सार्क जर्नलिस्ट फोरम की बैन-उल-अकवामी तकरीब इखतेताम पजीर
नई दिल्ली, टीएन भारती : आईएनएस, इंडिया
जमहूरीयत के चौथे सतून सहाफत के मैदान में दरपेश मसाइल पर मुनहस्सिर दो रोजा बैन-उल-अकवामी सार्क जर्नलिस्ट फोरम की तकरीबात (समारोह) गौतम बुध यूनिवर्सिटी में इखतेताम पजीर (समापन) हुईं। इस मौके पर सेंट्रल इंडस्ट्रीज मिनिस्टर महेंद्र पांडे ने कहा कि सार्क मुल्कों के तालमेल से वजूद में आए जर्नलिस्ट फोरम के फाउंडर राजू लामा का काम काबिल-ए-तहसीन है। मीडीया जम्हूरीयत का चौथा सबसे अहम सतून है।
जर्नलिस्ट के जरीये मुल्क तरक़्की की राह पर गामजन हो सकता है। राजू लामा ने सार्क मुल्कों को मीडीया के जरीया एक माला के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि सहाफी (पत्रकारों) को बिला खौफ-ओ-खतर सच्चाई और ईमानदारी से बिना भेदभाव काम करना चाहिए। गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी के जर्नलिस्ट डिपार्टमेंट के इश्तिराक (सहयोग) से मुनाकिद दो रोजा कान्फें्रस बहैसीयत मेहमाने खुसूसी जवाहर लाल यूनीवर्सिटी के मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर द्विवेदी ने इजहारे ख्याल करते हुए कहा कि तमाम इन्सान एक से हैं, पूरी दुनिया एक कुनबा है जिसमें मुख़्तलिफ तहजीब और सभ्यता है।
उन्होंने कहा, सहाफत का काम दिलों को जोड़ने वाला होना चाहिए। नेपाल को हमसे पहले आजादी मिली लेकिन हिंदू धर्म को नेपाल में जिस तरह अपनाया गया, उसे फरामोश नहीं किया जा सकता। आज भी वहां हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाती है। अगर बंगला देश पर नजर डालें तो वहां का कौमी तराना बंगाली शायर रविंद्र नाथ टैगोर ने लिखा है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान की कौमी जबान उर्दू खालिस हिन्दुस्तानी जबान है, उर्दू ने सरजमीन हिंद में परवरिश पाई और तकसीम (बंटवारे) के दौरान पाकिस्तान जाने वाले उर्दू जबान को अपने साथ ले गए। उन्होंने कहा कि हमें फख्र है कि हिन्दोस्तान की जबान, तहजीब, और सकाफत ने दुनियाभर में धूम मचा रखी है। हिंद में बाईस जबानों की फेहरिस्त में बंगला, नेपाली और उर्दू भी शामिल है। उन्होंने कहा कि कुछ शरअंगेज अनासिर (तत्व) समाज को एक मर्तबा फिर बाटना चाहते हैं।
अपने ख्यालात में तब्दीली लाएं
इस नाजुक वक़्त में सहाफीयों का फर्ज़ है कि वो मुल्क को तोड़ने से महफूज रखें, सही वक़्त पर सही खबर अवाम के सामने लाकर मुल्क को तरक़्की की राह पर गामजन करने में मददगार साबित हो। उन्होंने मजीद कहा कि हमे हर वक्त अंग्रेजों को कोसने की बजाय अपने ख़्यालात में तबदीली लाने की कोशिश करनी चाहिए। ये तबदीली हमारे सहाफी, कलमकार, मौसीकीकार, फिल्मों के जरीये लाई जा सकती है। जंग किसी मसले का हल नहीं, हमें खुश-उस्लूबी और रहम दिल रवैय्या अपनाना होगा।