✒ गाजा : आईएनएस, इंडियातहरीक हम्मास के मुसल्लह विंग अलकसाम ब्रिगेड ने लड़ाई में इतवार के रोज अपने चार अहम रहनुमाओं के शहीद हो जाने का ऐलान किया। जंग 7 अक्तूबर को शुरू हुई थी और 26 नवंबर को जंग का 51 वां दिन था। 48 दिन लड़ाई जारी रही और फिर तीन दिन सीज फायर के गुजरे। मंगल की सुबह 7 बजे जंग बंदी मुआहिदा खत्म हो जाएगा। टेलीग्राम पर अलकसाम ब्रिगेडज के आफिशियल चैनल पर शाइआ होने वाले एक बयान में कहा गया कि अलकसाम ब्रिगेडज अपने रहनुमाओं के एक ग्रुप की शहादत का ऐलान कर रहा है। इन कमांडरज में अस्करी विंग के रुक्न अब्बू अनस अहमद अलगनदोर, शुमाली ब्रिगेडज के कमांडर वायल रजब, कमांडर रिफअत सलमान और कमांडर एमन अलस्याम शामिल हैं।
इसराईली टीवी चैनल 13 ने एक जरीया के हवाले से बताया कि 25 नवंबर को इसराईली फौज ने गजा की पट्टी में दुबारा फौजी आॅप्रेशन शुरू करने के लिए अपनी तैयारी कर ली थी। ये आॅप्रेशन इस सूरत में किया जाना था, अगर हम्मास मुकामी वक़्त के मुताबिक आधी रात तक इसराईली यरगमालियों की दूसरी खेप को रिहा ना करती। उसी बीच अलकसाम ब्रिगेडज ने यरगमालियों की दूसरी खेप के हवाले करने में उस वक़्त तक ताखीर का ऐलान किया था, जब तक कि इसराईल शुमाली गजा की पट्टी में इमदादी ट्रकों के दाखिले से मुताल्लिक अपनी जिÞम्मेदारियाँ पूरी नहीं कर देता और मुआहिदे की पासदारी नहीं करता। टाईम्स आफ इसराईल ने एक बाखबर जरीये के हवाले से बताया कि इसराईल को इन कैदियों की फेहरिस्त मौसूल हो गई है, जिन्हें इतवार को रिहा किया जाना था। अखबार का कहना था कि इसराईली हुक्काम ने हिरासत में लिए गए अफराद के अहिल-ए-खाना को आगाह करना शुरू किया, जिनके नाम कतर की तरफ से सौंपी गई फेहरिस्त में शामिल थे।
याद रहे कि कतर इसराईल और तहरीक हम्मास के दरमियान कैदियों के तबादले के मुआहिदे में सालस है। कतरी वजारत-ए-खारजा के तर्जुमान माजिद अलांसारी ने अपने मुल्क की इस उम्मीद का इजहार किया कि इसराईल और हम्मास के दरमयान जंग बंदी को चार दिन पर तय-शुदा इत्तिफाक से आगे बढ़ाया जाएगा।
कौन है अहमदअलगनदोर जिसकी मौत की हम्मास ने तस्दीक की है और जो अमरीका और इसराईल के लिए मोस्ट वांटेड था
हम्मास के अस्करी विंग अलकसाम ब्रिगेडज ने चंद रोज कब्ल इसराईली हमले में अपने एक अहम तरीन फौजी रहनुमा अलगनदोर के जांबाहक होने की तसदीक की थी। इसराईली फौज ने तकरीबन एक हफ़्ता कब्ल इस अहम फौजी रहनुमा को निशाना बनाने का ऐलान किया था। अलकसाम ने एक बयान में कहा है कि मिल्ट्री काउंसिल के रुकन और शुमाली गजा ब्रिगेडज के कमांडर अहमद अलगनदोर का सोग मना रहे हैं।अलकसाम ने कहा, साथ ही हम अपने दीगर मुतअद्दिद फौजी कमांडरों वायल रजब, राफत सुलेमान और एमन सय्याम की अम्वात पर •ाी गम-जदा हैं। अहमद अलगनदोर शुमाली गजा के जिÞम्मेदार और हम्मास की सुप्रीम मिल्ट्री काउंसिल के रुकन थे और वो अब तक जंग में मारे जाने वाले सबसे नुमायां रहनुमा हैं। 56 साला अहमद अलगनदोर इससे कबल कम अज कम तीन मर्तबा इसराईल की जानिब से कातिलाना हमलों में बच जाने में कामयाब हुए थे। अहमद अलगनदोर ही थे, जिन्होंने 2006 में सरहद पार से हमले की मंसूबा बंदी में मदद की थी, जिसके नतीजे में इसराईली फौजी गीलाद शालेत को पकड़ लिया गया था।
गीलाद शालेत 5 साल कैद में रहा और 2011 में एक मुआहिदे के तहत गीलाद शालेत की रिहाई के बदले एक हजार फलस्तीनीयों को इसराईली कैद से रिहाई मिली थी। अहमद अलगनदोर तीन दीगर अहम रहनुमाओं के साथ मारे गए हैं। शहीद होने वाले इन चार अहम रहनुमाओं में एक एमन सय्याम •ाी हैं। इसराईल का कहना है कि एमन सय्याम हम्मास के राकेट लॉंचिंग यूनिट के जिÞम्मेदार थे। 16 नवंबर को इसराईली फौज ने ऐलान किया कि उसने एक जर-ए-जमीन काम्पलेक्स को निशाना बनाया है जिसमें हम्मास के रहनुमा छिपे हुए थे। ताहम हम्मास ने एमन सय्याम की मौत के मुताल्लिक खामोशी इखतियार कर रखी है। इसराईली फौज के तर्जुमान अवैचाई अदराई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा था कि दो मुख़्तलिफ जर-ए-जमीन कम्पाऊंडज पर दो ताकतवर हमले किए गए। पहले कम्पाऊंड में अहमद अलगनदोर और एमन सय्याम और दीगर अहम रहनुमा मौजूद थे। खबरों के मुताबिक 2017 में अमरीका ने अलगनदोर का नाम दहश्तगर्द की फेहरिस्त में शामिल किया और उस पर इकतिसादी पाबंदीयां आइद कर दी थीं। अमरीकी महकमा-ए-खारजा ने उस वक़्त इशारा किया कि अलगनदोर हम्मास की शूरा काउंसिल के रुकन थे। इस पर कई दहश्त गिरदाना हमलों में मुलव्वस होने का इल्जाम लगाया। इन हमलों में 2006 में गजा की पट्टी के साथ कैरम शालोम बॉर्डर क्रासिंग पर इसराईली फौजी प्वाईंट पर हमला •ाी शामिल था। इस हमले के नतीजे में दो फौजी हलाक और चार जखमी हुए थे।
इसराईली फौज का कहना है कि उसने हम्मास के हजारों अस्करीयत पसंदों को हलाक किया है जिनमें कई दरमयाने दर्जे के रहनुमा •ाी शामिल हैं। ताहम इसराईल ने इन रहनुमाओं का नाम बता कर शिनाख़्त जाहिर नहीं की।