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गैर शरई शादी में निकाह के लिए तरस जाएंगे दूल्हा-दुल्हन

 जिल हज्ज, 1446 हिजरी 

   फरमाने रसूल      

जो चीज़ सबसे ज़्यादा लोगों को जन्नत में दाखिल करेगी, वह ख़ौफ-ए-खुदा और हुस्न अखलाक है।

- तिर्मिज़ी 

Ranchi, Jharkhand, wedding

✅ शहरोज़ कमर : रांची

बढ़ती महंगाई का असर शादी-ब्याह जैसी तकरीबात पर पड़ना लाजमी है। हालांकि पैसे वालों के लिए ये कोई मुददा नहीं लेकिन गरीबों के लिए अपनी बेटियों के हाथ पीले करना दुश्वार होता जा रहा है। सामाजिक रुतबा बनाए रखने की मजबूरी से वे क़र्ज़ के बोझ तले दबे जा रहे हैं। इसके बावजूद असबाब की कमी के चलते वक्त पर दुल्हन न बन पाने वाली लड़कियों की तादाद बढ़ती जा रही है। वक्त की नजाकत को समझते हुए रांची के मुसलमानों ने गुजिश्ता दिनों एक बड़ा फैसला लिया है जिसके तहत नाच गाना, ढोल ताशे और डीजे के अलावा महंगा खाना परोसने वाली गैर शरई शादी की तकरीबात में मआशरे के होशमंद लोगों के अलावा उलमा शिरकत नहीं करेंगे।      आम जनता हेल्पलाइन की पहल पर रहमानिया मुसाफिर ख़ाना, अंजुमन प्लाजा में एक मुनाकिद हंगामी मीटिंग में शहर के होशमंद लोगों के अलावा सोशल वर्कर, क़ाज़ी और उलमा भी शरीक हुए। बैठक की सदारत मौलाना तौफीक कादरी ने की जबकि सीनियर सहाफी हाजी फिरोज़ जिलानी ने बैठक की कार्रवाई चलाई। 

ग़ैर शरई शादी में नहीं पढ़ाएंगे उलमा व क़ाज़ी निकाह 

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    बैठक से खिताब करते हुए आम जनता हेल्पलाइन के सदर एजाज गद्दी ने कहा कि मआशरे में निकाह को मुश्किल और खर्चीला बना दिया गया है। जिसकी वजह से गरीब घर की बेटियों का निकाह मुश्किल होता जा रहा है। मौजूदा दौर में दूसरों की देखादेखी मआशरे में भी शादी ब्याह जैसी तकरीबात में नाच, गाना, डीजे और बम पटाखे जैसी गैर शरई चीजें शामिल हो गयी हैं। इन्हीं बुराईयों से बचने और लोगों को बेदार करने साथ निकाह को आसान बनाने के मक़सद से बैठक मुनाकिद की गई है। बैठक में ऐसी हर ग़ैर शरई शादी में उलमा और क़ाज़ी ने निकाह न पढ़ाने का फैसला लिया है। 

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आम जनता हेल्पलाइन कराएगी 11 बच्चियों का निकाह 

    बैठक में शहर के उलमा, क़ाज़ी, मुफ्ती और मौलाना के साथ अंजुमन, सोसाइटी, तंजीम, पंचायत और क्लब वगैरह के अहलकार शामिल हुए। अगली बैठक 29 जून को होगी। एजाज गद्दी ने बताया कि उनकी तंजीम आम जनता हेल्पलाइन हर साल अपने खर्च पर 11 गरीब और जरूरतमंद बच्चियों का निकाह कराएगी। बैठक के दौरान हाजरीन ने इस बात पर जोर दिया कि निकाह मस्जिदों में हो, दहेज पर रोक लगे, निकाह को आसान बनाया जाए और वलीमा को हैसियत से बढ़कर न किया जाए। हाजरीन ने कहा कि खर्चीली शादियों के सबब बच्चियों के निकाह में हो रही ताखीर के लिए पूरा मआशरा जिम्मेदार है। 

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फैसले पर लगी सबकी मुहर 

    मौके पर मुफ़्ती आसिफ़ मदनी, मौलाना असग़र मिस्बाही, पठान तंज़ीम के सदर राजा अय्यूब खान, मौलाना तल्हा नदवी, मुफ़्ती अबु दाऊद कासमी, मुफ़्ती तल्हा नदवी, मौलाना जावेद नदवी, अंजुमन के सदर हाजी मुख्तार अहमद, सेक्रेटरी डॉक्टर तारीक़, क़ाज़ी नसीरुद्दीन फैजी, क़ाज़ी मसूद फरीदी, हाफिज़ मिकाइल, एस अली, सैयद निहाल अहमद, नदीम खान, शकील, मुख्तार, इकबाल खान, नसीम गद्दी, डॉक्टर मौलाना हुजैफा, शमीम, लाडले खान, हाजी अब्दुर्रहमान, नुरुल होदा, सोहेल अख्तर, सरफराज सड्डू, एडवोकेट अजहर खान, मोहम्मद शमशू, मेराज गद्दी, एमआईएम महताब आलम, बच्चा बाबू, संपा गद्दी, मोहम्मद इस्लाम समेत कसीर तादाद में लोग मौजूद थे। सभी ने फैसले पर अपनी रजामंदी जताई। 

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