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माहे रमजान में इबादत का दौर जारी, बड़ों के साथ बच्चे भी रख रहे रोजा

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

विसाल (21 रमज़ान)
0 अमीरुल मोमेनीन हज़रत सय्यदना मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
0 हज़रत इमाम अली मूसा रदि रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
0 हज़रत शाह अली हुसैन बाक़ी अलैहिर्रहमा, पटना
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हदीस-ए-नबवी ﷺ

मुसाफिर और हामिला को रियायत

'' हजरत अनस बिन मालिक रदि अल्लाहु अन्हु से रवायत है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया अल्लाह सुब्हानहु ताअला ने मुसाफिर के लिए आधी नमाज माफ फरमा दी है और मुसाफिर और हामिला और दूध पिलाने वाली औरत के रोजे माफ फरमा दिए हें। ''

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सेहरी से इफ्तार तक बदला खवातीन का भी रूटीन 

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✅ नई तहरीक : भिलाई
रमजान के इस मुबारक महीने में रोज़ा-अफ्तार के साथ इबादत का दौर जारी है। नौजवानों और बड़े-बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी रोजा रखने का हौसला बरकरार है। इस्लाम में बालिग होते ही हर इबादत फर्ज हो जाती है जिस पर अमल करना जरूरी होता है। 
    खवातीन के लिए भी रमजान माह में रोजमर्रा की रूटीन बदल गई है। तिलावत-ए-कुरान, शाम के वक्त इफ्तार तैयार करना, आधी रात पूरी होने पर सहरी बनाने की तैयारी करना फिर पांच वक्तों की नमाज़ का एहतेमाम करनाहोता है जिसमें खवातीन पूरे दिन मसरूफ रहती हैं। 
    खुर्सीपार जोन-3 की गजाला कुरैशी बताती हैं कि अल्लाह ताअला ने रोजेदार के लिए जो अर्ज रखा है, उसका यकीन फर्ज को पूरा कराता है। 11 महीने खूब सैर होकर खाते-पीते रहे हैं, महज एक माह अल्लाह की रज़ा के लिए भूखा-प्यासा रहने से ईमान को ताजगी मिलती है। 
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    रूआबांधा की आरिफा इकबाल कहती हैं, रोजा हर बालिग मोमिन मर्द ओर औरतों पर फर्ज है। अल्लाह के नबी ﷺ का फरमान है, जिसका खुलासा है कि रोजे का बदला अल्लाह ख़ुद अता फ़रमाता है। 


    सेक्टर 11 खुर्सीपार की नफीस असलम कहती हैं, जितना सवाब मर्दों को है, उतना ही खवातीन को घर पर रहकर इबादत करने, नमाजे तरावीह पढ़ने, तिलावते कुरआन करने, अल्लाह के जिक्र-ओ-अजकार और दरूद शरीफ पढ़ने में मिलता है। उन्होंने कहा, जितना वक्त मिले, उसे इबादत में लगाना चाहिए।
 
     नई तहरीक : उर्दू अदब और इस्लामी तारीख का पहला और वाहिद न्यूज पोर्टल… 
    जोन 2 की शन्नो खालिद जमाल, नूर अस सबा, रिजवाना जुनैद, सोनी मजहर ओर इंजीनियर सबा कुरैशी कहती हैं, दरहक़ीक़त रोजा इस्लाम के अरकान में से एक अहम फ़र्ज़ है। बिला उज्र बिना रोजा छोड़ना गुनाह है। उन्होंने कहा, रोजा नफस को कंट्रोल करने के साथ-साथ भूख व प्यास का अहसास दिलाता है। सबसे बड़ी बात, अल्लाह से कुर्ब (करीब) का जरिया है।
 
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    इंजीनियर कहकशां अंजुम कहती हैं, इस माहे मुबारक नौजवानों को खासा एहतियात बरतना चाहिए। बिना वजह घूप में घूमने या गपशप कर वक्त जाया न करें जिसमें ना दुनिया का फायदा है ओर ना आखिरत का। नौजवानों को इससे बचना चाहिए। रोजा रखकर बुराईयों को छोड़ना ताकि आगामी 11 महीने पाक दामिनी और अल्लाह और उसके रसूल ﷺ को राजी करने वाली जिंदगी गुजार सकें जिससे लोगों में मोहब्बत, अमन, इंसाफ ओर सच्चाई आम हो। राजेदार खवातीन बताती हैं कि उनके घरों में बड़ों के साथ बच्चे भी रोजा रख रहे हैं और इबादत भी कर रहे हैं।

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