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बिहार : आलमी अमन कान्फें्रस मुख़्तलिफ मजाहिब के रहनुमाओं ने दिया अमन का पैगाम

27 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
पीर, 20 मार्च 2023

गया : आईएनएस, इंडिया 
अजमेर दरगाह के नायब दीवान और आॅल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल के चेयरमैन सय्यद नसीर उद्दीन चिशती ने गया (बहार) में आलमी अमन कान्फें्रस में कहा कि आलमी अमन में हिन्दोस्तान का अहम किरदार है। हिन्दोस्तान दुनिया का एक मुनफरद मुल्क है, जहां बहुत से मजाहिब, जात और तहजीबें आबाद हैं इसके बाद भी हिन्दोस्तान में अमन और हम-आहंगी का कोई फुकदान नहीं है। 
    उन्होंने कहा, हम वासूदेव कुटुंबकम पर चलने वाले हैं, ऐसे कई ममालिक हैं जहां सिर्फ एक ही मजहब माना जाता है, फिर भी वो मुल्क अंदरूनी इंतिशार का शिकार है। ये सितम जरीफी है कि हर मुल़््क अमन की बात करता है, लेकिन तबाहकुन हथियार बनाने की दौड़ में लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि ये फखर की बात है कि हमारे मुल्क और हमारी हुकूमतों ने अपने दिफा के साथ तरक़्की की राह को ज्यादा एहमीयत दी है जिसके नतीजे में हमारे मुल्क ने एयर बस और बोइंग जैसी कंपनियों के साथ दुनिया के सबसे बड़े मुआहिदे किए हैं जिससे अमरीका जैसे बड़े ममालिक में लाखों नौकरियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा, एक और पड़ोसी मुल्क है जिसने सिर्फ और सिर्फ तबाहकुन कातिल पैदा करने की दौड़ में अपने मुल्क की आबादी को भूख के दहाने पर ला खड़ा किया है। हमें फखर है कि हम दुनिया के खूबसूरत तरीन मुल्क में रहते हैं जहां सिर्फ अमन और इन्सानी इकदार को एहमीयत दी जाती है। आखिर में सय्यद नसीर उद्दीन ने कहा कि अपने मुल्क के मुफाद को मजहब से बालातर रखने की जरूरत है और मजहबी रहनुमा अवामुन्नास के साथ मुल्क के इत्तिहाद-ओ-सालमीयत के लिए अपना किरदार अदा करें। 
    वर्ल्ड पीस फेस्टीवल के दूसरे रोज जुमा को मुख़्तलिफ मजाहिब के मजहबी रहनुमाओं ने अमन, शांती, बाहमी भाई चारा, हम-आहंगी और मुहब्बत का पैगाम दिया। सनातन धर्म से आचार्य गोस्वामी सुशील, श्री सम्पूर्णानन्द सरस्वती और पण्डित रामाचार्य जी महाराज, बौद्ध मत और मुस्लिम तबके से सय्यद नसीर उद्दीन चिशती अजमेर शरीफ दरगाह, अतहर खान और एजाज अहमद असलम, सिख समाज से परमपाल सिंह सुबरा और सरदार सूरज सिंह, ईसाई तबके से एमडी थॉमस और फादर जोय पल्लीकल एसजे वगैरह ने खिताब किया, जबकि मेहमान-ए-खुसूसी साबिक वजीर-ए-आला जतिन राम माँझी ने कहा कि मजहब हमेशा नेकी का रास्ता दिखाता है। हर मजहब अपने आप में बेहतरीन है। किसी को अपने मजहब को अच्छा दिखाने के लिए दूसरे के मजहब को बुरा भला नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे मजहब की खुसूसीयत हमारे किरदार और तर्ज़-ए-अमल से जाहिर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा पैगाम है कि इन्सान के साथ इन्सान का भाई चारा होना चाहिए।

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