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" ग़ज़वा-ए-हिंद " के एक पुराने फतवे को लेकर दार-उल-उलूम देवबंद की मुश्कलें बढ़ी

 शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी

हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम

'' हजरत अबुदर्दा रदि अल्लाहो ताअला अन्हु फरमाते हैं कि जिसने अपने भाई को सबके सामने नसीहत की, उसने उसे जलील किया और जिसने तन्हाई में नसीहत की, उसने उसे संवार दिया। (तन्हाई की नसीहत ज्यादा असर करती है, हर शख्स उसे कबूल कर लेता है और उस पर अमल करने की कोशिश करता है। और जाहिर है कि अमल करने से वह संवर जाएगा। ''

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" ग़ज़वा-ए-हिंद " के एक पुराने फतवे को लेकर दार-उल-उलूम देवबंद की मुश्कलें बढ़ी, Dar-ul-Uloom Deoband's problems increased due to an old fatwa of "Ghazwa-e-Hind".

नेशनल कमीशन फ़ार प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स ने सहारनपुर इंतेजामिया को लिखा ख़त 
दार उल उलूम के खिलाफ कार्रवाई की हिदायत 

✅ सहारनपुर : आईएनएस, इंडिया

मशहूर इस्लामी तालीमी इदारा दार उल उलूम देवबंद अपने एक क़दीम (पुराने) फ़तवे की वजह से सुर्खियों में आ गया है। नेशनल कमीशन फ़ार प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स ने सहारनपुर इंतेजामिया को ख़त लिख कर दार उल उलूम के खिलाफ कार्रवाई करने की हिदायत की है।
    गौरतलब है कि दार-उल-उलूम देवबंद की वेबसाइट पर ग़ज़वा-ए-हिंद को तस्लीम करने का फ़तवा जारी किया गया है। कहा गया है कि ग़ज़वा-ए-हिंद में मरने वाले अज़ीम क़ुर्बानियां देने वाले होंगे। ग़ज़वा-ए-हिंद को जवाज़ (औचित्य) फ़राहम करने के लिए दार-उल-उलूम देवबंद ने सुनन नसाई का हवाला दिया है। इस बाब में हज़रत अबू हुरैरा  रदि अल्लाह अन्हो से एक हदीस मरवी है जिसमें आप ने गजवा-ए-हिंद पर कहा है कि में इसके लिए अपनी जान-ओ-माल क़ुर्बान करूँगा। में सबसे पहले अज़ीम क़ुर्बानी दूँगा। नेशनल कमीशन फ़ार प्रोटेक्शन आफ़ चाइल्ड राइट्स ने ग़ज़वा हिंद के फ़तवे को संजीदगी से लेते हुए ज़िला मजिस्ट्रेट को लिखे ख़त में कार्रवाई करने की हिदायात दी गई हैं। एनसीपीसीआर का कहना है कि दार-उल-उलूम देवबंद मुदर्रिसा बच्चों को मुल्क मुख़ालिफ़ तालीमात दे रहा है। मुल्क मुख़ालिफ़ तालीमात इस्लामी बुनियाद परस्ती को फ़रोग़ दे रही हैं। एनसीपीसीआर ने इस फ़तवे को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट दफ़ा 75 की ख़िलाफ़वरज़ी क़रार दिया है। 
    ख़दशा ज़ाहिर किया गया है कि फ़तवा के मवाद से मुल्क के ख़िलाफ़ नफ़रत फैल सकती है। ज़िलई इंतिज़ामीया को दार-उल-उलूम की वेबसाइट चेक करने को भी कहा गया है। एनसीपीसीआर के मुताबिक़ फ़तवा से मुल्क के अवाम को गुमराह किया गया है। इसलिए वेबसाइट को फ़ौरी तौर पर चेक कर के बलॉक कर दिया जाए। एनसीपीसीआर ने कार्रवाई ना करने पर ज़िला इंतिज़ामीया को ज़िम्मेदार ठहराने का इंतिबाह दिया है। ज़िला मजिस्ट्रेट दिनेश चन्द्र सिंह ने कहा कि एनसीपीसीआर से हिदायात मौसूल हुई हैं। देवबंद के सीओ और एसडीएम को मुआमले की जांच करने को कहा गया है। इस तनाज़ा पर दार-उल-उलूम देवबंद के जवाब का इंतिज़ार है। 
    ख़्याल रहे कि ग़ज़वा-ए-हिंद के मुताल्लिक़ ख़ुद उलमाए इस्लाम में इख़तिलाफ़ है, बाज उल्मा इस रिवायत को मौज़ू तो बाअज़ इसे ज़ईफ़ मानते हैं। मौज़ू हदीस ख़ैर से मौज़ू हैं ही, ताहम ज़ईफ़ हदीस से किसी शरई हुक्म को मुस्तबत नहीं किया जा सकता।

दार-उल-उलूम में नहीं होगा किसी सियासी शख़्सियत का इस्तिक़बाल 

देवबंद, नई दिल्ली : दुनिया-भर में इस्लामी तालीम के लिए मशहूर अज़हर हिंद दार-उल-उलूम ने लोकसभा इंतिख़ाबात को लेकर बड़ा ऐलान किया है जिसके मुताबिक दार-उल-उलूम देवबंद में अब किसी सियासी जमात के लीडर का इस्तिक़बाल नहीं किया जाएगा और ना ही किसी रहनुमा से मुलाक़ात की जाएगी। 
    लोकसभा इंतिख़ाबात की तारीख़ हालांकि तय नहीं है, लेकिन सियासत गर्म हो गई है। तमाम पार्टियां मुख़्तलिफ़ ज़मरों के वोटरज़ को राग़िब करने के लिए हर मुम्किन हरबे अपना रही हैं। इस्लामी तालीम के लिए मशहूर देवबंद के दार-उल-उलूम से भी करोड़ों मुस्लमान वाबस्ता हैं, जो दार-उल-उलूम के जारी करदा हर फ़ैसले का तहे दिल से एहतिराम करते हैं। इसलिए अक्सर इंतिख़ाबी वक़्त में लीडरान दार-उल-उलूम के चक्कर लगाने लगते हैं। दार-उल-उलूम के मुहतमिम मौलाना अबुल क़ासिम नामानी ने वाजेह किया कि किसी भी सियासी जमात की हिमायत नहीं की जाएगी। गौरतलब है कि चंद साल पहले दारुल उलूम देवबंद में एक जमात का सरबराह (मुखिया) आया था। उनके साथ आने वाले मुक़ामी लीडर ने पार्टी सरबराह के सर पर साबिक़ मुहतमिम का हाथ रखा था, जिसकी बाहर झूटी तशहीर (प्रचार) की गई थी। इसी वजह से कब्ल अज़ वक़्त ये फ़ैसला किया गया है।

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