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उर्दू पढ़ने-पढ़ाने का रुजहान पैदा करें

समाजी व मिल्ली खिदमतगार तंजीमों और उर्दू अकेडमियों के जेरे एहतिमाम अदबी और शेअरी नशिस्तों का इनइकाद
उर्दू स्कूलों में टीचर्ज की तकरुर्री, निसाब की किताबें मुहय्या कराने और उर्दू की बका-ओ-फरोग के लिए तैयार हो हिक्मते अमली

नई तहरीक : भोपाल

बेनजीर अंसार सोसाइटी ने मध्य प्रदेश उर्दू अकेडमी समेत मुल्क की तकरीबन तमाम रियासतों की उर्दू अकेडमी और दीगर समाजी व मिल्ली तंजीमे, जो उर्दू से मुहब्बत रखती हैं, से उर्दू की बका व फरोग के लिए हिक्मत-ए-अमली तैयार करने की अपील की है। सोसायटी का कहना है कि उर्दू के मसाइल के बारे में तमाम साहिबान और मुहिब्बाने उर्दू बात तो करते हैं, लेकिन उर्दू की बका व फरोग के लिए हिक्मत-ए-अमली पर अमल नहीं करते। ना ही कोई संजीदा बहस की जाती है और न ही कोई पायदार आवाज बुलंद की जाती है। 

मुल्क की तमाम रियास्तों में उर्दू अकेडमेी और समाजी खिदमतगार तन्जीमों के जरीये उर्दू की बका-ओ-फरोग के लिए नशिस्तों का इनइकाद तो किया जा रहा है, लेकिन इसमें सिर्फ एक दूसरे को उर्दू की जबूँहाली के लिए जिÞम्मेदार ठहराया जाता है या ऐसे प्लेटफार्म्स को खुदनुमाई तक के लिए महिदूद रखा जाता है। इन नशिस्तों में एक-दूसरे को सुनने की बजाय मुकामी सतह पर उर्दू के मसला-ओ-मसाइल को हल करने और उसके बारे में आवाज बुलंद करने या हिक्मत-ए-अमली तैयार करने पर भी जोर देना चाहिए।

उर्दू के साथ बरते जा रहे सौतेलेपन के खिलाफ आवाज उठाएं

बेनजीर सोसायटी ने इस बात पर जोर दिया कि नशिस्तों के जरीये उर्दू पढ़ने-पढ़ाने के साथ उर्दू का रस्म-उल-खत इखतियार करने की ताकीद और इसके साथ होने वाली ना इंसाफी पर रोशनी डालने और उर्दू के साथ हो रहे सौतेले सुलूक को मंजरे आम पर लाया जाना चाहिए। सरकार के जरीये या जिÞलई सतह पर ऐडमिनिस्ट्रेशन के अफ़्सर कर रहे हैं इन सब बातों को मंजर-ए-आम पर लाना चाहिए। 

स्कूलों में उर्दू की पढ़ाई पर जोर दें

उर्दू स्कूलों में उर्दू टीचर्ज की तकरुर्री और निसाब की किताबों पर नजर रखें। और बात का जायजा भी लिया जाना चाहिए कि उर्दू की तालीम का मयार क्या है। 

आजादी से पहले तक था बोलबाला

आजादी से कबल ये जबान हर शोबा जिंदगी में राइज थी और जंग-ए-आजादी में इसका सबसे अहम और नुमायां रोल रहा था। आजादी हिंद के जिÞमन में उर्दू और उर्दू शायरी ने जो खिदमत अंजाम दी है, उसकी नजीर कोई दूसरी जबान पेश नहीं कर सकती। ‘इन्किलाब जिÞंदाबाद’ जैसे तारीख साज नारे और हुब्ब-उल-वतनी का तराना ‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तां हमारा’ भारत की गंगा जमुनी तहजीब उर्दू की ही देन है। सियासी और तहजीबी तौर पर उर्दू पूरे मुल्क के राबते और इत्तिहाद व कजहती की जबान है। 

नई नस्ल में रु­ाान पैदा करें

उर्दू की बका व फरोग के लिए ये अमल निहायत जरूरी है कि आने वाली नसल में उर्दू पढ़ने-पढ़ाने का रुजहान पैदा करें, ताकि वो अपनी अदबी, अखलाकी, इस्लाही, तहजीबी, सकाफ़्ती और मुआशरती विरासत से वाकिफ हो सकें। जिन बच्चों की मादरी जबान उर्दू है, बिलखसूस उन बच्चों को इबतिदाई तालीम मादरी जबान में दिलाने की तरगीब दें और खुद अपने बच्चों को उर्दू जबान सिखाए। 

-बे नजीर अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी



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