✒ हैदराबाद : आईएनएस, इंडिया
वक्फ बोर्ड की जानिब से सुल्तान बाजार में औकाफी जायदादों (अचल संपत्ति) के किराया से मुताल्लिक 27 लाख रुपय बकाया माफ करने का मामला सामने आया है। इसकी जानकारी मिलने पर महकमा अकलीयती बहबूद (अल्पसंख्यक कल्याण विभाग) ने वक़्फ बोर्ड के फैसले की सख़्त नोटिस लेते हुए अहकाम वापस लेने की हिदायत दी है।सेक्रेटरी अकलीयती बहबूद सय्यद उमर जलील ने इस सिलसिले में गुजिशता रोज बाकायदा मेमो जारी करके चीफ एग्जीक्यूटिव आॅफीसर तेलंगाना वक़्फ बोर्ड को अहकाम की मंसूखी (रद्द करने) और इस बारे में फौरी तौर पर हुकूमत को रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी है। सेक्रेटरी अकलीयती बहबूद ने 13 नवंबर को चीफ एग्जीक्यूटिव आॅफीसर वक़्फ बोर्ड को मेमो जारी करके तफसीली रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने वक़्फ बोर्ड से मुताल्लिका फाईल पेश करने की हिदायत दी। चीफ एग्जीक्यूटिव ने 21 सितंबर को सेक्रेटरी अकलीयती बहबूद को रिपोर्ट रवाना की जिसमें वजाहत की गई कि रुक्न असेंबली कौसर मुही उद्दीन, जो वक़्फ बोर्ड के रुक्न हैं, उनकी सिफारिश पर सदर नशीन वक़्फ बोर्ड मसीह अल्लाह खां ने 37 लाख किराया के बकायाजात को घटा कर 10 लाख करने से मुताल्लिक फैसला की इत्तिला दी। इस फैसले से वक़्फ बोर्ड को 27 लाख का नुक़्सान हुआ।
सेक्रेटरी अकलीयती बहबूद ने रिपोर्ट के साथ फाईल पेश ना करने पर बरहमी (नाराजगी) का इजहार किया और एक और मेमो जारी किया। फाईल और चीफ एग्जीक्यूटिव आॅफीसर की रिपोर्ट का जायजा लेने के बाद सय्यद उमर जलील ने अहकाम जारी किए और किराया बकायाजात में 27 लाख की कमी और माहाना 10 हजार रुपय किराया मुकर्रर करने के अहकामात वापिस लेने की हिदायत दी है। उमर जलील ने अहकामात में चीफ एग्जीक्यूटिव आॅफीसर के जवाब का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि इस मसले को सदर नशीन के रूबरू पेश किया गया। सदर नशीन ने एस ललीता के नाम पर किरायानामा मुंतकिल करने के अहकामात जारी किए और माहाना 10 हजार रुपय किराया मुकर्रर किया गया। 10 लाख में 4 लाख अदा किए गए और 6 लाख बकाया के लिए छ: माह का वक़्त दिया गया। सीईओ ने बकायाजात के लिए नोटिस की इजराई और रुक्न असेंबली के सिफारशी मकतूब (लेटर) की भी तफसीलात पेश की।
सेक्रेटरी अकलीयती बहबूद ने कहा कि 37 लाख से घटाकर 10 लाख रुपय तए करना वक़्फ बोर्ड के मालीयाती मुफाद के खिलाफ है और माहाना 10 हजार रुपय किराया मुकर्रर करना वक़्फ ऐक्ट की खिलाफवरजी है। सेक्रेटरी ने वक़्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 97 के तहत इस मुआमले का तफसीली जायजा लेते हुए वक़्फ बोर्ड को हिदायत दी है कि किराया के बकायाजात में कमी और 10 हजार रुपय किराया मुकर्रर करने से मुताल्लिक अहकामात फौरी वापिस लिए जाएं और इसकी हुकूमत को इत्तिला दी जाए।
वाजिह रहे कि लीज होल्डर के इंतिकाल के बाद किरायादारों ने किराया की अदायगी रोक दी और वक़्फ बोर्ड से रुजू हो कर रास्त किरायादार बनाने दरखास्त की। साल 2016 में एस ललीता ने दरखास्त दाखिल करते हुए वालिद की जगह लीज होल्डर मुकर्रर करने की अपील की। अगस्त 2022 तक मलगयात (बिक्री) के किराया के बकायाजात 3758663 हो गए जिसके लिए नोटिस जारी की गई। मजलिस के रुकन असेंबली (विधानसभा सदस्य) कौसर मुही उद्दीन ने 7 सितंबर 2022 को सीईओ को मकतूब रवाना करते हुए ललीता के नाम पर लीज एग्रीमेंट की तजदीद (नवीनीकरण) और माहाना 10 हजार रुपय किराया मुकर्रर करने की सिफारिश की। सदर नशीन वक़्फ बोर्ड ने 37 लाख के बकायाजात को कम करते हुए 10 लाख कर दिया था। मुकामी अफराद का कहना है कि वक़्फ बोर्ड को चाहिए कि वो मजकूरा बिक्री को अपनी निगरानी में लेकर ओपन आॅक्शन के तहत किराया पर अलाट करें। गौरतलब है कि सुलतान बाजार जैसे इलाके में 40 से 50 हजार किराया हासिल हो सकता है।