फसल तबाह कर रहे
किसान नाराज, पहरा देते कट रही रात
लखणू। आईएनएस,इंडिया
उतर प्रदेश असेंबली इंतिखाबात में अपोजीशन की तरफ से आजाद मवेशियों का मसला जोर से उठाया गया है। अपोजीशन का कहना है कि पूरी रियासत के किसान इस मसले से दो-चार हैं। ऐसे नारे भी लगाए गए हैं जिनमें आवारा मवेशियों को बीजेपी की शिकस्त की वजह बताया जा रहा है। किसान शिकायत कर रहे हैं कि आवारा मवेशी उनके खेतों में घुस कर फसलों को तबाह कर रहे हैं। इसके साथ ही उनसे हादसात हत्ता कि मौत का सबब बनने के वाकेयात भी रिपोर्ट हुए हैं। 2019 की लाईव स्टाक मर्दुम-शुमारी के मुताबिक, रियासत में तकरीबन 1;46;16 मिलियन आवारा मवेशी थे। उनमें से तकरीबन 750,000 को गुजिश्ता साल नवंबर तक सरकारी पनाहगाहों में रखा गया था। इसके इलावा इस साल फरवरी तक तकरीबन 4,00,000 मजीद आवारा मवेशियों की बाजयाबी की कोशिशें की गईं। ये मसला नया नहीं है लेकिन इससे कुछ इलाकों में वोटिंग का अंदाज किसी हद तक बदल सकता है। हाथरस में कटालिया के पंचायत सरबराह विनीत कुमार ने कहा है कि लोगों को लगता है कि अगर एसपी इकतिदार में आती है तो आवारा जानवरों की देखभाल बेहतर हो सकेगी। अलीगढ़ जिÞला में भी आवारा मवेशी देहाती इलाकों में आजादाना घूम रहे हैं और फसलों को तबाह कर रहे हैं। तमामतर कोशिशों के बावजूद किसानों को आवारा जानवरों से नजात नहीं मिल सकी। पिछले पाँच सालों में गोशाखानों की तामीर, मवेशियों की देखभाल के लिए करोड़ों रुपय खर्च किए जाने के दावे किए गए, लेकिन फिर भी किसान आवारा मवेशियों से छुटकारा हासिल नहीं कर सके। इस बार होने वाले असेंबली इंतिखाबात में जिÞले की सात में से पाँच असेंबली सीटों के लिए आवारा मवेशी एक बड़ा मसला बन सकते हंै।
रातभर पहरा दे रहे किसान
प्रतापगढ़ से ऐसी खबरें भी आई हैं कि आवारा मवेशी किसानों की फसलों को खा रहे हैं। फसल को बचाने के लिए किसान दिन रात खेतों की पहरादारी करने की फिक्र में हैं लेकिन कोई मुस्तकिल हल नहीं निकल रहा है। रानीगंज इलाके के कसरवा गांव में रेवड़ बन कर घूमते आवारा मवेशियों ने किसानों के दिन और रात की नींदें उड़ा दी हैं। खेतों में खड़ी फसलों को आवारा जानवरों से बचाने के लिए काश्तकार हर तरीका अपनाकर खसारे में हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही।
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