नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया चांदनी चौक
आपको अगर हिन्दोस्तान की खूबसूरती और हम-आहंगी (सदभाव) को समझना है तो दिल्ली की चांदनी चौक की एक सुबह का दीदार कर लें, जहां की सुबह अजान से होती है तो उसके चंद लम्हों के बाद हनूमान मंदिर की घंटियों की गूंज सुनाई देती है। इसके फौरन बाद गुरूद्वारा से गुरु वाणी सुनाई देती है।
चांदनी चौक की ये सुबह मुल्क की फिरकावाराना हम-आहंगी और गंगा जमुनी तहजीब को बयान करती है। मुल्क की ये खूबसूरत तस्वीर राजधानी में आयोजित अंतरराष्टÑीय मजहब कान्फें्रस में पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुल्क के मशहूर पत्रकार एमजे अकबर ने पेश की, जो ‘मजहबी रवादारी और बर्दाश्त की तहजीब’ पर अपने ख्यालों का इजहार कर रहे थे। उन्होंने एक चर्चा में कहा कि मुल्क की गंगा जम्मूनी संस्कृति और सांप्रदायिक सौहार्द्र को समझने के लिए इससे बेहतर कोई और मौका या लम्हा नहीं हो सकता।
एमजे अकबर ने आगे कहा कि यही है मुल्क की खूबसूरती, जो बताती है कि मजहबी रवादारी और गंगा जमुनी तहजीब हमारी विरासत है। उन्होंने चांदनी चौक के मंजर और माहौल के बारे में अपने तजुर्बे को बयान करते हुए कहा कि मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ कि दुनिया के किसी मुल्क में ऐसा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे वाकियात के पीछे कोई भी हुकूमती मशीनरी काम नहीं करती। ये मामूल है, और जिंदगी का हिस्सा है और ये हिन्दोस्तान की ताकत है।
इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित ‘हिन्दोस्तान और इंडोनेशिया में अंतरराष्टÑीय मजहब अमन और समाजी सौहार्द की संस्कृति को तेज करने में उलमा (मौलवियों) का किरदार’ के मौजू पर मुनाकिद एक सेमीनार में उन्होंने कहा कि हिन्दोस्तान की इस खूबी को कोई नहीं बदल सकता। उन्होंने कहा कि ये हिन्दुस्तानी इस्लाम और हिन्दुस्तानी मुस्लमान हैं। उन्होंने पूरे दावे के साथ कहा कि उसे किसी सियासी एजंडे के तहत नहीं लाया जा सकता। ये हिन्दोस्तान की बुनियाद है।