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हर घंटे पांच महिलाओं का कत्ल, मुजरिम होते हैं खानदान के ही लोग


न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया

संयुक्त राष्टÑ के आंकड़ों से पता चलता है कि गुजिश्ता बरस कत्ल होने वाली आधी से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं के कत्ल के पीछे करीबी रिश्तेदार या साथी ही मुजरिम रहा है। 

संयुक्त राष्टÑ ले 23 नवंबर को महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि सन 2021 में राष्टÑीय स्तर पर कम अज कम 45,000 महिला और लड़कि अपने साथियों या फिर खानदान के अफराद के हाथों कत्ल कर दी गईं हैं। नशीले पदार्थ, जुर्म और महिलाओं से संबंधित संयुक्त राष्टÑ के इदारे (यूएनओडीसी) का कहना है कि इन आंकड़ों का मतलब ये है कि हर घंटे पांच से ज्यादा महिला या लड़कियां अपने खानदान के किसी फर्द के हाथों ही कत्ल कर दी जाती हैं। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि गरचे महिलाओं के कत्ल से मुताल्लिक ये आंकड़े इससे भी कहीं ज्यादा हो सकते हैं। 

गुजिश्ता बरस एक अंदाजे के मुताबिक 81,100 महिलाओं आौर लड़कियों को कत्ल किया गया। इनमें से तकरीबन 56 फीसद को उनके करीबी साथियों या खानदान के ही अफराद ने कत्ल किया। ये इस बात की ओर इशारा करता है कि बहुत सी महिलाओं और लड़कियों के लिए उनका घर भी महफूज जगह नहीं है। 

सबसे ज्यादा मामले एशिया में 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सन 2021 में सबसे ज्यादा कत्ल एशिया में रिकार्ड किए गए, जहां तकरीबन 17,800 महिलाओं का कत्ल किया गया। संयुक्त राष्टÑ की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ खानदानी हिंसा के हवाले से अफ्रÞीका दूसरे नंबर पर है, जहां 17,200 केसेज रिकार्ड किए गए। इस हवाले से संयुक्त राष्टÑ ने अपने एक बयान में कहा है कि इससे पता चलता है कि जेंडर की बुनियाद पर महिलाओं और लड़कियों के कत्ल रोकने की दिशा में बहुत कम काम हुआ है। 

बेहतर जिंदगी की तलाश में मौत के मुंह में समा गए 50 हजार मुहाजिरीन 

2014 से अब तक 50 हजार मुहाजिरीन की मौत 

न्यूयार्क : बेहतर जिंदगी की तलाश में अपना मुल्क छोड़कर दूसरे मुल्कों की ओर जाने वाले लोगों में से 50 हजार लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं। अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) के मुताबिक ये आंकड़े महज आठ साल के हैं। 

इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन फार माएग्रेशन के मिसिंग माएगे्रंटस प्रोजेक्ट ने इंसानी जानों के जाया होने के इस अलमनाक आंकड़ों की तस्दीक की है। ये आंकड़ो सन 2014 से अब तक के हैं। मरने वालों में 30 हजार ऐसे लोग हैं जिनके बारे में कोई मालूमात हासिल नहीं हो सकी है। जिनकी पहचान हो गई है, उनमें से 9 हजार से ज्यादा का ताल्लुक अफ्रÞीका से, साढ़े छ: हजार का एशिया से और तीन हजार का ताल्लुक अमरीका से है। अफ़्गानिस्तान, शाम और मियांमार से बहुत से लोग हिंसा से बचने के लिए अपने घर-बार छोड़कर दूसरे मुल्कों में पनाह लेने के लिए फरार हो रहे हैं। 

सन 2014 से अब तक होने वाली 50 हजार मौतों में से आधी से ज्यादा मौतें यूरोप जाने वाले रास्तों में हुईं। बहीरा रुम के सफर में 25 हजार से ज्यादा और 16 हजार से ज्यादा मुहाजिरीन योरपी समुंद्री रास्तों में लापता हुए। 


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