✒ गाजा : आईएनएस, इंडिया
अकवाम-ए-मुत्तहिदा ने खबरदार किया है कि बीमारी और कहत (सूखा) का खतरा गजा की पट्टी के रिहायशियों का मुहासिरा कर रहा है। गजा की पट्टी के अंदर बे-घर होने वाले 17 लाख फलस्तीनीयों को वबाई अमराज (संक्रमण) के बड़े फैलाव के खतरे का सामना है। मशरिकी बहीरा रुम के लिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेँनाईजेशन के रीजनल डायरेक्टर डाक्टर अहमद अलमंजरी के अलफाज में आलमी इदारा-ए-सेहत ने खबरदार किया कि आदाद-ओ-शुमार परेशानकुन और खौफनाक हैं कि गजा में कहत पड़ सकता है।डाक्टर अहमद अलमंजरी ने निशानदेही की कि गजा की पट्टी में दाखिल होने वाली इमदाद बहुत कम है और क्रासिंग को बगैर किसी शर्त के खोला जाना चाहिए। अकवाम-ए-मुत्तहिदा के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक गजा की तकरीबन 80 फीसद आबादी अंदरूनी तौर पर बे-घर हो चुकी है। तकरीबन एक मिलियन बे-घर अफराद पट्टी के वसती और जुनूबी हिस्सों में 99 सहूलयात में मुकीम हैं। पनाह गाहों में सफाई के नाकिस (खराब) हालात हैं। ज्यादा •ाीड़ ने सांस के शदीद इन्फैक्शन, जिल्द की सोजिश और हिफ़्जान-ए-सेहत से मुताल्लिक हालात जैसी बीमारीयों के फैलाव में अहम किरदार अदा किया है। आलमी इदारा-ए-सेहत ने गजा की पट्टी में सांस के शदीद इन्फैक्शन के 70,000 से ज्यादा केसिज और इस्हाल के 44,000 केसिज से आगाह किया है। सदियों की आमद के साथ ही इन केसिज की तादाद मजीद बढ़ जाने का इमकान है।
जुनूब में पनाह गाहों के अंदर जगह की शदीद किल्लत है। कुछ बे-घर मर्दों और लड़कों को पनाह गाहों से बाहर रहना पड़ रहा है। कुछ ने स्कूल के सेहन या सड़कों को रिहायश गाह बनाया है। कम दर्जा हरारत की वजह से इनफेकशंज के फैलाव का खतरा बढ़ता जा रहा है। बड़े पैमाने पर कहत और खुराक की कमी ने लोगों को शदीद मुश्किलात में डाल दिया है। गजा के बाशिंदे जिंदा रहने के लिए दिन में सिर्फ एक वक़्त का खाना खा रहे हैं।