✒ काहिरा : आईएनएस, इंडिया
मिस्र की हुकूमत की जानिब से स्कूलों में नकाब पर पाबंदी आयद कर दी गई है जिसका शहरियों ने सख्त तन्कीद की है। अक्सरीयत ने इस इकदाम की तन्कीद करते हुए इसे जालिमाना अमल करार दिया।
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक हुकूमत ने रवां हफ़्ते स्कूलों में नकाब पर पाबंदी लगाई थी जिस पर सोशल मीडीया में बहस छिड़ गई और इस पर तन्कीद करने के साथ-साथ लोगोंने हुकूमती फैसले को जालिमाना करार दिया। रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र की वजारात-ए-तलीम (शिक्षा मंत्रालय) ने पीर को सरकारी अखबार ‘अखबार उल-यौम’ के जरीये ऐलान किया था कि सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में नकाब पहनने पर पाबंदी रहेगी। इस हवाले से बताया गया कि मिस्र में खवातीन की बहुत कम तादाद नकाब पहनती है। खातून जो नकाब पहनती हैं, उससे उनका पूरा चेहरा और जिस्म ढंका होता है सिर्फ आंखे नजर आती है। जबकि खवातीन की एक बड़ी तादाद सिर्फ सर ढांपने वाला स्कार्फ पहनती हैं।
हुकूमती हुक्म में कहा गया था कि स्कार्फ का इंतिखाब तालिबात की मर्जी के मुताबिक होगा और इसके लिए सिवाए सरपरस्त के किसी का भी कोई दबाव नहीं होगा। रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडीया पर इस फैसले पर सख़्त तन्कीद की गई और हुकूमत पर इल्जाम आइद किया गया कि वो निजी मुआमलात पर मुदाखिलत कर रही है। मुहम्मद नामी शहरी ने सोशल मीडिया पर बताया कि लोग गुस्से में हैं, क्योंकि हुकूमत ने इस फैसले की कोई वजाहत नहीं की है, ये एक जालिमाना फैसला है, जो शहरीयों की निजी मुआमलात में मुदाखिलत करता है। मुतअद्दिद (कई) अफराद ने अपनी पोस्ट्स में इससे हुकूमत की तर्जीहात का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या क्लासेज में ज्यादा तादाद, पुराने फर्नीचर और असातिजा (टीचर्स) को दरपेश मुश्किलात की वजह नकाब है।
दूसरी जानिब इस फैसले के हामीयों ने कहा कि इस इकदाम से सिर्फ इंतिहापसंद ही मुतास्सिर होंगे। मिस्र के सदर अब्दुल फतह अलसीसी के पुरजोश हामी टॉक शो के मेजबान अहमद मूसा ने इस फैसले का खैरमकदम करते हुए कहा कि ये इंतिहापसंदी के खात्मे और तालीमी निजाम की दुरुस्ती के लिए पहला अहम कदम है।