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मुल्कभर में उर्दू उस्तादों की हजारों सीटें खाली, नहीं हो रही तकरुर्री : अंसारी

उर्दू के अशआर और गजलों के जरीये हुब्बुल वतनी का दर्स दिया जाता है : डाक्टर महताब 

एमडब्ल्यू अंसारी : आईपीएस (रिटा. डीजीपी), भोपाल

बेनजीर अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी के बैनरतले आलमी यौमे उर्दू का जश्न बड़े जोशोखरोश के साथ मनाया गया। तकरीब में शहर के मोअज्जिजीन और अहम शख्सियात ने शिरकत की। 

आलमी यौमे उर्दू के मौके पर मुकर्ररीन ने अवाम से खिताब करते हुए उर्दू के हवाले से कई अहम पहलुओं पर रोशनी डाली। उर्दू की बका व फरोग, उर्दू के मसाइल पर गौर-ओ-खोज किया गया और इसके अस्बाब को जानने की कोशिश की गई। लोगों को उर्दू पढ़ने और बोलने के साथ उर्दू का रस्मुल खत इखतियार करने पर जोर देने की बात कही गई। 

शयर-ए-मशरिक अल्लामा इकबाल का यौम पैदाइश के मौके पर तमाम शुरका और मेहमानों ने खिराज-ए-अकीदत पेश की। यौमे उर्दू के मौके पर अपनी मादरी जबान उर्दू के साथ हक वफादारी निभाते हुए उर्दू की तरक़्की में हर मुम्किन कोशिश और तआवुन करते रहने का अज्म किया गया। प्रोग्राम को खिताब करते हुए न्यूज 18 के महताब आलम ने कहा कि उर्दू की हमेशा ये कोशिश रही है कि मुल्क में अमन-ओ-अमान, मेल-जोल, भाईचारा, इत्तिहाद और सिक्यूलारिजम को किस तरह फरोग दिया जाए। ताअस्सुब व तंग नजरी से उर्दू ने खुद को महफूज रखा है। उर्दू के अशआर और गजलों के जरीये हमेशा हुब्ब-उल-वतनी का दर्स दिया जाता है।

प्रोफेसर नोमान ने कहा कि उर्दू हिन्दी, तुर्की, अरबी, फारसी और संस्कृत जबानों का मुरक्कब है। इसे घर-घर तक पहुंचाने के लिए उर्दू दां और मुहिब्बाने उर्दू को सरगर्म होने की जरूरत है। उन्होंने स्कूलों, कॉलिजों और यूनीवर्सिटीयों में उर्दू डिपार्टमेंट कायम करने, निसाब की किताबें उर्दू में मुहय्या कराने, तलबा की सीटें बढ़ाने और उर्दू बोर्ड तशकील देने जैसे मसाइल पर गौर व खोज करने  और इन मुद्दों पर सरकार से मुतालिबा करने की जरूरत पर जोर दिया। 

आलमी यौमे उर्दू प्रोग्राम के कन्वीनर एमडब्लयू अंसारी ने कहा कि मुल्कभर में उर्दू असातिजा की हजारों सीटें सूबावार खाली पड़ी हैं। असातिजा की तकरुर्री नहीं की जा रही हैं। तलबा उर्दू पढ़ना चाहते हैं लेकिन सरकारें असातिजा की तकरुर्री नहीं कर रही हैं। निसाब की किताबें दस्तयाब नहीं कराई जा रही हैं। कॉलिजों में उर्दू डिपार्टमेंट में असातिजा की तकरुर्री ना कर उन्हें बंद कराने की कोशिश की जा रही है। यानी हर तरह से उर्दू का गला घोंटने की कोशिश की जा रही है। ये एक तौर पर उर्दू दुश्मनी की मिसाल है। उन्होंने उर्दू की बका और फरोग के हर प्लेटफार्म से आवाज बुलंद करने की जरूरत पर जोर दिया। 

अपने ख़्यालात का इजहार करते हुए शुरका ने कहा कि उर्दू के मुताल्लिक मुनाकिद तकारीब में उर्दू के मसाइल पर कम पार्टी का गुणगान गाया जाता है या फूहड़ चुटकुले सुनाए जाते हैं। उन्होंने उर्दू की तरक्की के लिए सार्इंस व टेक्नोलाजी का भरपूर इस्तेमाल करने की बात कही। प्रोग्राम में प्रोफेसर नोमान, डाक्टर महताब आलम, कमर गौस, इकबाल मसऊद, साहिब, इकबाल काजी, तसनीम हबीब, नईम सिद्दीकी, सिराज खान, मुनव्वर अहमद और दीगर शख्सियात मौजूद थे। आखिर में प्रोग्राम के कन्वीनर एमडब्लू अंसारी ने शुक्रिया का इजहार किया। 

- बेनजीर अंसार एजूकेशनल एंड सोशल वेल्फेयर सोसाइटी

अहमदाबाद पैलेस रोड, भोपाल 

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