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इमामे हुसैन गरीबों का रखते थे खास ख्याल : मौलाना हुसैन


अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी की जानिब से तकिया पारा स्कूल मैदान में मुनाकिद तकरीरी प्रोग्राम का सातवां रोज

नई तहरीक : दुर्ग

अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी की जानिब से मुनाकिद तकरीरी प्रोग्राम के सातवें रोज कौम से खिताब करते हुए हजरत मौलाना नादिर हुसैन ने कहा, हजरत इमामे हुसैन (रदि अल्लाहो अन्हो) पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के नवासे और मौला अली (रदि अल्लाहो अन्हो) और हजरते फातिमा (रदि अल्लाहो अन्हो) के बेटे है। पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम हजरत इमाम हुसैन (रदि अल्लाहो अन्हो) से बहुत मोहब्बत करते थे। हजरत इमाम हुसैन (रदि अल्लाहो अन्हो) की पैदाइश के मौके पर आसमान से पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के घर अल्लाह की तरफ से मुबारकबाद का पैगाम लेकर फरिस्ते आए थे। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम कहा करते थे, ‘हुसैन मुझसे है, मैं हुसैन से हूं, जिसने हुसैन को राजी किया, उसने अल्लाह को राजी किया, जिसने हुसैन को नाराज किया, उसने अल्लाह को नाराज किया।’ यही वजह है कि जब हुसैन रदि अल्लाहो अन्हो को कोई तकलीफ पहुँचती, आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम बेचैन हो जाते। 


एक बार आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम अपनी बेटी फातिमा रदि अल्लाहो अन्हो के घर पहुंचे जहां आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हुसैन रदि अल्लाहो अन्हो को रोता हुआ पाया। आप सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने अपनी बेटी से फरमाया, ‘बेटी फातिमा, हुसैन को न रुलाया करो, हुसैन के रोने से मुझे रोना आता है।’

इमामे हुसैन रदि अल्लाहो अन्हो ने पूरी जिंदगी गरीब और बेसहारा लोगों की मदद की और इस बात की तालीम भी देते रहे। एक बार का वाकिया है, आप रदि अल्लाहो अन्हो एक बीमार की अयादत को गए। उस बीमार ने कहा, ‘ए हुसैन, मैने किसी से कर्ज ले रखा है और मैं कर्ज अदा किए बगैर मरना नहीं चाहता लेकिन इतना पैसा नहीं है कि मैं अपना कर्ज अदा कर सकूं। यह सुनकर आप रदि अल्लाहो अन्हो ने कई हजार दिरहम दे कर उनका कर्ज अदा कर दिया। हजरत इमामे हुसैन रदि अल्लाहो अन्हो इसी तरह गरीबों का खास ख्याल रखते। यह खसलत आप रदि अल्लाहो अन्हो में बचपन से थी। बचपन से ही आप अपनी चीजें गरीबों में बाटा करते थे।


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