है। 
    रवां साल के अवाइल (शुरुआत) में इन्सानी हुकूक काउंसिल ने पाकिस्तान की तरफ से पेश की गई ओआईसी की एक करारदाद मंजूर की थी जिसमें रियास्तों पर जोर दिया गया था कि वो कुरान-ए-पाक को जलाने और इसी तरह की इश्तिआल अंगेजिÞयों को गै़रकानूनी करार दें। उन्होंने कहा, हम डेनमार्क की तरफ से शुरू की गई कानूनसाजी और स्वीडन की तरफ से मुआमला पर गौर करने का खैरमकदम करते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और ओआईसी ममालिक इस्लामो फोबिया से निमटने के लिए मजीद इकदामात तजवीज करेंगे जिसमें खुसूसी एलची की तकरुर्री, इस्लामो फोबिया डेटा सेंटर की तशकील, मुतास्सिरीन को कानूनी मदद और इस्लामो फोबिया के जराइम की सजा के लिए एहतिसाबी अमल है।


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