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अल्लाह के यहां सबसे ज्यादा इज्जत वाला वह है, जो मुत्तकी और परहेजगार हो

28 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
मंगल, 21 मार्च 2023

मदरसा मोईनुली इस्लाम छितौना में जलस-ए-दस्तारबंदी बनाम इस्लाहे मुआशरह निजामी कान्फें्स

नई तहरीक : महाराजगंज
दारुल उलूम अहले सुन्नत मोईनुल इस्लाम, छितौना, मेघौली कलां, निचलौल बाजार का जलसा-ए-दस्तारबंदी बनाम इस्लाहे मुआशरह निजामी कान्फेंस मुनाकिद हुआ। जलसे की सरपरस्ती हजरत अल्लामा मुफ्ती हबीबुर्रहमान, गया शरीफ, संत कबीर नगर ने व सदारत आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन, मदारिसे अरबिया यूनिट, महाराजगंज के सदर हजरत मौलाना गयासुददीन खान निजामी, प्रिंसिपल मदरसा मोईनुल इस्लाम ने की।
मदरसा मोईनुली इस्लाम छितौना में जलस-ए-दस्तारबंदी बनाम इस्लाहे मुआशरह निजामी कान्फें्स
    जलसे से खिताब करते हुए हजरत अल्लामा मुख्तरुल हसन बगदादी, फैजाबाद ने कहा कि इस्लाम में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, आका-गुलाम और जात-पात की कोई अहमियत नहीं है। मस्जिद की लाईन और कब्रिस्तान की कब्रों में सब इंसानों की हैसियत एक जैसी है, लेकिन आलिम और जाहिल बराबर नहीं है। 
उन्होंने मजीद कहा कि अल्लाह के यहां सबसे ज्यादा इज्जत वाला वह है, जो मुत्तकी व परहेजगार हो। मौलाना अमजद अली निजामी, जामिया रिज्विया, सिविल लाईन ने कहा कि नमाज एक ऐसी इबादत है जिसके जरिये इंसान दुनिया और अखिरत दोनों जगह फायदा हासिल कर सकता है। इसकी वजह यह है कि नमाज बे हयाई और बुरी बातों से रोकती है।
    मौलाना शकील अख्तर निजामी ने कहा कि दहेज का लेनदेन मआशरे में तेजी से कैंसर की तरह फैलता जा रहा है, जरूरत है कि इस बीमारी को जड़ से खत्म करने की हर तरह से कोशिश की जाए ताकि गरीब घर की बच्चियों की शादी हो सके। मौलाना शोएब रजा, देवरिया, कमाल अख्तर बस्तवी, कारी नियाज अहमद गोरखपुरी ने नाते रसूल पेश किए। इस दौरान उलमा के हाथों दारुल उलूम से फरिग होने वाले उलमा, हुफ्फाज व कारी की दस्तारबंदी की गई। सुबह मदरसा मोईनुल के ग्राउंड में खवातीन का इजलास हुआ जिसमें 73 बच्चियों की दस्तारबंदी हुई। मौलाना रमजान ने जलसे की कार्रवाई चलाई। हजरत मौलाना गयासुद्दीन खान ने शुक्रगुजारी का इजहार किया। 
    इस मौके पर मौलाना मोहम्मद मुनईनुद्दीन कादरी, मौलाना अताउद्दीन शम्सी, मौलाना सिराजुद्दीन, मौलाना मुहम्मद अकरुबुल बरकाती, मौलाना अनवार अहमद मिसबाही, मौलाना वसीउल्लाह रिज्वी, मौलाना तजम्मुल हुसैन अमजदी, मौलाना शहाबुद्दीन कामिल मिस्बाही, मौलाना मुहम्मद अख्तर हुसैन इफ्तेखारी, कारी अजीमुददीन निजामी, मौलाना जलालुद्दीन जियाई, मौलाना आलमगीर निजामी, मौलाना शमीम अख्तर जियाई, मौलाना शब्बीर अहमद निजामी, मौलाना गुलाम हसन, मौलाना जैनुद्दीन सकाफी, मौलाना इजराईल अमजदी, मौलाना कमालुद्दीन अमजदी, मौलाना शम्सुद्दुहा कादरी, मौलाना मेहदी हसन, मौलाना फखरुद्दीन और मैलाना सिराज अहमद समेत बड़ी तादाद में मआशरे के लोग मौजूद थे। 

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