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आयोध्या में बनने जा रही मस्जिद की ज़मीन को लेकर दिल्ली की एक ख़ातून का दावा

 मोहर्रम-उल-हराम - 1446 हिजरी

  हदीस-ए-नबवी ﷺ  

जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।

- इब्ने माजाह

आयोध्या में बनने जा रही मस्जिद की ज़मीन को लेकर दिल्ली की एक ख़ातून का दावा

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

दिल्ली की एक ख़ातून ने चौंका देने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद केस में सुप्रीमकोर्ट के हुक्म के बाद आयोध्या में मस्जिद की तामीर के लिए जो जमीन दी गई है, वो उनके ख़ानदान की है और वो उसका क़बज़ा हासिल करने के लिए सुप्रीमकोर्ट से रुजू करेंगी। हालांकि मस्जिद कमेटी ने ख़ातून का दावा मुस्तर्द कर दिया है। 

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    मस्जिद तामीर के लिए बनाए गए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सरबराह ज़फ़र फ़ारूक़ी ने ख़ातून के दावों को मुस्तर्द (रद्द) करते हुए कहा कि उनके दावों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2021 में ही मुस्तर्द कर दिया था। सुन्नी सेंटर्ल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ज़फ़र फ़ारूक़ी ने कहा कि मस्जिद की तामीर समेत पूरे प्रोजेक्ट पर इस साल अक्तूबर से काम शुरू होगा। दिल्ली की रिहायशी खातून का दावा है कि सुप्रीमकोर्ट के 2019 के हुक्म के बाद अयोध्या के धनी पूर गांव में इंतिज़ामीया की तरफ़ से सुन्नी सेंटल वक़्फ़ बोर्ड को दी गई पाँच एकड़ ज़मीन उनके ख़ानदान की 28.35 एकड़ ज़मीन का हिस्सा है। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि उनके पास मिल्कियत के तमाम दस्तावेज़ात हैं और वो उसे हासिल करने के लिए सुप्रीमकोर्ट से रुजू करेंगी। उनके मुताबिक़ उसके वालिद को तक़सीम के बाद पंजाब छोड़कर पाकिस्तान जाना पड़ा और फ़ैज़ाबाद (मौजूदा ज़िला आयोध्या) चला गया, जहां उन्हें ज़मीन के बदले 28.35 एकड़ ज़मीन अलाट की गई। उन्होंने कहा कि उनके ख़ानदान ने 1983 तक ज़मीन काशतकारी के लिए इस्तिमाल की। उसके बाद उनके वालिद की तबीयत बिगड़ गई और अहिल-ए-ख़ाना उनके ईलाज के लिए दिल्ली आ गए। 

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    ख़ातून ने दावा किया कि उसके बाद से ज़मीन पर धीरे-धीरे क़बज़ा होता रहा। उनका कहना है कि उन्हें मस्जिद की तामीर पर कोई एतराज़ नहीं है लेकिन वो चाहती हैं कि इंतिज़ामीया उनके साथ इन्साफ़ करे। इस्लाम में किसी मुतनाज़ा ज़मीन पर मस्जिद बनाना जायज़ नहीं है। हालांकि ज़फ़र फ़ारूक़ी ने कहा, ''इस मंसूबे में कोई रुकावट नहीं है। जहां तक ज़मीन पर ख़ातून के दावे का ताल्लुक़ है, इलाहाबाद हाईकोर्ट उसे 2021 में ही मुस्तर्द कर दिया है। कुछ मामूली मसाइल हैं, जिन्हें हल किया जा रहा है और उम्मीद है कि अक्तूबर तक इस मंसूबे पर काम शुरू हो जाएगा। बोर्ड के साबिक़ा बयान के बारे में पूछे जाने पर कि मस्जिद और दीगर इमारतों की तामीर इस साल मई से शुरू हो जाएगी, ज़फ़र फ़ारूक़ी ने कहा कि हाँ, कुछ ताख़ीर (देर) हुई है क्योंकि पूरे मंसूबे को नए सिरे से डिज़ाइन किया जा रहा है। इसके अलावा, फ़ंडज़ जमा करने के लिए फ़ौरन कन्ट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट सर्टीफ़िकेट अभी तक मौसूल नहीं हुआ है। 
    प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कमेटी के एक सीनीयर अहलकार ने नाम ज़ाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि वो खातून से उनके दावे के हवाले से मुतअद्दिद बार मिले हैं और उन्हें बताया है कि मुतनाज़ा ज़मीन पर मस्जिद बनाना इस्लाम में जायज़ नहीं है। अगर उसके पास अपने दावे की ताईद के लिए ठोस सबूत हो तो उसे पेश करना चाहिए था, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकी। ख़्याल रहे कि 9 नवंबर 2019 को दिए गए तारीख़ी फ़ैसले में सुप्रीमकोर्ट ने मुतनाज़ा राम जन्मभूमि;बाबरी मस्जिद वाली जगह पर राम मंदिर की तामीर का हुक्म दिया था, जबकि आयोध्या में एक अहम मुक़ाम पर मुस्लमानों को पाँच एकड़ ज़मीन देने का हुक्म दिया था। मस्जिद की तामीर के लिए हुकूमत के हुक्म पर अयोध्या जिले के रोनाही के धनी पूर गांव में सुन्नी सेंटर्ल वक़्फ़ बोर्ड को ज़मीन अलाट की गई। मस्जिद की तामीर के लिए बनाए गए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने दी गई ज़मीन पर मस्जिद के साथ अस्पताल, कम्यूनिटी किचन, लाइब्रेरी और रिसर्च इंस्टीटियूट बनाने का ऐलान किया है। 
    तवक़्क़ो थी कि राम मंदिर के साथ मस्जिद की तामीर भी मुकम्मल हो जाएगी, हालांकि मस्जिद अपनी तामीर के इंतिज़ार में है।

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