इमाम उल हिंद मौलाना अबुल कलाम आजाद; अलैहि अलरहमा
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
कांग्रेस का सदर बनने के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने जुमा को इमाम उल हिंद मौलाना अबुल कलाम आजाद; अलैहि अलरहमा के मकबरे पर खिराज-ए-अकीदत पेश किया।
मल्लिकार्जुन खरगे
मीडीया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों को खिराज-ए-अकीदत पेश करने आया हूँ, जिन्होंने समाज, मुल्क की आजादी के लिए जंग लड़ी है। खासतौर पर समाजी मुसावात के लिए जद्द-ओ-जहद किया है ताकि आने वाले दिन रोशन और कौमी मुफाद के हक में हों।
कांग्रेस सदर खरगे ने इस सिलसिले में अपने एक टवीट में लिखा कि दिल्ली में मौलाना अबुल-कलाम आजाद को उनके मजार पर फूलों की चादर चढ़ाई। मौलाना आजाद एक इन्किलाबी शख़्सियत, आजादी पसंद और आजाद हिन्दोस्तान के पहले वजीर-ए-तालीम थे। वो हमारे मुल्क की जमहूरी और सेक्यूलरिजम पर यकीन रखते थे। मौलाना आजाद मजहबी खुतूत पर तकसीम के ख़्याल की सख़्त मुखालिफत करते थे। ख़्याल रहे कि आजाद की शख़्सियत अपनी मिसाल आप है, मौलाना आजाद मुफस्सिर (टिप्पणीकार), मुतकल्लिम (धर्मशास्त्री), मुजाहिद आजादी, नस्र निगार (लेखक), शायर और दीगर कई खूबीयों के मालिक थे, आजाद को उर्दू अदब में एक इमतियाजी शान हासिल है।