नई दिल्ली : दिल्ली की जमुना नदी में पानी की सतह तेजी के साथ नीचे जा रही है। इन मुश्किल हालात को देखते हुए ये तशवीश जाहिर की जा रही है कि कहीं जमुना नदी प्रयाग राज के संगम में लापता हो चुकी सरस्वती नदी की तरह गायब ना हो जाए। जमुना नदी की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजश्ता 57 साल में नदी के पानी की सतह इतनी नीचे नहीं गई थी जितना कि इस साल पहुंच चुकी है। पानी की सतह नीचे जाने के बाद दिल्ली जल बोर्ड को दिल्ली के बाशिंदों के लिए पानी की कमी से मुताल्लिक अलर्ट जारी करना पड़ा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 29 जून 2022 को जमुना नदी के पानी की सतह 666;80 फीट पर थी। 1965 के बाद ये एक रिकार्ड है। नदी की ये सतह देखकर दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि शुमाली, मगरिबी, वसती और जुनूबी दिल्ली के बेशतर इलाकों में जुमेरात यानी 30 जून को पानी का बोहरान हो सकता है। इसके अलावा नई दिल्ली और दिल्ली कंटोनमेंट के कुछ इलाकों में भी पानी की स्पलाई बंद करनी पड़ सकती है। दिल्ली में गुजिश्ता दो महीने से पानी का बोहरान हो रहा है। पहली बार इस मसला की शुरूआत अप्रैल में हुई थी। इस महीने के शुरू में वजीराबाद में सतह 667;;6 फीट चली गई थी, जबकि उमूमन पानी की सतह 674;5 फीट पर रहती है। वजीराबाद बैराज पर जमुना की सतह 667 फीट के निशान से महिज 0;6 फीट ही ऊपर थी। इससे पहले ऐसा डाटा साल 1965 में दर्ज किया गया थी।
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली सब ब्रांच और केरीयर लाईन चैनल में पानी की कमी हो रही है जिसकी वजह से चंदरवाल और वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी की जबरदस्त कमी है। माहिरीन का कहना है कि अगर हरियाणा मुवाफिक मिकदार में जमुना में पानी नहीं छोड़ता है तो आने वाले दिनों में दिल्ली को पानी के बोहरान से सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली के जिन इलाकों में पानी का फोर्स कम रहेगा, वो सिविल लाइंस, हिंदूरा अस्पताल के आस-पास का इलाका, कमला नगर, शक्ति नगर, करोल बाग, पहाड़ गंज, एनडीएमसी के इलाके, पुराना और नया राजिंदर नगर, ईस्ट और वेस्ट पटेल नगर, बलजीत नगर, प्रहलादपुर, रामलीला मैदान, दिल्ली गेट, सुभाष पार्क, मॉडल टाउन, गुलाबी बाग, पंजाबी बाग, जहांगीर पूरी, मूलचंद, साउथ एक्सटेंशन, ग्रेटर कैलाश, डीफैंस कॉलोनी, बरारी और केनटोनमैंट इलाका है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली एनसीआर का कापसहेड़ा, महीपाल पूर, दिल्ली, गुरु ग्राम ओल्ड रोड और फरीदाबाद में हालात इंतिहाई बुरे हैं। एक तहकीक में मुतनब्बा किया गया है कि अगर ऐसे ही जमीन के अंदर से पानी निकलता रहा तो कहीं कोई इलाका धँस कर नीचे चला जाएगा और कहीं कोई इलाका ऊपर बढ़ जाएगा। अगर ये किसी रिहायशी इलाके में हुआ तो इमारतें गिर सकती हैं और सड़कों पर दराड़ें पड़ सकती हैं।