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मलबे के ढेर में पैदा होने वाली बच्ची को बचाने वाले ने गोद ले लिया

earthquake in turkey and syria : miracle baby
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अंकरा : आईएनएस, इंडिया 

मलबे तले पैदा होने वाली और मोजजाती तौर पर जिंदा बच जाने वाली शामी बच्ची को मलबे से निकालने वाले शामी शहरी ने गोद लेने का ऐलान किया है। बच्ची को जिंदा निकालने वाले शामी ने बताया कि उसने बच्ची का नाम अफरा रखा है। 
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     उन्होंने कहा कि अफरा मेरी वालिदा का नाम था। अब ये बच्ची इसी नाम से हमारे दरमयान रहेगी। मोजजाती तौर पर शामी नौमौलूद बच्ची को उसके रिश्तेदार ने मलबे के नीचे से जिंदा निकाल लिया था। बच्ची के वालदैन और चार बहन-भाई जलजला में जांबाहक हो चुके हैं। एक खुसूसी इंटरव्यू में बच्ची को निकालने वाले उसके रिश्तेदार ने कहा कि वो उसे गोद लेगा और अपने बच्चों के साथ उसकी परवरिश करेगा। ये बच्ची अभी हस्पताल में दाखिल है और सेहतयाब हो रही है। बच्ची को बचाने वाले ने कहा कि उन्होंने उसे अपनी वालिदा अफरा का नाम दिया है ताकि ये मरहूम के खानदान के लिए यादगार रहे। इस दौरान खानदान के एक रिश्तेदार खलील अलस्वाद ने बड़े जजबात के साथ कहा था कि वो अब्बू रदेना और उसके अहिल-ए-खाना को तलाश कर रहे थे, उन्होंने पहले अब्बू रदेना की बहन को तलाश किया, फिर उम रदेना को तलाश किया और उसके करीब ही उसकी नोमोलूद बच्ची मिल गई। सोशल मीडीया पर शीर खोर बच्ची के वीडीयो क्लिप्स बड़े पैमाने पर वायरल हो रहे हैं। 
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हलाकतों की तादाद 21 हजार से बढ़ गई

अंकरा, दमिशक : तुर्की और शाम में आने वाले शदीद जलजले में हलाक होने वालों की तादाद जुमेरात को बढ़कर 21,000 तक पहुंच गई। हलाकतों में ये इजाफा शाम में जलजले से मुतास्सिरा बागीयों के जेर-ए-कब्जा इलाकों और दूसरे हिस्सों में इमदादी कार्यवाईयों का दायरा वसीअ होने के नतीजे में हुआ है। 
    वक़्त गुजरने के साथ-साथ ये उम्मीदें भी दम तोड़ रही हैं कि मलबों में दबे हुए लोगों में अब तक कुछ जिंदा होंगे। शाम में बागियों के जेरे कब्जा इलाकों तक सिर्फ अकवाम-ए-मुत्तहिदा के नुमाइंदों की रसाई है जिससे इमदादी सरगर्मियों को शदीद धचका लगा है। ये इलाका दस साल से खाना-जंगी की लपेट में है। बड़े पैमाने पर बमबारियों के नतीजे में वहां अस्पताल मुनहदिम हो चुके हैं। बिजली और ईंधन नापैद है और मईशत (अर्थव्यवस्था) तबाह-हाल है। इससे कबल खबररसां इदारे ने बताया था कि तुरकिया के डीजासटर मैनेजमेंट एजेंसी के मुताबिक जुमेरात तक 12 हजार 873 अफराद हलाक हो चुके थे जबकि 60 हजार से जाइद जखमी थे। 
    शाम में 3162 अफराद के हलाक होने की तसदीक हुई जबकि लगभग पाँच हजार अफराद जखमी हैं। तुरकिया की मुकामी न्यूज एजेंसी आईएचए ने रिपोर्ट किया है कि जलजले से मुतास्सिरा शहर में रेस्क्यू अहलकारों ने मलबे के ढेर से तीन रोज बाद एक लड़की और उसके वालिद को जिंदा हालत में निकाला। इसी तरह डीएचए न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट किया है कि रेस्क्यू रजाकारों ने जुमेरात की सुबह एक खातून को जिंदा निकाला है। तुरकिया के जुनूबी सूबों में जलजले से मुतास्सिरा अफराद शदीद ठंड में आरिजी पनाहगाहों में रह रहे हैं। तुरकिया में अब तक नौ हजार 57 अफराद जबकि शाम में हलाकतों की तादाद दो हजार 950 बताई जाती है। तुर्क हुक्काम के मुताबिक मुल्क के 10 सूबों में जलजले से एक करोड़ 35 लाख अफराद मुतास्सिर हुए हैं।
 
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