- गिलाफ-ए-काअबा की तबदीली के अमल में 166 तकनीकी माहिरीन और कारीगरों की टीम हिस्सा लेगी
- हर साल जिल हज्ज की 9 तारीख को किया जाता है तब्दील
- इस साल नए इस्लामी साल में इसे अमल में लाया जाएगा
- दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटराईजड सिलाई मशीन में होता है तैयार
- 670 किलो ग्राम खालिस रेशम, 120 किलोग्राम सोना और 100 किलोग्राम चांदी का धाग होता है इस्तिमाल
- अब्बासी अह्द में एक साल सफेद और एक साल सुर्ख़ गिलाफ बनाया जाता था
- सल्जूक सल्तनत ने उसे जर्द गिलाफ का रंग दिया
- अब्बासी हुकमरान ने पहले सब्ज और बाद में स्याह गिलाफ बनवाया जिसके बाद से स्याह गिलाफ की रिवायत बरकरार है
रियाज : सऊदी हुक्काम ने कहा है कि मक्का में मस्जिद उल हराम में खाना काअबा का गिलाफ आइन्दा हफ़्ते को तबदील किया जाएगा। सऊदी अरब के सरकारी खबररसां इदारे की रिपोर्ट के मुताबिक उमूमी सदारत बराए इंतिजामी उमूर हरमैन शरीफैन ने पीर को बताया है कि हफ़्ते को किसवतुल काअबा यानी गिलाफ-ए-काअबा की तबदीली के अमल में 166 तकनीकी माहिरीन और कारीगरों की टीम हिस्सा लेगी। पुराने गिलाफ-ए-काअबा की नए गिलाफ से तबदीली मस्जिद उल हराम और मस्जिद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के उमूर के सदर जनरल शेख डाक्टर अब्दुर्रहमान बिन अब्दुल अजीज आॅल-ए-सऊद की निगरानी में अमल में लाई जाएगी।
ख़्याल रहे कि सियाह रंग के इस गिलाफ-ए-काअबा पर कुरानी आयात तहरीर होती हैं जिसे हर साल इस्लामी साल के महीने जी उल हज्ज की नौ तारीख को तबदील किया जाता है। अलबत्ता रवां साल सऊदी हुक्काम ने इस की तबदीली यक्म मुहर्रम-उल-हराम यानी नए इस्लामी साल 1444 हिजरी के आगाज पर करने का ऐलान किया गया था। इस सिलसिले में नया गिलाफ-ए-काअबा ईदे अजहा के रोज काबे के कलीद बर्दार (प्रमुख वाहक) के हवाले कर दिया गया था। मस्जिद उल-हराम के उमूर पर मामूर अंडर सेक्रेटरी जनरल डाक्टर साद बिन मुहम्मद आल मुहम्मद का कहना था कि गिलाफ-ए-काअबा के लिए शाह अब्दुल अजीज काम्पलैक्स में लगभग 200 कारीगर और मुंतजिम काम करते हैं।
उन्होंने बताया कि काम्पलैक्स में लांड्री और आटोमैटिक वीविंग डिपार्टमैंट, मैनूअल वीविंग डिपार्टमैंट, प्रिंटिंग डिपार्टमैंट, बैलट डिपार्टमैंट और गोल्ड थ्रेड डिपार्टमैंट, कसवा सोइंग सक्शन शामिल हैं जिसमें लंबाई के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंप्यूटराईजड सिलाई मशीन भी शामिल है जिसकी लंबाई 16 मीटर है। डाक्टर साद के मुताबिक गिलाफ-ए-काअबा की तैयारी में 670 किलो ग्राम खालिस रेशम का इस्तिमाल किया जाता है जिसे काम्पलैक्स के अंदर स्याह रंग से रंगा जाता है। इसके अलावा 120 किलो ग्राम सोने और 100 किलो ग्राम चांदी के धागे भी गिलाफ-ए-काअबा की तैयारी में इस्तिमाल होते हैं। अब्बासी अह्द में एक साल सफेद और एक साल सुर्ख़ गिलाफ बनाया जाता था। सल्जूक सल्तनत ने जर्द गिलाफ दिया। अब्बासी हुक्मरान ने पहले सब्ज और बाद में स्याह गिलाफ बनवाया जिसके बाद से स्याह गिलाफ की रिवायत बरकरार है।