नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी (जनरल सेक्रेटरी बोर्ड) ने अपने पे्रस नोट में कहा है कि यकसां सिविल कोड के सिलसिले में राज्य सभा में जो बिल पेश किया गया है, वो बहुत ही अफसोसनाक और मुल्क के इत्तिहाद को नुक़्सान पहुंचाने की कोशिश है, मुल्क के मुअम्मारों (वास्तुकारों) ने इस सोच के साथ दस्तूर बनाया था कि हर तबका को अपने मजहब और अपनी तहजीब के मुताबिक जिंदगी गुजारने की इजाजत होगी, इसी उसूल पर हकूमत-ए-हिन्द ने आदिबासियों की अलहदगी पसंद तहरीकों के साथ मुआहिदात भी किए हैं, ताकि वो पूरे इतमीनान के साथ इस मुल्क के शहरी बन कर रहें और ये खदशा महसूस ना करें कि उनकी इन्फिरादियत (व्यक्तित्व) और पहचान से उन्हें महरूम कर दिया जाएगा।
उसी हिसाब से मुल्क में मुसलमान, ईसाई, पारसी और बाअज दूसरे तहजीबी ग्रुप अपने-अपने पर्सनल ला के साथ जिंदगी गुजार रहे हैं, अब इन सब पर यकसां सिविल कोड नाफिज करने का कोई फायदा तो नहीं होगा, अलबत्ता इससे मुल्क को नुक़्सान हो सकता है और कौमी यकजहती का जज्बा मुतास्सिर हो सकता है, इसलिए हुकूमत को चाहिए कि मुल्क के हकीकी मसाइल पर तवज्जो दे और ऐसी बातों से बचे जो बेफाइदा और तफरुर्का पैदा करने वाली हों, हिन्दोस्तान जैसा मुल्क, जहां दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी बसती है, और जो ढेर सारे मजहबी और तहजीबी गिरोहों का मुशतर्का वतन है। उनमें अकाइद, समाजी जिंदगी के तौर-ओ-तरीक और कौमी रवायात का काफी फर्क पाया जाता है। इन सब के लिए यकसां सिविल कोड हरगिज मुफीद नहीं हो सकता, बल्कि ये यकीनी तौर पर नुक़्सानदेह साबित होगा, बरसर-ए-इक्तदार पार्टी महज अपनी फिरकावाराना सियासत को तकवियत पहुंचाने के लिए अपने अरकान से इस तरह के बिल पेश कराती है, जिसका मकसद एक ही तहजीब को पूरे मुल्क पर मुसल्लत करना और हिंदूत्व के एजेंडा को आगे बढ़ाना है, आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड उसकी सख़्त मुखालिफत करता है और आइन्दा भी करता रहेगा और तमाम सेकूलर पार्टियों से भी अपील करता है कि वो हुकूमत के दस्तूर के मुखालिफ कोशिश को रोकने की भरपूर कोशिश करें, यही मुल्क से मुहब्बत तकाजा है।