✒ जकार्ता : आईएनएस, इंडिया इंडोनेशिया के उलमा-ए-दीन ने इसराईली मसनूआत (प्रोडक्ट) के बाईकॉट का इज्तिमाई (सामुहिक) फतवा जारी किया है। फतवे में कहा गया है ऐसी कंपनियां, जो इसराईल की हिमायत करती हैं, उनकी मसनूआत और खिदमात लेने का बाईकॉट कर के फलस्तीनीयों के साथ इजहार-ए-यकजहती की जाए।
इंडोनेशिया के उलमाए किराम के इस मुशतर्का (सााा) प्लेटफार्म का नाम ‘एमयूआई’ की तरफ से फतवे में मुस्लिम ममालिक में मुस्लमानों से कहा गया है कि वो फलस्तीनीयों की हिमायत करें और इसराईली जारहीयत जिसका फलस्तीनी शिकार के खिलाफ जद्द-ओ-जहद की जाए। फतवे में इसराईल की हिमायत और इसके हामीयों की मदद करने को इस्लामी कानून की खिलाफवरजी और हराम करार दिया गया है। एमयूआई की काउंलिस के सरबराह ने रिपोर्टर्ज से बात करते हुए हर मुस्लमान से मुतालिबा किया है कि जिस हद तक मुम्किन हो, इसराईल से ताल्लुक रखने वाले इदारों के तवस्सुत से ट्रांजेक्शन और उनकी मसनूआत-ओ-खिदमात से इजतिनाब (परहेज) करें।
इसी तरह नौआबादियत और सेहूनियत के हामीयों से •ाी गुरेज इखतियार करें। उनका कहना था कि हम ऐसे फरीक की किसी तरह हिमायत नहीं कर सकते जो फलस्तीनीयों के खिलाफ बरसरे जंग हो, हम उनकी इश्या (प्रोडक्ट) •ाी किस तरह खरीद और इस्तिमाल कर सकते हैं, जो फलस्तीनीयों के कत्ल के इकदामात की हिमायत करते हैं। इंडोनेशियाई उलमाए किराम का ये फतवा उस वक़्त सामने आया है, जब मशरिक वुसता (मध्य पूर्व) में हम्मास के खिलाफ इसराईली जंग के हामी मगरिबी ममालिक की मसनूआत और ब्रांडज के बाईकॉट की मुहिम जारी है। मशरिक वुसता के मुस्लिम तमाम ममालिक के अवाम को गजा में फलस्तीनी बच्चों की हजारों की तादाद में की जाने वाली हलाकतों ने सख़्त तकलीफ पहुंचाई है और वो इस पर गैरमामूली गम-ओ-गुस्से में हैं।
हजारों इसराईली इसराईल से निकल •ाागे
मकबूजा बैतुल-मुकद्दस : फलस्तीन के इलाके गजा की पट्टी में इसराईली फौज और फलस्तीनी धड़ों के दरमयान जारी लड़ाई के बाद इसराईली खुद को गैर महफूज तसव्वुर करने लगे हैं। इसराईल में सोशल मीडीया पर एक मुहिम चल रही है। ‘हम एक साथ मलिक छोड़ेंगे’ मुहिम ने इसराईल को छोड़ने का मुतालिबा करते हुए अपनी सरगर्मियां तेज कर दी है। गुजिशता चंद घंटों के दौरान मुहिम ने सोशल मीडीया के जरीये इसराईली खानदानों से मुतालिबा किया कि वो दुनिया-•ार में किसी पुरअमन मंजिÞल की तलाश करें। इसराईली हुकूमत ने कौमी सलामती काउंसिल के जरीये इसराईली शहरीयों से मुतालिबा किया कि वो मुल्क से बाहर सफर करने पर नजर-ए-सानी करें और बैरून-ए-मुल्क कियाम के दौरान इसराईली अलामतों और यहूदीयों की मजहबी शिनाख़्त जाहिर करने से गुरेज करें। वाट्स एप्प पर मुहिम ग्रुप में 676 शुरका शामिल हैं। उनमें से अक्सरीयत ईसराईलीयों की है और जिनमें से कुछ दुनिया के मुख़्तलिफ ममालिक खासतौर पर यूरोप, कैनेडा और अमरीका में यहूदी हैं। इस मुहिम की सरगर्मियों में शिद्दत उस वक़्त आई, जब तहफ़्फुज के एहसास में कमी आई है। इसका फेसबुक पर एक ग्रुप है, जिसमें इसराईल से तकरीबन 5000 अफराद शामिल हो चुके हैं। ये मुहिम एक ऐसे वक़्त में •ाी सामने आई, जब इसराईल की कौमी सलामती काउंसिल ने ईसराईलीयों को बैरून-ए-मुल्क सफर करने से खबरदार किया था।काबिल-ए-जिÞक्र है कि इसराईली वजारत-ए-दाखिला में महकमा इमीग्रेशन एंड पापूलेशन के सरकारी आदाद-ओ-शुमार से पता चलता है कि तूफान अल-अकसा के आगाज और गजा के महाज पर लड़ाई में शिद्दत आने के बाद से तक 230,000 से ज्यादा इसराईली वहां से निकल चुके हैं। इसराईल से रवाना होने वाले ग्रुपों में इसराईली खानदान, ताजिर और दोहरी शहरीयत रखने वाली खवातीन और गैर मुल्की पासपोर्ट रखने वाले शामिल हैं। जबकि इसराईली हुक्काम को तवक़्को है कि अगर गजा में जंग जारी रहती है और दूसरे महाजों तक फैलती है तो मुस्तकबिल करीब में इसराईल से नक़्ल-ए-मकानी करने वालों की तादाद में इजाफा होगा।
गजा में इसराईल और फलस्तीनी धड़ों के दरमियान जंग उस वक़्त शुरू हुई जब हम्मास के जंगजूओं ने 7 अक्तूबर को गजा की पट्टी में इसराईली फौजी अड्डों और बस्तीयों पर अचानक हमला किया। इस हमले में 1,400 इसराईली हलाक और तकरीबन 241 को यरगमाल बना लिया गया था।