braनई तहरीक : दुर्ग
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक ब्रह्मा बाबा की 54 वीं पुण्यतिथि को विश्व शान्ति दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज के बघेरा स्थित "आनंद सरोवर " के सभागार में ब्रह्माकुमारी रीटा दीदी ने जिले के विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि पिताश्री ब्रह्मा बाबा ने परमात्मा की आज्ञा अनुसार नारी शक्ति को संस्था की कमान सौंपी।
उन्होंने कहा, वर्तमान समय में विश्व इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण समय संधिकाल चल रहा है। जबकि निराकार परमपिता परमात्मा अपने साकार माध्यम प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान और राजयोग की शिक्षा देकर संस्कार परिवर्तन और नई सतोप्रधान दुनिया की पुर्नस्थापना करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रह्मा को इस संस्थान में परमात्मा, भगवान अथवा गुरु का दर्जा नहीं दिया जाता है। अपितु वह भी एक इन्सान थे, जिन्होंने नारी शक्ति को जिम्मेदारी का कलश देकर उनका मान बढ़ाया और महिला सशक्तिकरण का कार्य किया। वर्ष 1936 में समाज में महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की थी, किन्तु ब्रह्मा बाबा ने महिलाओं में छिपी नैतिक और आध्यात्मिक शक्तियों को सामने लाकर विश्व में एक नई शुरूआत की।
ब्रह्माकुमारी रीटा दीदी ने वैश्विक बदलाव की चर्चा करते हुए कहा कि जब सृष्टि प्रारम्भ हुई तो सतोप्रधान थी। उस समय यह दैवभूमि कहलाती थी। सभी प्राणी मात्र दैवी गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवी और देवता कहलाते थे। चहुं ओर सुख शान्ति व्याप्त थी। किन्तु द्वापर युग से समाज में नैतिक पतन होने से दु:ख-अशान्ति की शुरूआत हुई। तब विभिन्न धर्म पैगम्बरों ने अपने-अपने धर्मों की शिक्षा देकर नैतिक और सामाजिक गिरावट को रोकने का कार्य किया। इससे अधोपतन की गति में कमी जरूर आयी लेकिन पूरी तरह से उस पर रोक नही लग सकी।
उन्होंने कहा कि आज विश्व में भौतिक चकाचौंध बहुत है, लेकिन दु:ख, अशान्ति, तनाव, बीमारी आदि की भी कमी नहीं है। अब यह सृष्टि इतनी पुरानी और जर्जर हो चुकी है कि इसका पुनर्निमाण ही एकमात्र समाधान है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय कोई भी मनुष्यात्मा विश्व का उद्घार नहीं कर सकतीं। यह परमपिता परमात्मा का कार्य है, जो कि वह वर्तमान संगमयुग पर आकर कर रहे हैं।