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बड़े पीर के उर्स पर बजे शादियाने, तोप की रस्म पूरी हुई

हजरत गौसुलवरा का दो रोजा उर्स एख्तेताम पजीर
सालभर से चले आ रहे घुमंतु परिवारों के तनाजों का खुसूसी अदालत में निकला हल 

मोहम्मद हासम अली : अजमेर

हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (रहमतुल्लाह अलैह) की दरगाह के पास पहाड़ी पर वाके हजरत गौसुल आजम दस्तगीर (रहमतुल्लाह अलैह) के चिल्ले पर दो रोजा उर्स मनाया गया। 
इस मौके पर कव्वालों ने नातिया कलाम पेश किए जिनसे देर रात तक सामईन मुस्तफीज हुए। उसी दौरान बाहर से आए घुमंतू परिवारों की अदालत लगाई गई। घुमंतू परिवारों के बीच सालभर से चले आ रहे तनाजों (विवादों) का चिल्ले पर हल निकाला गया। पीर की सुबह 11 दरगाह बड़े पीर साहब के मुतवल्ली सैयद अफसर अली की अदालत में महफिले समा मुनाकिद हुई। दोपहर करीब 1 बजे शादियाने व तोप की रस्म के साथ कुल की रस्म अदा की गई। कुल की रस्म के बाद फतेहा ख्वानी हुई और सभी की दस्तारबंदी की गई। बड़े पीर साहब के चिल्ले पर कुल की रस्म के बाद मुल्क में अमन, चैन व भाईचारे के लिए खुसूसी तौर पर दुआ की गई। बड़े पीर साहब के उर्स के मौके पर राजस्थान सहित आसपास के राज्यों से बड़ी तादाद में जायरीनों ने शिरकत की।


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