यूपी : मेयार पर पूरा ना उतरने वाले 240 मदरसों पर लटक सकता है ताला

दम तोड़ती उर्दू को जिंदा करने की जानिब एक कदम आगे बढ़ाएं, पढ़ते रहें ‘नई तहरीक’ 

यूपी : मेयार पर पूरा ना उतरने वाले 240 मदरसों पर लटक सकता है ताला
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अरबी के साथ अब संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी

लखनऊ : आईएनएस, इंडिया 
इत्तिला के मुताबिक रियासत के 240 मदारिस के दरवाजों पर जल्द ही ताला लटक सकता है। इन मदरसों के बारे में कहा जा रहा है कि ये मेअयार पर खरा नहीं उतर रहे हैं। जिÞला अकलीयती बहबूद के आफिसरान ने इन मदरसों की फेहरिस्त उतर प्रदेश मुदर्रिसा एजूकेशन काउंसिल को भेज दी है। 
    कहा गया है कि ज्यादातर मदारिस काम नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही, बहुत से मदारिस ने मेयार से कम तलबा-ए-की तादाद की वजह से अपने दस्तावेजात अपलोड नहीं किए हैं। कई मदारिस ने खुद बोर्ड से मंजूरी को खत्म करने की दरखास्त की है। रियासत में 16,460 मदारिस को बोर्ड ने तस्लीम किया है। उनमें से 560 मदारिस ऐसे हैं, जिन्हें हुकूमत से माली इमदाद मिलती है। इन मदारिस में मुंशी, मौलवी की तालीम हाई स्कूल के मुसावी, आलिम एंटर के मुसावी, कामिल ग्रैजूएशन और फाजिल पोस्ट ग्रैजूएशन के मुसावी हैं, लेकिन मुदर्रिसा बोर्ड के इमतिहानात में शिरकत करने वाले उम्मीदवारों की तादाद हर साल कम होती जा रही है। 
    इस साल रियासतभर के मदारिस से सिर्फ 1 लाख 72 हजार दरखास्तें मौसूल हुईं है। इसकी वजह मुदर्रिसा बोर्ड के नए कवानीन को माना जा रहा है। इसके तहत दूसरे बोर्डज के तलबा के लिए ये लाजिÞमी करार दिया गया है कि वो हाई स्कूल में उर्दू, अरबी और फारसी पास करें ताकि वो आलिम की पढ़ाई के लिए अप्लाई कर सके और कामिल के लिए दरखास्त देने के लिए इंटरमीडीयेट या उसके मुसावी इमतिहान पास करें। 
    मुदर्रिसा बोर्ड के रजिस्ट्रार डाक्टर प्रियंका अवस्थी ने कहा कि मऊ के 10 मदारिस ने खुद बोर्ड को गैर तस्लीम करने के लिए खत भेजा है। अंबेडकर नगर में 204 मदारिस नहीं चल रहे हैं। वहीं लखनऊ के चार मदारिस ने तलबा के कागजात अपलोड नहीं किए हैं। अमरोहा और संत कबीर नगर के मदारिस भी फेहरिस्त में शामिल हैं। मुदर्रिसा रोल्ज 2016 के मुताबिक मुदर्रिसा में कम अज कम 150 तलबा का होना लाजिÞमी है। इसी तरह मुंशी, मौलवीयों में 30 से कम तालिबे इल्म ना हों। इसके अलावा आलिम, कामिल और फाजिल की पढ़ाई के लिए कम अज कम 10 तलबा का इमतिहानात में शरीक होना जरूरी है।

उत्तराखंड मदरसों में अब अरबी के साथ संस्कृत भी पढ़ाया जाएगा

देहरादून : उत्तराखंड वक़्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बड़ा फैसला लिया है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड में चल रहे वक़्फ बोर्ड के मदारिस में बच्चों को अरबी के साथ संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही मदारिस को जदीद (आधुनिक) बनाने की पहल करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि मदरसों में एनसीईआरटी के निसाब (पाठ्यक्रम) को लागू किया जाएगा। उनके मुताबिक अब रियासत के 117 वक़्फ बोर्ड मदारिस में संस्कृत भी पढ़ाई जाएगी। 
    शादाब शम्स के मुताबिक इस हवाले से एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है। इसके साथ-साथ मदारिस को जदीद बनाने के लिए इकदामात करते हुए बच्चों के लिए ड्रेस कोड भी नाफिज किया जाएगा। वक़्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स का कहना है कि उत्तराखंड देवताओं की सरजमीन है और यहां रहने वाले मुस्लिम कम्यूनिटी के लोग अब तबदीली चाहते हैं। ऐसे में वक़्फ बोर्ड के मदारिस की अपग्रेडेशन से सभी खुश हैं। एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में वक़्फ बोर्ड ने ईमानदाराना कोशिश की है जिसमें हमने फैसला किया है कि रियासत के 117 वक़्फ बोर्ड मदारिस में एनसीईआरटी का निसाब लागू किया जाएगा। इसमें संस्कृत जबान को भी शामिल किया जाएगा। जब हमारे बच्चे हिन्दी, अंग्रेजी, रियाजी, साईंस, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, ब्यालोजी और अरबी सीख सकते हैं तो वो संस्कृत भी पढ़ सकते हैं। उनका मजीद कहना था कि वजीर-ए-आला ने हमें यकीन दिलाया है कि बच्चों की तालीम के लिए किसी भी किस्म की मदद की जरूरत होगी, हुकूमत उसके लिए तैयार है। अब मदारिस में तालीम हासिल करने वाले बच्चे भी डाक्टर और इंजीनियर बन कर उभरेंगे। अब वो भी डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के रास्ते पर चलेंगे और मुल्क की शान में इजाफा करने के लिए काम करेंगे। हम मुसबत (पाजीटिव) जजबात के साथ आगे बढ़ रहे हैं।


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