टूर आपरेटर्स की दरख्वास्त खारिज
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने मुख़्तलिफ प्राईवेट टूर आॅप्रेटरज की जानिब से सऊदी अरब जाने वाले हज और उमरा जाइरीन पर गुडस एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) से इस्तिस्ना (छूट) की दरखास्तों को खारिज कर दिया।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एएस अविका और सीटी रवी कुमार की बेंच ने ये फैसला सुनाया। जस्टिस अविका ने कहा कि हमने इस्तिस्ना (छूट) और इमतियाज (भेदभाव) दोनों की बुनियाद पर दरखास्तों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि हिन्दोस्तान से बाहर फराहम की जाने वाली खिदमात पर जीएसटी के नफाज (कार्यान्वयन) के बारे में अर्जगुजार की तरफ से उठाई गई दलील को मद्दे नजर रखा गया है क्योंकि ये एक और बेंच के सामने जेरे इलतिवा है। रजिस्टर्ड प्राईवेट टूर आॅप्रेटरज के जरीया फराहम करदा खिदमात पर जीएसटी के नफाज को चैलेंज किया गया है। आईन आर्टीकल के तहत मुल्क से बाहर की सरगर्मियों पर टैक्स लगाने का कोई इखतियार नहीं है। उनकी दलील है कि हिन्दोस्तान से बाहर इस्तिमाल होने वाली अश्या (चीजों) पर जीएसटी नहीं लगाई जा सकती। टूर आॅप्रेटरज ने दलील दी थी कि जिस तरह आजमीन-ए-हज्ज को हज कमेटी के जरीये कोई सर्विस टैक्स अदा नहीं करना पड़ता, इसी तरह प्राईवेट आॅप्रेटरज के जरीये हज करने वालों को जीएसटी से मुस्तसना होना चाहिए। दरखास्त गुजार के वकील ने अदालत को बताया कि जीएसटी नहीं होना चाहिए। हाजियों की मजहबी सरगर्मियों जैसे फ्लाइट का सफर, रिहायश वगैरा के लिए फराहम करदा खिदमात पर जीएसटी लागू होता है।