शव्वाल -1445 हिजरी
हदीसे नबवी ﷺ
तकदीर का लिखा टलता नहीं
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। ''
- मुस्लिम शरीफ
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✅ मेरठ : आईएनएस, इंडिया
शहर क़ाज़ी जैनुस्साजीदीन ने मेरठ में ईदगाह के बाहर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी पर नाराज़गी का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि मेरठ में कुछ सालों से ईदगाह के बाहर नमाज़ पढ़ने पर पाबंदी आइद है। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सदर जमहूरीया और अक़ल्लीयती कमीशन से दरख़ास्त की गई है। गौरतलब है कि मेरठ में ईदगाह और मसाजिद के बाहर नमाज़ अदा करने पर पाबंदी के ख़िलाफ़ मुस्लिम कम्यूनिटी ने सदर जमहूरीया से भी एहतिजाज किया है। वो इस हवाले से सुप्रीमकोर्ट भी जा सकते हैं। ये बात मेरठ शहर के क़ाज़ी जैनुस्साजीदीन ने कही है।
उनका कहना है कि गुजिश्ता 10 सालों से मुस्लमानों को ईदगाह और मसाजिद के बाहर सड़कों पर नमाज़ पढ़ने से रोका जा रहा है, जबकि हिंदू समाज की तमाम तक़रीबात सड़कों पर मुनाक़िद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी ज़ात और मज़हब के लोगों को मज़हबी प्रोग्रामों से नहीं रोका जाना चाहिए। हमने इस सिलसिले में ज़िला इंतेजामिया और उतर प्रदेश हुकूमत को कई बार ख़त लिख कर आगाह किया है। जब हुकूमत और इंतेजामिया से राहत ना मिल सकी तो मेरठ शहर के मुस्लमानों की जानिब से हाल ही में सदर जमहूरीया हिंद और अक़ल्लीयती कमीशन को ख़त लिखकर उन्हें हालात से आगाही कराई गई है। हालांकि अब तक वहां से भी कोई जवाब नहीं आया है। हालात ऐसे ही रहे तो हमें सुप्रीमकोर्ट से रुजू करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि हुकूमत तमाम मज़ाहिब का एहतिराम करे और मुस्लमानों को भी उनके हुक़ूक़ दिए जाएं। सिटी क़ाज़ी ने बताया कि ईदगाह में साल में दो बार नमाज़-ए-ईद होती है और हर जुमा को मस्जिद में नमाज़-ए-जुमा होती है। इसीलिए ईदगाह और मसाजिद में ज़्यादा लोग इबादत के लिए आते हैं। मसाजिद में जगह कम होने की वजह से नमाज़ बाहर सड़क पर अदा करनी पड़ती है। हुकूमत को इसके लिए कोई इंतेजाम करना चाहिए।
उनका कहना है कि गुजिश्ता 10 सालों से मुस्लमानों को ईदगाह और मसाजिद के बाहर सड़कों पर नमाज़ पढ़ने से रोका जा रहा है, जबकि हिंदू समाज की तमाम तक़रीबात सड़कों पर मुनाक़िद की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी ज़ात और मज़हब के लोगों को मज़हबी प्रोग्रामों से नहीं रोका जाना चाहिए। हमने इस सिलसिले में ज़िला इंतेजामिया और उतर प्रदेश हुकूमत को कई बार ख़त लिख कर आगाह किया है। जब हुकूमत और इंतेजामिया से राहत ना मिल सकी तो मेरठ शहर के मुस्लमानों की जानिब से हाल ही में सदर जमहूरीया हिंद और अक़ल्लीयती कमीशन को ख़त लिखकर उन्हें हालात से आगाही कराई गई है। हालांकि अब तक वहां से भी कोई जवाब नहीं आया है। हालात ऐसे ही रहे तो हमें सुप्रीमकोर्ट से रुजू करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि हुकूमत तमाम मज़ाहिब का एहतिराम करे और मुस्लमानों को भी उनके हुक़ूक़ दिए जाएं। सिटी क़ाज़ी ने बताया कि ईदगाह में साल में दो बार नमाज़-ए-ईद होती है और हर जुमा को मस्जिद में नमाज़-ए-जुमा होती है। इसीलिए ईदगाह और मसाजिद में ज़्यादा लोग इबादत के लिए आते हैं। मसाजिद में जगह कम होने की वजह से नमाज़ बाहर सड़क पर अदा करनी पड़ती है। हुकूमत को इसके लिए कोई इंतेजाम करना चाहिए।
✒ सउदी अरब : मस्जिद-ए-नबवी ﷺ में लगी है दुनिया की अनोखी छतरी
सोच-समझ कर दें वोट
मेरठ के शाही ईदगाह से क़ारी शफ़ीक़ अल रहमान ने ऐलान किया है कि मुस्लमान मुत्तहिद हो कर लोक सभा इंतिख़ाबात में एक उम्मीदवार के हक़ में वोट दें। उन्होंने तमाम पढ़े लिखे मुस्लमानों को पैग़ाम दिया कि वो अपने तमाम अनपढ़, ग़रीब मुस्लमान भाईयों को एक-एक कर वोट का हक़ दिलाएँ। वोट देने से ही मुस्लमानों के हुक़ूक़ महफ़ूज़ होंगे। उन्होंने कहा कि मुल्क में मुस्लमानों पर मज़ालिम ढाए जा रहे हैं। यहां एक ऐसी हुकूमत की ज़रूरत है, जो तमाम लोगों के लिए सोचे। हिन्दोस्तान में मुस्लमान किरायादार नहीं बल्कि मुकम्मल तौर पर इस मुल्क की तामीर में शराकतदार हैं। उन्होंने कहा कि मुल्क में कुछ लोग गुजिश्ता दस सालों से बाहमी भाईचारे को तोड़ने का माहौल बना रहे हैं। हिन्दोस्तान की शिहनाख़्त हिंदू मुस्लिम भाईचारे से होती है। ये बात उन्होंने जुमेरात को दिल्ली रोड पर वाके शाही ईदगाह में नमाज़-ए-ईद की अदायगी से कब्ल ख़िताब करते हुए कही।उन्होंने मुल्क और रियासत की हुकूमत को मुस्लिम दुश्मन क़रार देते हुए इंतिख़ाबात में इत्तिहाद के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हिन्दोस्तान के हिंदू मुस्लिम भाईचारे को ख़राब नहीं होने दिया जाना चाहिए। हिंदू बड़े भाई की तरह और मुस्लमान छोटे भाई की तरह हैं। कुछ लोग ऐसी अफ़्वाहें फैला रहे हैं कि मुस्लमानों ने सिर्फ अपनी बिरादरी के मुस्लमान दुकानदारों से सामान ख़रीदने को कहा है, जबकि ऐसा नहीं है। कुछ लोग प्रोपेगंडा फैला कर हिन्दोस्तान के भाईचारा को तोड़ना चाहते हैं। लेकिन ये भाईचारा टूटने वाला नहीं।