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मुल्क आईन से चलेगा, शरीयत हिन्दोस्तान से बड़ी नहीं : सीएम आदित्य नाथ

रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी

विसाल (16 रमज़ान)
हज़रत सय्यदना शाह आले मुहम्मद मारहरवी क़ुद्देसु सिर्रहु
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हदीस-ए-नबवी ﷺ

'' माहे रमजान में अल्लाह ताअला का जिक्र करने वाले को बख्श दिया जाता है और इस माह में अल्लाह ताअला से मांगने वाले को नामुराद नहीं किया जाता है। ''

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The country will be run by law, Shariat is not bigger than India: CM Aditya Nath

✅ लखनऊ : आईएनएस, इंडिया

उतर प्रदेश में लोक सभा इंतिख़ाबात से कब्ल मुस्लमानों से मुताल्लिक़ ईशू पर बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। सीएम योगी ने कहा है कि शरीयत आईन (संविधान) से बड़ी नहीं है। ये मुल़्क आईन से चलेगा। शरीयत हिन्दोस्तान से बड़ी नहीं हो सकती। मुस्लमानों को सब कुछ मिल रहा है, घर और मकान, लेकिन वो भी हिन्दोस्तान के क़वानीन पर अमल करें। 
    इंतिख़ाबी मंशूर (चुनावी प्रचार सामग्री) में मुस्लमानों की फ़िक्र के सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि मुस्लमानों की फ़िक्र किसे नहीं है, उन्हें घर मिल रहे हैं, खाना मिल रहा है, उन्हें हिन्दोस्तान के क़वानीन को मानना पड़ेगा। मुसलमान हिन्दोस्तान के मुताबिक़ क़ानून पर अमल करें। हिन्दोस्तान के आईन का एहतिराम करें। सीएम योगी ने मज़ीद कहा कि शरीयत ज़ाती मुआमला है। योगी आदित्य नाथ का ये भी दावा था कि शरीयत आईन से बड़ी नहीं हो सकती। अगर वो उसे क़बूल कर लेते हैं तो हिन्दोस्तान के लोग उनका इस्तिक़बाल करेंगे। सीएम योगी ने कहा कि हम इस मंत्र को लेकर चल रहे हैं जिसमें किसी के साथ कोई इमतियाज़ नहीं होना चाहीए और सबको स्कीमों से फ़ायदा उठाना चाहीए। सबके अक़ीदे का एहतिराम किया जाएगा लेकिन किसी को क़ानून से खेलने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। 
    मदारिस के सवाल पर सीएम योगी ने कहा कि हमने सिर्फ मदारिस को जदीद बनाने की बात की है। हमें हुनर-मंद अफ़रादी क़ुव्वत की ज़रूरत है। इसके लिए हमें अपने तालीमी इदारे बनाना होंगे। हुकूमत इस पर काम कर रही है। सीएम योगी ने कहा कि हम पोलोराईजेशन की सियासत नहीं करते। हम सिर्फ तरक़्क़ी की सियासत कर रहे हैं। 

हिन्दोस्तान के बर्थ रेट में आई ज़बरदस्त गिरावट

नई दिल्ली : इस वक़्त हिन्दोस्तान दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला मुल़्क है। हालांकि इस बीच हिंदूस्तान की आबादी में इज़ाफे़ की शरह (दर) मुसलसल कम हो रही है। 
    एक मैगज़ीन में शाइआ एक रिपोर्ट में कहा गया है की 1950 में हिन्दोस्तान में शरह पैदाइश (जन्म दर) यानी फ़ी औसत पैदाइश की शरह 6.2 थी जो 2021 में घट कर दो से भी कम हो गई। शरह पैदाइश में कमी का रुजहान आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। 
    रिपोर्ट में अंदाज़ा लगाया गया है कि 2050 तक शरह पैदाइश 1.29 और 2100 में 1.4 हो जाएगी। शरह पैदाइश का ये तनासुब आलमी रुजहानात के मुताबिक़ है। 1950 में कुल ज़रख़ेज़ी (उपजाऊपन) की शरह फ़ी औरत 4.8 बच्चे से ज़्यादा थी। 2021 में ये फ़ी औरत 2.2 बच्चे रह गई है। एक अंदाज़े के मुताबिक़ आलमी शरह पैदाइश 2050 तक कम हो कर 1.8 और 2100 तक 1.6 हो जाएगीद्य। 2050 में पैदा होने वाले बच्चों की तादाद 13 मिलियन तक गिरने की तवक़्क़ो है। हिन्दोस्तान में 1950 में 1.6 करोड़ से ज़्यादा और 2021 में 2.2 करोड़ से ज़्यादा बच्चे पैदा हुए। ये तादाद 2050 में कम हो कर 13 मिलियन तक पहुंचने की तवक़्क़ो है। 
    पापुलेशन फ़ाउंडेशन आफ़ इंडिया की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम ने कहा कि इन नताइज के हिन्दोस्तान पर गहरे असरात हैं। इसमें उम्र रसीदा आबादी और लेबर फ़ोर्स की कमी जैसे चैलेंजिज़ शामिल हैं। सनफ़ी तर्जीहात (लिंग प्राथमिकता) की वजह से समाजी अदम तवाज़ुन भी पैदा हो सकता है।

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