25 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
इतवार, 13 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं‘अल्लाह के जिक्र के बिना ज्यादा बातें न किया करो, ज्यादा बातें करना दिल की कसादत (सख्ती) का सबब बनता है और सख्त दिल शख्स अल्लाह को पसंद नहीं।’
- मिश्कवात
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काबुल : आईएनएस, इंडिया
अफ़्गानिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी बख़्तार की तरफ से इतवार को शाइआ होने वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान की मजहबी पुलिस ने मगरिबी (पूर्वी) सूबे हिरात में मुबय्यना तौर पर मौसीकी के मुतअद्दिद (कई) आलात (इंस्ट्रूमेंट्स) जला दिए। तालिबान ने 1990 की दहाई के आखिर में, जब वो आखिरी मर्तबा इकतिदार में थे, मौसीकी पर पाबंदी लगा दी थी। अस्करीयत पसंद ग्रुप ने अब मौसीकी के आलात, जो उनके बाकौल नौजवानों को गुमराह और मुआशरे को तबाह कर सकते हैं, को जलाना शुरू कर दिया है। अफ़्गानिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी बख़्तार ने इतवार को बताया कि तालिबान की मजहबी पुलिस ने मगरिबी सूबे हिरात में मुबय्यना तौर पर मौसीकी के मुतअद्दिद आलात जला दिए। रिपोर्ट के मुताबिक अफ़्गानिस्तान की वजारत बराए उमर बिल मारुफ अलमनकर के सुबाई सरबराह शेख अजीज अल रहमान ने कहा कि मौसीकी नौजवानों की गुमराही और मुआशरे की तबाही का बाइस बनती है और लोग बद उनवान हो सकते हैं।तालिबान ने 1990 की दहाई में, जब आखिरी मर्तबा अफ़्गानिस्तान पर उनका कंट्रोल था, गैर मजहबी मौसीकी पर पाबंदी लगा दी थी। इस बारे में मंजर-ए-आम पर आने वाली तस्वीरों में मौसीकी के मुतअद्दिद आलात ब शमूल गिटार, हारमोनियम वगैरा को जलते हुए देखा जा सकता है। जिस जगह ये कार्रवाई की गई, वहां तालिबान के अहलकार खड़े दिखाई दे रहे हैं। अफ़्गानिस्तान में मौसीकी की कदीम रिवायती शक्ल एक अर्से से उस रियासत की सकाफ़्त रही है, जो ईरानी और भारती क्लासिकी मौसीकी से मुतास्सिर है। ताहम अफ़्गानिस्तान में अब एक ऐसा पाप-म्यूजिक भी तेजी से फरोग पा रहा है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक आलात का ज्यादा से ज्यादा इस्तिमाल हो रहा है।
रूहानी इलाज
घर में लड़ाई-झगड़ा, रुपए-पैसों की तंगी, बे-बरकती, नुहूसत और जिन्नाती असरात दूर करने के लिए ‘सूरह जिन्न’ और ‘सूरह मुजम्मिल’ 3-3 बार (अव्वल-आखिर 3-3 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर आजवाइन और लोबान पर दम करें और 7 या 11 दिन धूनी लगाएं और दुआ कर लें। इन्शा अल्लाह घर में लड़ाई-झगड़ा खत्म होकर तंगदस्ती, बे-बरकती, नुहूसत और जिन्नाती असरात दूर हो जाएंगे।
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