सुप्रीम कोर्ट ने मर्कजी सरकार और दीगर से कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पीर को इहानत रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से मुताल्लिक अर्जी पर समाअत करते हुए मर्कजी सरकारों व दीगर को नोटिस जारी किया है कि इसी इंतिहाई अफसोसनाक व शर्मनाक हरकतों के खिलाफ अब तक क्या इकदामात किए गए, वो इस सिलसिले में अदालत में जल्द जवाब दाखिल करें।
सुप्रीमकोर्ट में आज नफरती वाकियात, जहांगीर पूरी इन्हिदामी कार्रवाई और मीडीया के जरीया नफरत फैलाने जैसी अर्जियों पर समाअत हुई। इसके अलावा खासतौर से इहानत (अपमान) रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की अर्जी जस्टिस एएम खानवेलकर और जस्टिस एएस अविका की बेंच के सामने जेर-ए-समाआत थी। एडवोकेट एमआर शमशाद अदालत में पेश हुए। दरखास्त गुजार ने अपनी अर्जी में रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम पर पै दर पै हो रहे वाकियात के खिलाफ कार्रवाई के लिए अदालत उज्मा से खुसूसी हिदायतनामा जारी करने की अपील की है। अर्जी में कहा गया है कि मुल्क के मुख़्तलिफ हिस्सों में फिर्कापरस्त अनासिर और गिरोहों ने मुस्लमानों के अकाइद और उसकी अजीम शख़्सियत, सरवर-ए-कायनात मुहम्मद सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम को अपनी दुश्नाम तराजी का निशाना बना रखा है, ये वाकियात मुल्क के आईन और इसमें मौजूद सेकूलर किरदार पर भी हमला है, नीज दुनियाभर के मुस्लमानों की दिल-आजारी है, लेकिन हर्फ-ए-अफसोस ये है कि मौजूदा सरकारों ने इन वाकियात के सिलसिले में इंतिहाई मुतासबाना (पक्षपाती) किरदार अदा किया है और इस के मुरतकबीन (अपराधी) से नरमी बरती है। अर्ज़ी में कहा गया है कि दरखास्त गुजार ने अदालत से रुजू से कब्ल काफी इंतिजार किया कि सरकारें अजखु़द कार्रवाई करेंगी और मुजरिमों को दर्से इबरत देंगी, लेकिन स्टेट मिशनरी पूरी तरह से आईनी जिÞम्मेदारी से गाफिल और नाकाम है। ये मिशनरियां जमई उल्मा के खुतूत और वफूद के जरीया मुतवज्जा कराए जाने के बावजूद भी टस से मस ना हुईं। हमने पुलिस थाने जाकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन बाअज मुआमलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई, इस हालात में इसके इलावा कोई चारा नहीं है कि मुअज्जिज अदालत उसे मुजरिमों के खिलाफ वक़्त मुकर्ररा में कार्रवाई के लिए खुसूसी हिदायात जारी करे। जमई उल्मा हिंद इन हकायक का इजहार करती है कि नफरती वाकियात बिलखसूस पैगंबरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की तौहीन की वजह से मूुल्क की तकसरीयत (बहुलता) और मुख़्तलिफ मजाहिब के लोगों के दरमियान बकाए बाहमी (सह अस्तित्व) की वतनी खुसूसीयत को शदीद खतरा लाहक है जिसकी हिफाजत सभी हिंदुस्तानियों बिलखसूस सरकारी मिशनरियों की आईनी जिÞम्मेदारी है।
जमई उल्मा हिंद ने अपनी अर्जी में हाल में वकूअ पजीर ऐसे पंद्रह मवाके की निशानदेही भी की है, जब इहानत रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के वाकियात पेश आए, उनमें खासतौर से त्रिपुरा में एक जलूस के जरीया शान मुहम्मद में दुश्नाम तराजी बहुत ही दिल-आजारी की बाइस बनी है। जमई उल्मा हिंद ने इस अर्ज़ी में हकूमत-ए-हिन्द, त्रिपुरा हुकूमत और दिल्ली पुलिस को जवाबदेह बनाया है।
इहानत रसूल (तौहीन-ए-रिसालत) सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के सिलसिले में सुप्रीमकोर्ट में हुई समाअत पर अपने रद्द-ए-अमल का इजहार करते हुए सदर जमई उल्मा हिंद मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि दुनिया का कोई भी समाज अपने मजहबी पेशवाओं की तौहीन करके मुहज्जब नहीं रह सकता। बिलखसूस पैगंबरे इस्लाम मुहम्मद सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की जात सारी दुनिया के इन्सानों के लिए सरपा रहमत है, इसलिए ऐसे आमाल के मुरतकबीन को इबरतनाक सजा दी जाये ताकि कोई भी शख़्स किसी भी मजहब के पेशवा की तौहीन की हिम्मत ना जुटा सके।