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हैज की परेशानी में ‘या मुतआली’ का करें विर्द (रूहानी इलाज)

नई तहरीक : रायपुर 
जिन इस्लामी बहनों का हैज (मासिक स्राव) रुक जाता हो या वक़्त पर नहीं आता हो, या ज्यादा आता हो, वे इस परेशानी से बचने के लिए 551 मर्तबा ‘या मुतआली’ (अव्वल-आखिर 11-11 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर खाने व पानी पर दम करके खाएं-पिएं और दुआ करें। इन शा अल्लाह हैज (मासिक स्राव) की परेशानी से निजात मिलेगी। ये अमल 41 दिन करना है। अल-कुरआन
    ऐ नबी (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) वे आपसे हैज (माहवारी) के मुताल्लिक पूछते हैं। आप फरमा दें कि यह नजासत है। इन दिनों औरतों से दूर रहो। और जब तक वे पाक न हो जाएं, उनके करीब न जाओ (सोहबत न करो)। फिर जब वे अच्छी तरह पाक हो जाएं तो उस तरीके से उनके पास जाओ, जिसका अल्लाह ने तुम्हें हुक्म दिया है। (सूरह अल-बकरह, आयत : 222)
वजाहत : 
औरतों के हैज (माहवारी) के दिनों में उनके करीब (सोहबत के लिए) जाना सख़्त गुनाह व हराम है।

लड़ाई-­ागड़े से बचने का अमल

घर की औरतों (सास-बहू, ननद-भाभी या देवरानी-जेठानी वगैरह) में अगर अक्सर लड़ाई झगड़ा होता है तो 125 मर्तबा ‘सूरह अलम नशरह’ (अव्वल-आखिर 11-11 बार दुरूदे पाक के साथ) पढ़कर लड़ाई ­ागड़ा खत्म होने की दुआ करें। इन शा अल्लाह लड़ाई झगड़ा खत्म होकर उनमें मोहब्बत व उल्फत पैदा हो जाएगी। ये अमल भी 41 दिन करना है।

दर्दे सिर के लिए वजीफा

सिर में दर्द रहता हो, चक्कर आते हों तो ‘सूरह वाकिअह’ एक बार पढ़कर पानी पर दम करके वह पानी सारा दिन पीते रहें, दम किए पानी के छींटे सिर पर मारें और दुआ करें। इन शा अल्लाह सिर दर्द दूर हो जाएगा। ये अमल 21 दिन करना है।

- पेशकश : मोहम्मद शमीम, रायपुर

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