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15 साल की मुस्लिम लड़की सरपरस्तों की मर्ज़ी के बगैर शादी कर सकती है : झारखंड हाईकोर्ट

रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम कानून के तहत माना जाता है कि लोग 15 साल की उम्र में बलूगत को पहुंच जाते हैं और उसे हासिल करने के बाद वो अपने सरपरस्तों की मुदाखिलत के बगैर अपनी पसंद के शख़्स से शादी करने के लिए आजाद हैं। 

15 साला लड़की से शादी करने पर उस शख़्स के खिलाफ जेरे इलतवा (लंबित) फौजदारी कार्रवाई को मंसूख करते हुए, जस्टिस संजय कुमार दिवेदी की सिंगल बेंच ने कहा कि ये वाजेह है कि मुस्लिम लड़की की शादी मुस्लिम पर्सनल ला के तहत होती है। मुस्लिम ला के उसूल के आर्टीकल 195 के मुताबिक अगर लड़Þकी 15 साल की लड़की हो तो वो अपनी पसंद के शख़्स से शादी करने की अहल है। मामले में लड़की के वालिद ने गलतफहमी के तहत अपनी बेटी के लापता होने का इल्जाम लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई है। उसके मुताबिक ताजीरात-ए-हिंद दफा 366 ए और 120 बी के तहत मुल्जिम दरखास्त गुजार के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज किया गया। ताहम बाद में लड़की की तरफ से पेश होने वाले वकील ने कहा कि शादी हो चुकी है और दोनों खानदानों ने शादी को कबूल कर लिया है। मुआमले को देखते हुए, पूरी फौजदारी कार्रवाई को मंसूख किया जा सकता है। इसी तरह लड़की के वालिद के वकील ने मौकिफ इखतियार किया कि वालिद की जानिब से जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया था जिसमें इन्किशाफ किया गया था कि उनकी बेटी को अल्लाह के फजल से एक अच्छा मैच मिला है। दरखास्त गुजार के वकील ने इस्तिदलाल किया कि मुस्लिम कानून के मुताबिक बलूगत और मैच्योरिटी एक जैसी है और माना जाता है कि कोई शख़्स 15 साल की उम्र में बालिग हो जाता है। मजीद इस्तिदलाल किया गया कि मुस्लमान लड़का या मुस्लमान लड़की, जो बलूगत को पहुंच चुके हैं, अपनी पसंद से शादी करने में आजाद हैं और सरपरस्त को मुदाखिलत का कोई हक नहीं है। 


14 साल की बच्ची के साथ ज्यादती और उसका कत्ल करने वाले शख़्स को सजा-ए-मौत

दुबई : यमन के शहर अदन की एक अदालत ने एक बच्ची को अगवा और जिन्सी ज्यादती के बाद उसका कत्ल करने के जुर्म में एक शख़्स को मौत की सजा सुना दी है। सबक न्यूज ने यमनी मीडीया के हवाले से खबर दी कि अदन की अदालत ने केस की कार्रवाई फौरी तौर पर मुकम्मल कर के बुध को ये फैसला सुनाया। बच्ची तवाही के इलाके से लापता हो गई थी जिसके बाद शहरियों में तशवीश की लहर दौड़ गई थी। गुजशता हफ़्ते जुमेरात को उस बच्ची की लाश मुजरिम के घर से मिली थी जहां उसे दफन किया गया था। अदालत ने फौरी कार्रवाई करते हुए अगवा और कतल के मुल्जिम को मौत की सजा सुनाई है। अदन में ये अपनी तरह का पहला केस था जिसमें वाकिये के एक हफ्ते के भीतर मुजरिम को सजा सुनाई गई। 


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