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फिलपाइनी बाशिंदे अपनी फलस्तीनी बीवी के बगैर गजा छोड़ने को तैयार नहीं

✒ मनीला : आईएनएस, इंडिया 

फिलपाइनी महकमा-ए-खारजा (विदेश वि•ााग) ने कहा है कि गजा में रहने वाले कई फिलपाइनी वहां से निकलने को तैयार नहीं क्योंकि उनके फलस्तीनी शरीक-ए-हयात उनके साथ सफर नहीं कर सकती। खबर के मुताबिक गजा पर इसराईली बमबारी के आगाज से अब तक वहां मौजूद 136 फिलपाइनी बाशिंदों में से सिर्फ दो डाक्टरों को गजा से निकाला जा सका है। दो फिलपाइनी बाशिंदे डाक्टर डार्विन डेला क्रूज और डाक्टर रेगेडोर एस्गवीरा बैन-उल-अकवामी इमदादी ग्रुप मैडीसन्ज सान्ज फरंटीयर्ज के साथ काम कर रहे थे, उन्हें बुध को रफा क्रासिंग से मिस्र रवाना किया गया था। 
    फिलपाइनी वजारत-ए-खारजा के अंडर सेके्रटरी ने मनीला में नामा निगारों को बताया कि मजीद 134 फिलपाइनी शहरीयों को इसराईली हुक्काम की तरफ से गजा छोड़ने की मंजूरी मिल चुकी है। इंतिहाई पेचीदा हालात में इन्खिला (निकास) के लिए इसराईल हुक्काम से क्लीयरैंस लेना जरूरी है क्योंकि इसराईली तय्यारे गजा पर मोहलिक (जानलेवा) हमले जारी रखे हुए हैं, जिससे अब तक 9200 से जाइद अफराद हलाक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि फिलपाइनी बाशिंदों का 20 अफराद पर मुश्तमिल पहला ग्रुप अगले दिन रवाना होगा और इससे अगले एक या दो दिनों में 23 अफराद पर मुश्तमिल एक गिरोह की गजा से निकलने की उम्मीद है। 
    वजारत-ए-खारजा ने बताया कि कुछ रोज कब्ल 115 फिलपाइनी अपने मुल्क वापिस जाने के लिए तैयार थे लेकिन ये जानकर कि उन्हें फलस्तीनी शरीक-ए-हयात के बगैर सफर करना पड़ेगा, उन्होंने अपना इरादा बदल लिया है। इसराईल हुक्काम की जानिब से दस्तावेज मुहय्या ना करने के बाइस बहुत से फिलपाइनी अपने रिश्तेदारों को किसी सूरत छोड़ना नहीं चाहते। वजारत-ए-खारजा ने बताया कि अब तक सिर्फ 43 फिलपाइनी ऐसे सामने आए हैं जो गजा छोड़ने का इरादा रखते हैं। गजा में रहने वाले फिलपाइनियों की अक्सरीयत वहां की मुस्तकिल रिहायशी है और दो तिहाई ऐसे हैं, जो गजा में ही पैदा हुए और पले बढ़े। गजा में मौजूद मिशनरीज की 63 साला कैथोलिक राहिबा ने इसराईली हमलों के आगाज से ही गजा में मौजूद गिरजाघर छोड़ने से इनकार कर दिया था, जहां उस वक़्त सैंकड़ों पनाह गजीन मौजूद हैं। फिलपाइनी वजारत-ए-खारजा के अंडर सेक्रेटरी ने मजीद बताया कि ये एक बहादुर खातून हैं। 

नेतन्याहू के घर के बाहर यरगमालियों के अहले खाना का एहितजाजी मुजाहरा

मकबूजा बैतुल मुकद्दस : पुलिस ने सनीचर के रोज इसराईली वजीर-ए-आजम बेजामिन नेतन्याहू की तेल अबीब में सरकारी रिहायश गाह के बाहर एहितजाजी मुजाहरा करने वालों को आगे बढ़ने से रोक दिया। ये मुजाहरा गुहजशता माह हम्मास के मुजाहमत कारों के मुसल्लह कारकुनों के गजा की पट्टी के गर्द बसने वाली यहूदी कम्यूनिटीज पर हमला रोकने में नाकामी के खिलाफ गम-ओ-गुस्से का इजहार था। 
    नेतन्याहू की यरूशलम में इकामत गाह के बाहर लगाई गई रुकावटें हटाते हुए एहतिजाज के लिए जमा होने वाले सैकड़ों मुजाहिरीन ने हाथों में इसराईली पर्चम उठा रखे थे और वो नेतन्याहू को गिरफ़्तार करो के नारे लगा रहे थे। एहतिजाज का ये सिलसिला उस वक़्त सामने आया, जब अवामी राय आम्मा के एक सर्वे में तीन चौथाई ईसराईलीयों ने इसराईली वजीर-ए-आजम से इस्तीफा का मुतालिबा किया जा रहा है। राय आम्मा का ये सर्वे अपनी सियासी और सिक्योरिटी कयादत की पालिसीयों के खिलाफ उनके गम-ओ-गुस्से का इजहार है। नेतन्याहू ने अब तक इन नाकामियों की जाती तौर पर जिÞम्मेदारी कबूल करने से इनकार किया है जिनके बाइस सात अक्तूबर को हम्मास के हैरानकुन हमले की राह हमवार हुई और वो इसराईल के अंदर तक घुस कर चौदह सौ अफराद को कत्ल और कम कम 240 को साथ यरगमाल बना कर गजा ले गए थे। अव्वलीन सदमा कम होने के बाद यरगमालियों के लवाहिकीन की सफों में हुकूमत के खिलाफ गम-ओ-गुस्सा बढ़ रहा है क्योंकि वो उनकी रिहाई के लिए खातिर-ख़्वाह इंतिजामात करने में नाकाम दिखाई देती है।

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