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मुल्क की तारीख को दुबारा लिखने की जरूरत : हिमंता बिस्वा सरमा

हिमानता बिस्वा सरमा 
गोहाटी : आईएनएस, इंडिया 

मुल्क की तारीख (इतिहास) को दुबारा लिखने की जरूरत है, क्योंकि बाएं बाजू वालों ने हमारी 'तारीख’ को मसख करने की कोशिश की है। 

ये बयान शुमाल मशरिकी (उत्तर-पूर्वी) भारती रियासत आसाम के वजीर-ए-आला हिमानता बिस्वा सरमा का है। उन्होंने ये बात एक टीवी चेनल से खिताब करते हुए कही। सीए सरमा ने बाएं बाजू के इतिहासकारों पर इल्जाम लगाया कि वो हिन्दुस्तानी तारीख को शिकस्त और हथियार डालने की कहानी सुनाकर मसख किया है। उन्होंने कहा कि मुल्क की जीत को रिकार्ड करने के लिए तारीख को दुबारा लिखा जाना चाहिए। सरमा ने बाएं बाजू वालों पर ये भी इल्जाम लगाया कि वो दहाईयों से रियासत को लिसानी बुनियादों पर तकसीम करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी मजहबी वाबस्तगी को अपनाकर ऐसी कोशिशों को शिकस्त देना चाहिए। उन्होंने ये बातें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के 28वीं रियास्ती कन्वेनशन से खिताब करते हुए कहीं। 

उन्होंने कहा कि बाएं बाजू के इतिहासकार ने मुगल जारहीयत के खिलाफ मुजाहमत (निंदा) करने और मुग़्लिया सल्तनत को शिकस्त देने वाले राजाओं और हीरोज को नजरअंदाज किया है, और सिर्फ शिकस्त खूर्दा हिंदू राजाओं के बारे में लिखा है। उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह, छत्रपति शिवाजी, दुर्गा दास राठौर और लंचीत बोर फूकन की मिसालें दीं जिन्होंने मुगल फौज के खिलाफ कामयाब मुहम्मात चलाई। सरमा ने इल्जाम लगाया कि बाएं बाजू के इतिहासकारों ने तारीख लिखते वक़्त उसके कारनामों को छोड़ दिया। उनका कहना है कि तारीख को दुबारा लिखने का वक़्त आ गया है। उन्होंने कहा कि हमें तारीख के तालिब-ए-इल्मों को इसको दुबारा लिखने की तरगीब देनी चाहिए जो शिकस्त और गु़लामी की कहानी नहीं, बल्कि हमारी शान-ओ-शौकत की कहानी है। 

उन्होंने कहा, इससे हमारी नई नसल को कौम की तामीर की तरफ बढ़ने की तरगीब मिलेगी। उन्होंने बाएं बाजू के दानिशवरों (बुद्धिजीवियों) पर आसाम के अवाम में लिसानी बुनियादों पर तकसीम करने का भी इल्जाम लगाया, क्योंकि रियासत में कई जबानें बोली जाती हैं। उन्होंने कहा कि जबान एक अहम अंसर है लेकिन ये किसी कम्यूनिटी और मजहब की वाहिद शिनाख़्त नहीं हो सकती और तारीख भी इतना ही अहम किरदार अदा करती है। उन्होंने कहा कि जबान तब ही जिंदा रहेगी, जब हमारा मजहब और सकाफ़्त जिंदा रहेगी। उन्होंने आसामी बोलने वालों पर जोर दिया कि वो रियासत की दीगर जबानों को अपनाएं और इस बात को यकीनी बनाएँ कि तमाम कबाइल और बिरादरीयों को यकसाँ एहमीयत दी जाए।


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