सर्वे मुकम्मल करने की हिंदू फरीकैन की अर्जी
✒ मथुरा : आईएनएस, इंडिया
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म•ाूमि-शाही ईदगाह तनाजा केस में 16 अक्तूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू फरीकैन की एक अर्जी पर समाअत हुई जिसके बाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह काम्पलेक्स के सर्वे का मुतालिबा करने वाली दरखास्त पर फैसला महफूज रख लिया। अब केस से मुताल्लिक तमाम 16 मुकद्दमात की समाअत एक साथ शुरू होगी। हिंदू फरीकैन ने कोर्ट कमिशनर और एएसआई के सर्वे का मुतालिबा किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में हिंदू फरीक की जानिब से विष्णु शंकर जैन खुद •ाी मौजूद थे। इसी दौरान मुस्लिम फरीक की जानिब से वकील महमूद ने दलायल पेश किए।विष्णु शंकर जैन ने बताया कि इस मुआमले में उन्होंने कोर्ट कमिशनर के जरीया शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए दरखास्त दायर की थी जिस पर मुअज्जिज हाईकोर्ट ने फैसला महफूज रख लिया है। ख़्याल रहे कि हिंदू फरीक की जानिब से ये दलील दी गई थी कि मस्जिद के नीचे कई निशानात हैं, जो हिंदूओं के जजबात से जड़े हुए हैं। हालांकि मस्जिद की तरफ से इसकी मुखालिफत की गई। तमाम फरीकैन को आइन्दा समाअत पर पेश होने का हुक्म दिया गया है। मालूम हुआ है कि मथुरा डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से मुंतकिल की गई तमाम 16 अर्जियों पर हाईकोर्ट बराह-ए-रास्त समाअत कर रहा है। दायर दरखास्तों में कुल चार फरीक हैं, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद, यूपी सुन्नी सेंटर्ल वक़्फ बोर्ड, श्री कृष्णा जन्म•ाूमि सेवा संघ और श्री कृष्णा जन्म•ाूमि संध शामिल हैं।
हिंदू फरीक की तरफ से दायर दरखास्तों में मुबय्यना तौर पर गै़रकानूनी तौर पर तामीर की गई शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का मुतालिबा किया गया है, ताकि आयोध्या के राम मंदिर की तरह मथुरा में •ाी एक अजीमुश्शान कृष्णा मंदिर बनाया जा सके। इसके अलावा दरखास्तों में 12 अक्तूबर 1968 को होने वाले मुआहिदे को गै़रकानूनी करार दिया गया है जिसके तहत शाही ईदगाह मस्जिद को दी गई 13.37 एकड़ जमीन •ागवान श्री कृष्णा के हवाले करने का मुतालिबा किया गया है।
1 दिसंबर को होगी सुनवाई
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने पीर को ज्ञानवापी मस्जिद जमीन की मिल्कियत तनाजा से मुताल्लिक अर्जियों पर एक दिसंबर तक समाअत मुल्तवी कर दी। चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की सरबराही वाली जस्टिस जेबी पारधीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा पर मुश्तमिल बेंच वक़्त की कमी की वजह से केस की समाअत नहीं कर सकी। बेंच ने फरीकैन से कहा कि वो इस मुद्दत के दौरान एक सफे का नोट दाखिल करें।वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का इंतिजाम सँ•ाालने वाली अंजुमन इंतिजामीया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीमकोर्ट में तीन अलग-अलग अर्जियां दायर की हैं। अपनी पहली अर्ज़ी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी काम्पलैक्स के सर्वे के लिए कोर्ट कमिशनर की तकरुर्री पर एतराज करते हुए कहा गया कि वाराणसी अदालत का हुक्म दायरा इखतियार के बाहर नजर आता है। मस्जिद कमेटी की तरफ से पेश सीनीयर वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि कमिशनर की तकरुर्री सीपीसी (मजमूआ जाबता दीवानी) के लिहाज से दुरुस्त नहीं है। दूसरी स्पेशल पिटीशन में इलाहाबाद हाईकोर्ट के हुक्म को चैलेंज किया गया है जिसमें एएसआई (आरक्योलोजीकल सर्वे आफ इंडिया) को ज्ञानवापी मस्जिद के अहाते (वुजू खाना को छोड़कर) का सर्वे करने की इजाजत दी गई है। सुप्रीमकोर्ट ने 4 अगस्त को सॉलीसिटर जनरल तुषार महित के ये कहने के बाद कि इस जगह पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी, सर्वे के अमल को रोकने के लिए कोई उबूरी हुक्म पास करने से इनकार कर दिया था। ताहम, सुप्रीमकोर्ट ने उसी बीच हाईकोर्ट के एक और हुक्म पर रोक लगा दी थी, जिसमें एएसआई को हिदायत दी गई थी कि वो ज्ञानवापी मस्जिद में मुबय्यना तौर पर दरयाफत किए गए शिवलिंग की उम्र का पता लगाने के लिए साईंसी सर्वे करे। अपनी तीसरी अर्ज़ी में इंतिजामी कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर सवाल उठाया, जिसमें जिÞला अदालत में दायर हिंदू अकीदतमंदों के मुकद्दमे को बरकरार रखा गया है।
31 मई को मंजूर किए गए अपने हुक्म में हाईकोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट जज की तरफ से सीपीसी के आर्डर के तहत दरखास्त मुस्तर्द किए जाने के खिलाफ दायर नजरसानी की दरखास्त को खारिज कर दिया था।
एएसआई ने सर्वे रिपोर्ट के लिए मांगी मोहलत
वाराणसी के ज्ञान वापी कैम्पस में सर्वे का काम मुकम्मल हो गया है। एएसआई ने अदालत में दरखास्त दायर करते हुए रिपोर्ट पेश करने के लिए मजीद 15 दिन का वक़्त मांगा है।अदालत ने सर्वे मुकम्मल करने के लिए 17 नवंबर तक का वक़्त दिया था। ज्ञानवापी केस में 5 खवातीन ने अदालत में अर्ज़ी दायर की थी जिसमें श्रृंगार गौरी समेत मूर्तियों की पूजा करने का हक मांगा गया है। उनकी जानिब से अदालत में कहा गया कि यहां कई हिंदू देवता मौजूद हैं, जो मलबे से ढके हुए हैं। कोर्ट कमीशन के सर्वे में यहां के बाथरूम (वजूखाने) में एक ऐसी शक्ल पाई गई है, जिसे हिंदू फरीक ने शिवलिंग बताया है। हालांकि मुस्लिम फरीक ने इसे चश्मा (फव्वारा) करार दिया है। उसके बाद मुआमला हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट तक जा पहुंचा। बताते चलें कि 21 जुलाई को वाराणसी के जिÞला जज डाक्टर अजय कृष्णा की अदालत ने एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने का हुक्म दिया था। एएसआई की सर्वे टीम में मुल्क•ार के माहिरीन शामिल थे जिन्होंने सर्वे के दौरान जदीद (आधुनिक) टेक्नोलोजी का •ाी इस्तिमाल किया।